जानें, क्यों खास है मोदी सरकार की ‘ऊर्जा गंगा’ परियोजना
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अक्टूबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 'ऊर्जा गंगा' प्रॉजेक्ट का शिलान्यास किया। इस योजना के अंतर्गत बनारस में 1000 करोड़ से अधिक की लागत से फर्स्ट फेज में 50 हजार घरों तक पीएनजी कनेक्टिविटी से गैस पहुंचाई जाएगी। इसके बाद धीरे-धीरे इस संख्या को 1,50,000 किया जाएगा। बनारस में वरुणा पार लोगों को सुविधा पहले मिलेगी।
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इस योजना के अंतर्गत सिटी गैस पाइपलाइन यूपी में 338 किमी, बिहार में 441 किमी, झारखंड में 500 किमी, वेस्ट बंगाल में 542 किमी और उड़ीसा में 718 किमी तक बिछाई जाएगी। इन 5 राज्यों के कुल 7 शहरों में ये गैस पाइपलाइंस बिछाई जाएंगी।
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‘ऊर्जा गंगा’ के फायदों की बात करें तो इसके जरिए 6,500 लोगों को नौकरी मिलेगी। साथ ही उद्योगों, घरों और गाड़ियों को जरूरी ऊर्जा मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत होटल, डेयरी और यहां तक कि श्मशान घाटों को भी आपूर्ति की जाएगी।
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इस योजना कि खास बात यह है कि इसमें आपको पहले पैसे नहीं जमा करने होंगे। यानी कि आप जितना गैस इस्तेमाल करेंगे, उसका पैसा आपको देना होगा, ठीक वैसे ही जैसे बिजली के बिल वगैरह आते हैं। इसके अलावा कहा जा रहा है कि इसमें कोई अशुद्धता नहीं होगी और साथ ही सल्फर और सीसा नहीं होगा।
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इस योजना के अंतर्गत यूपी, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बंगाल के 40 जिलों में 2600 गांवों को कवर किया जाएगा। इस पूरी परियोजना में कुल मिलाकर 12,490 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। 2540 किलोमीटर लंबा जगदीशपुर-हल्दिया और बोकारो-धमरी पाइपलाइन प्रोजेक्ट शुरू किया जाने वाला है। इस परियोजना के 2018-2020 के मध्य पूरा होने की संभावना है।