'शोले' से लेकर 'अंदाज' तक, बॉलीवुड क्लासिक हैं ये अंग्री यंग मैन वाली 5 फिल्में
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प्राइम वीडियो की आने वाली ओरिजिनल डॉक्यूसीरीज 'एंग्री यंग मेन' के इमोशन से भरपूर ट्रेलर को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला है। ये डॉक्यूसीरीज सलीम-जावेद की आइकॉनिक दुनिया में ले जाएगी। 1970 और 1980 के दशक में हिंदी सिनेमा को एंग्री यंग मैन वाले हीरो इन्हीं की कहानियों से मिले। विद्रोह, न्याय और सामाजिक परिवर्तन की शक्तिशाली कहानियों में ये दोनों राइटर्स एंग्री यंग मैन का तड़का जरूर लगाते हैं। इनकी लिखी कई फिल्में क्लासिक हैं। ऐसी ही 5 बसे दमदार कहानियां हम आपके लिए लाए हैं।
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शोले: रमेश सिप्पी के डायरेक्शन में बनी शोले ने हमें कुछ सबसे यादगार और आइकॉनिक किरदार दिए हैं, जैसे जय (अमिताभ बच्चन), वीरू (धर्मेंद्र), बसंती (हेमा मालिनी), और गब्बर सिंह (अमजद खान)। फिल्म की कहानी दो अपराधियों, वीरू और जय के इर्दगिर्द घूमती है, जिन्हे एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी (संजीव कुमार) ने रक्षा के लिए किराए पर लिया होता है, ताकि वो क्रूर डाकू गब्बर सिंह को पकड़ सके। इस फिल्म के आइकॉनिक डायलॉग्स जैसे "कितने आदमी थे?" और "ये हाथ हमको दे दे ठाकुर" आज तक लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। ड्रामा, रोमांस, ह्यूमर और एक्शन के बेहतरीन मिश्रण के साथ, शोले ने भारतीय सिनेमा में कहानी कहने का एक नया स्टैंडर्ड सेट किया था।
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दीवार: यश चोपड़ा द्वारा डायरेक्टेड दीवार (1975) दो भाइयों की कहानी है जो मुंबई की झुग्गियों में एक साथ बड़े होते हैं लेकिन बहुत अलग रास्ते पर चल पड़ते हैं। विजय (अमिताभ बच्चन) एक स्मगलर बन जाता है, जबकि रवि (शशि कपूर) एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बन जाता है, जिससे उनके बीच एक ड्रामेटिक कॉन्फ्लिक्ट देखने मिलता है। दीवार अपने यादगार डायलॉग्स, दमदार पर्रोमेंसेस और सामाजिक मुद्दों के रिलेट करने वाले चित्रण की वजह से दर्शकों से जुड़ी रही। फिल्म का मशहूर डायलॉग "मेरे पास मां है" आज भी फिल्म लवर्स के जेहन में बना हुआ है।
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दोस्ताना: राज खोसला द्वारा डायरेक्टेड, दोस्ताना (1980) दो बचपन के दोस्तों, विजय (अमिताभ बच्चन), एक पुलिस अधिकारी, और रवि (शत्रुघ्न सिन्हा), एक वकील के बारे में है। उनकी दोस्ती तब चुनौती का सामना करती है जब वे दोनों एक ही महिला, शीतल (ज़ीनत अमान) से प्यार करने लगते हैं। कहानी का अहम हिस्सा मिस्टर डग्गा है, जो एक पुराना दुश्मन है जो इस मुश्किल स्थिति का इस्तेमाल कर के दोस्तों को तोड़ने की कोशिश करता है। फिल्म दिखाती है कि कैसे सच्ची दोस्ती गलतफहमियों और व्यक्तिगत संघर्षों को दूर कर सकती है। फिल्म का खास संदेश यह है कि रिश्तों में भरोसा और सहयोग कितना जरूरी है। यह दिखाती है कि सच्चा प्यार और दोस्ती सामाजिक और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करते हुए भी मजबूत बनी रह सकती है।
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काला पत्थर: 1979 की फिल्म, जो 1975 के चासनाला खनन आपदा पर आधारित है, माइन में हुई दुखद विस्फोट और बाढ़ को दिखाती है, जिसमें 375 माइनर्स की मौत हो गई थी। अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका में विजय पाल सिंह का किरदार निभाया है, जो एक भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ लड़ता है ताकि खनिकों के लिए सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित किया जा सके। यश चोपड़ा के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म खदान मालिकों की लापरवाही और लालच को हाईलाइट करती है, जो कई आम लोगों की मौत का सबब बनी। ये फिल्म दर्शकों के साथ गहरा कनेक्शन बनाती है और इसी तरह एंग्री यंग मैन का व्यक्तित्व बॉलीवुड में मशहूर हुआ।
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अंदाज: 1971 में रिलीज हुई अंदाज एक क्लासिक फिल्म है, जिसे रमेश सिप्पी ने डायरेक्ट किया था। यह फिल्म अपनी जबरदस्त कहानी और यादगार परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती है। इस फिल्म में राजेश खन्ना, हेमा मालिनी और शम्मी कपूर मुख्य भूमिका में हैं। कहानी एक लव ट्राइएंगल के आसपास घूमती है जहां राजेश खन्ना एक करिश्माई और अमीर आदमी का रोल प्ले निभा रहे हैं, जिनकी जिंदगी हेमा मालिनी और शम्मी कपूर के किरदारों के साथ जुड़ती है। अंदाज़ को अपने खूबसूरत म्यूजिक और इमोशंस की गहराई के लिए पसंद किया जाता है। बता दें कि इस फिल्म ने अपने समय के सबसे बेस्ट बॉलीवुड रोमांस को दिखाया था। फिल्म की पेचीदा रिश्तों का चित्रण और एवरग्रीन गानों ने इसे भारतीय सिनेमा में एक खास जगह दी है।