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Hindi News फैक्ट चेक Fact Check: संभल हिंसा से जोड़कर शेयर किया जाने वाला यह वीडियो है झूठा, जानिए इसकी क्या है सच्चाई

Fact Check: संभल हिंसा से जोड़कर शेयर किया जाने वाला यह वीडियो है झूठा, जानिए इसकी क्या है सच्चाई

सोशल मीडिया पर एक वीडियो बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें पुलिस लोगों की भीड़ पर लाठीचार्ज करती दिखाई दे रही है। इस वीडियो को यूजर्स उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के पास हुई हालिया हिंसा से जोड़कर शेयर कर रहे हैं।

fact check- India TV Hindi Image Source : PTI फैक्ट चेक

Originally Fact Checked by PTI: सोशल मीडिया के दौर में हर दिन कई फेक न्यूज और फेक वीडियो वायरल होते रहते हैं। आम लोग इन फेक न्यूज पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं और इन्हें आगे फॉरवर्ड कर देते हैं। इन्हीं फेक न्यूज से आपको सावधान करने के लिए हम लेकर आते हैं फैक्ट चेक। फेक न्यूज का ताजा मामला संभल हिंसा के नाम पर वायरल हो रहे वीडियो से जुड़ा है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें पुलिस लोगों की भीड़ पर लाठीचार्ज करती दिखाई दे रही है। इस वीडियो को यूजर्स उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के पास हुई हालिया हिंसा से जोड़कर शेयर कर रहे हैं।

पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की जांच में वायरल दावा फर्जी निकला। जांच में पता चला कि मूल वीडियो दिसंबर 2019 में गोरखपुर में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान का है। उस समय हालात पर काबू पाने और उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था। यूजर्स पांच साल पुरानी घटना के वीडियो को हाल का बताकर शेयर कर रहे हैं।

क्या हो रहा वायरल?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने 24 नवंबर को एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “संभल में पुलिस ने आतंकियों पर लाठीचार्ज कर दिया। लगता है, आतंकियों को लगा होगा कि पुलिस सिर्फ फिल्मों में ही एक्शन करती है, पर यहां तो रियल लाइफ का "धोबी पछाड़" दिखा दिया गया। अब कानून की इस "लाठी" का असर समझ आयेगा।” पोस्ट का लिंक, आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।

Image Source : ptiफैक्ट चेक

इसी वीडियो को शेयर करते हुए एक अन्य यूजर ने लिखा, “संभल में यूपी पुलिस की बर्बरता इस वीडियो में देखिए। प्रदर्शनकारी किसी पर पथराव नहीं कर रहे थे, हिंसा नहीं कर रहे थे। ना किसी के हाथ में कोई डंडा कोई हथियार कोई ईंट पत्थर दिखाई दे रहा। इसके बावजूद पुलिस ने लाठी बरसा दी। हिंसा ऐसे ही नहीं हुई! हिंसा कराई गई है?” पोस्ट का लिंक, आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।

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पड़ताल

वायरल वीडियो के ‘की-फ्रेम्स’ को रिवर्स सर्च करने पर हमें यह वीडियो पत्रकार सुरेश चव्हाणके के फेसबुक पेज पर मिला। उन्होंने 22 जनवरी 2020 को वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “पुराने पीठ दर्द, कमर दर्द, पैर दर्द से तुरंत राहत के लिए उत्तर प्रदेश में #NRC विरोध रैली में प्रसिद्ध वैद्य योगी आदित्यनाथ जी के पास अवश्य जाए।” इस पोस्ट से एक बात तो साफ है कि वायरल वीडियो का उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हालिया घटना से कोई संबंध नहीं है। पोस्ट का लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।

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पड़ताल के दौरान हमें मोहम्मद आसिफ खान नाम के एक 'एक्स' यूजर के अकाउंट पर भी यह वीडियो मिला। उन्होंने 31 दिसंबर 2019 को इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, "यह वीडियो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का है। उत्तर प्रदेश पुलिस निहत्थे सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर क्रूर बल का प्रयोग कर रही है।" पोस्ट को यहां क्लिक कर देखें।

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‘एक्स’ पोस्ट में दी गई जानकारी के आधार पर डेस्क ने गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें 'लाइव हिंदुस्तान' के यूट्यूब चैनल पर 20 दिसंबर 2019 को अपलोड की गई एक वीडियो रिपोर्ट मिली। वीडियो के डिस्क्रिप्शन में दी गई जानकारी के मुताबिक, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान नखास चौक पर पथराव की घटना हुई थी। जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया था।

बताया गया कि जुमे की नमाज के बाद घंटाघर स्थित जामा मस्जिद से निकले लोग हाथों पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। भीड़ अभी नखास चौक के पास पहुंची ही थी कि किसी ने पथराव कर माहौल बिगाड़ दिया। भीड़ की ओर से नखास खूनीपुर रोड और नखास रेती रोड पर दोनों तरफ से पथराव हुआ। हालात पर काबू पाने और उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था। पूरा वीडियो यहां देखें।

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ईटीवी भारत की वेबसाइट पर 20 दिसंबर 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने जमकर बवाल किया और पत्थरबाजी की। उस समय हालात को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें।

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वायरल वीडियो और न्यूज रिपोर्ट में दिखाए गए वीडियो में कई समानताएं हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह वीडियो संभल में हुई हालिया हिंसा का नहीं है। पुष्टि के लिए डेस्क ने गूगल स्ट्रीट व्यू की मदद से मीडिया रिपोर्ट में बताई गई जगह को तलाश किया और पाया कि यह जगह गोरखपुर का नखास चौक है। इन तस्वीरों की तुलना का स्क्रीनशॉट यहां देखें।

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उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद में रविवार (24 नवंबर) को सर्वेक्षण के दौरान हिंसा हुई। मस्जिद के पास एकत्र हुई भारी भीड़ ने नारेबाजी की और सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया। वाहनों में आगजनी भी की। अधिकारियों के अनुसार हिंसा में चार लोगों की मौत हुई जबकि सुरक्षाकर्मियों समेत दर्जनों लोग घायल हुए। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें।

हमारी अब तक की जांच से यह साफ है कि वायरल वीडियो दिसंबर 2019 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुए लाठीचार्ज का है। इस वीडियो का संभल में हुई हालिया हिंसा से कोई संबंध नहीं है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा फर्जी है।

दावा

“संभल में यूपी पुलिस की बर्बरता इस वीडियो में देखिए। प्रदर्शनकारी किसी पर पथराव नहीं कर रहे थे, हिंसा नहीं कर रहे थे। ना किसी के हाथ में कोी डंडा कोई हथियार कोई ईंट पत्थर दिखाई दे रहा। इसके बावजूद पुलिस ने लाठी बरसा दी। हिंसा ऐसे ही नहीं हुई! हिंसा कराई गई है?”

तथ्य

पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की जांच में वायरल दावा फर्जी साबित हुआ।

निष्कर्ष

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को हालिया हिंसा से जोड़कर किया जा रहा दावा पूरी तरह से फर्जी है। यह वीडियो गोरखपुर में 2019 सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज का है। इसका संभल हिंसा से कोई संबंध नहीं है।

(Disclaimer: यह फैक्ट चेक मूल रूप से PTI News द्वारा किया गया है, जिसे Shakti Collective की मदद से India TV ने पुन: प्रकाशित किया है)