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Hindi News फैक्ट चेक Fact Check: भारत का नहीं है क्लास में हिजाब पहने छात्राओं को पीटने का VIDEO, झूठा निकला दावा

Fact Check: भारत का नहीं है क्लास में हिजाब पहने छात्राओं को पीटने का VIDEO, झूठा निकला दावा

फेसबुक और X पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रह है। इस वीडियो में तीन छात्र एक छात्रा को लात और लाठी से पीटते दिख रहे हैं। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि ये लड़के हिंदू हैं और हिजाब में लड़की को पीट रहे। जब हमने इसका फैक्ट चेक किया तो दावा झूठा निकला।

fact check- India TV Hindi Image Source : INDIA TV हिजाब में छात्रा को पीटने के वीडियो का फैक्ट चेक

India TV Fact Check: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक क्लासरूम के अंदर कुछ छात्र डेस्क पर बैठी छात्रा को पीटते हुए दिए रहे हैं। वीडियों में दिख रहा है कि इस छात्रा ने हिजाब पहना हुआ है और लड़के उसे कभी डंडे से तो कभी पैरों से एक-एक करके पीटते दिख रहे हैं। इस वीडियो के साथ ये दावा किया जा रहा है कि ये भारत के किसी स्कूल का है और हिजाब पहने छात्रा को मारने वाले लड़के हिंदू हैं। जब हमने इस वीडियो का फैक्ट चेक किया तो ये वीडियो पुराना निकला और भारत की बजाय इंडोनेशिया का निकला।

क्या हो रहा वायरल?
दरअसल फेसबुक से लेकर X तक, हर जगह ये वीडियो तेजी से शेयर किया जा रहा है। फेसबुक पर फैज खान नाम के एक यूजर ये वीडियो रील शेयर की है। इस वीडियो के साथ फैज खान ने कैप्शन में लिखा है, "ये किसी कॉलेज का वीडियो है और ये ऐसा कॉलेज है जहां हिंदू लड़के लड़कियां साथ पढ़ाई करते हैं यहां देखिए हिजाब वाली लड़कियों के साथ कैसा बर्ताओ करते हैं संघी मानसिकता वाले लड़के माना की पढ़ना बहुत जरूरी है लेकिन इस तरह के कॉलेज से बिल्कुल नहीं।" (कैप्शन को जस का तस लिखा गया है)

Image Source : screenshotफेसबुक और X पर वायरल हो रहा ये वीडियो

यही वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर भी @Sameera63705192 नाम के यूजर ने शेयर किया है। ये वीडियो 20 सितंबर 2023 को पोस्ट किया गया है। 30 सेकेंड के इस वीडियो के साथ कैप्शन में अंग्रेजी में लिखा गया है, "स्कूल में हिजाब पहने एक लड़की को कुछ लड़के मार रहे हैं। अब ये नफरत हर जगह फैल गई है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। कहां हैं वे लोग जिन्होंने मुसलमानों को मार्गदर्शन दिया? इन लोगों के मुंह से मुसलमानों के लिए कोई आवाज़ क्यों नहीं निकली?" जाहिर है इस वीडियो के जरिए संप्रदायिक विवाद फैलाने की कोशिश की जा रही है।

इंडिया टीवी ने किया फैक्ट चेक
जब हमने ये वीडियो ध्यान से देखा तो हमें तो छात्रों की बोली कोई खास समझ नहीं आ रही थी। इसके बाद हमने वाीडियो के कुछ कीफ्रेम को गूगल पर रिवर्स सर्च किया। इस दौरान सर्च रिजल्ट में हमें इस वीडियो से संबंधित एक खबर मिली जो tribun cirebon news पर 13 फरवरी 2020 को पब्लिश की गई थी। इस खबर में भी वायरल वीडियो का एक कीफ्रेम उपयोग किया गया था और पूरी घटना के बारे में जानकारी दी गई थी। 

Image Source : screenshot इंडोनेशिया की वेबसाइट पर मिली ये खबर

इस खबर के मुताबिक, "पुरवोरेजो के एक निजी जूनियर हाई स्कूल की कक्षा में तीन छात्रों द्वारा एक छात्रा को धमकाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह मुहम्मदियाह नीड मिडिल स्कूल, पुरवोरेजो, सेंट्रल जावा की घटना है। पुरवोरेजो पुलिस के उप प्रमुख आयुक्त एंडिस अरफ़ान टोफ़ानी से जब इस मामले को लेकर संपर्क किया गया तो उन्होंने भी घटना की पुष्टि की है।" इसके बाद हमने पुरवोरेजो(Purworejo) के बारे में जानकारी जुटाई तो पता लगा कि पुरवोरेजो कस्बा इंडोनेशिया में स्थित है। 

लिहाजा वायरल वीडियो भारत का नहीं बल्कि इंडोनेशिया के पुरवोरेजो का है। ये घटना भी साल 2020 की है। इसके बाद जब हमने tribun cirebon news के बारे में पता किया तो ये इंडोनेशिया की ही एक न्यूज वेबसाइट निकली। इसके बाद हमने अपनी पड़ताल को और पुख्ता करने के लिए थोड़ा सर्च किया। इस दौरान हमें 13 फरवरी 2020 का ही और वीडियो मिला। हिजाब में छात्रा को पीटने वाला ये वीडियो GTV Indonesia News के आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया था। इस वीडियो के कैप्शन में लिखा था, "पुरवोरेजो में एक निजी मिडिल स्कूल के छात्र का एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह गुंडागर्दी जूनियर हाई स्कूल के तीन छात्रों ने एक कक्षा में एक महिला छात्र के खिलाफ की थी।" इस वीडियो में भी वही बात कही गई थी जो Tribun cirebon news ने कही थी। 

पड़ताल में क्या निकला?
इंडिया टीवी के फैक्ट चेक में ये सामने आया कि फेसबुक और एक्स पर वायरल किया जा रहा ये वीडियो भारत का नहीं बल्कि इंडोनेशिया का है। हिजाब में छात्रा को पीट रहे तीन छात्रों का ये वीडियो साल 2020 में सामने आया था। इससे जुड़ी कुछ और न्यूज रिपोर्ट खंगालने पर पता चला कि इस वीडियो में लड़की को पीट रहे तीन छात्र नाबालिग थे इसलिए उन्हें बाल संरक्षण अधिनियम के तहत साढ़े तीन साल की पेनल्टी दी गई थी।

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