Fact Check: मोदी सरकार नहीं चला रही फ्री सिलाई मशीन योजना, फर्जी निकली वायरल पोस्ट
फेसबुक पर एक सरकारी योजना को लेकर खबर वायरल हो रही थी कि केंद्र सरकार गरीब महिलाओं को फ्री में सिलाई मशीन देने के लिए एक योजना चला रही है। इस वायरल पोस्ट का हमने फैक्ट चेक किया तो हमारी पड़ताल में दावा पूरी तरह फर्जी निकला।
India TV Fact Check: सोशल मीडिया पर इन दिनों कोई भी सूचना फैलने में समय नहीं लगता खास तौर पर तब जब कोई जानकारी भ्रामक हो। सरकार की योजनाओं को लेकर भी तरह-तरह के भ्रामक दावे इंटरनेट पर वायरल होते रहते हैं। ऐसी ही एक सोशल मीडिया पोस्ट हमारे सामने आई जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार सिलाई मशीन योजना के नाम से एक योजना चला रही है, जिसके तहत महिलाओं को मुफ्त में सिलाई मशीन दी जाएगी। इस पोस्ट का जब हमने फैक्ट चेक किया तो ये दावा पूरी तरह से भ्रामक निकला।
क्या हो रहा वायरल?
दरअसल फ्री सिलाई मशीन योजना वाली ये पोस्ट फेसबुक पर शेयर की गई। ये पोस्ट फेसबुक यूजर 'royals3119' ने 7 सितंबर 2023 को शेयर की थी। इस पोस्ट के साथ एक खबर की लिंक शेयर की गई है और कैप्शन में लिखा है, "PM Free Silai Machine. (आवेदन) फ्री सिलाई मशीन योजना 2023: रजिस्ट्रेशन फॉर्म, Free Silai Machine Yojana 2023 Online Application Form PDF, प्रधानमंत्री फ्री सिलाई मशीन सहायता योजना पंजीकरण फॉर्म डाउनलोड | पीएम फ्री सिलाई मशीन योजना फॉर्म डाउनलोड, लिस्ट में नाम देखे – हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा एक नई योजना आरम्भ की गई है, जिसका नाम फ्री सिलाई मशीन योजना 2023 है। हमारे देश की महिलाओं को रोजगार देने के लिए।" (कैप्शन को जस का तस लिखा गया है।)
इंडिया टीवी ने की पड़ताल
'मोदी सरकार की फ्री सिलाई मशीन योजना' वाली पोस्ट की जब हमने पड़ताल शुरू की तो फेसबुक पोस्ट के साथ दी गई खबर के लिंक पर क्लिक किया और इस खबर को ध्यान से पढ़ा। 'जॉब एक्सपर्ट इंडिया' नाम की इस वेबसाइट पर प्रकाशित इस खबर को पढ़ने के दौरान ही ये समझ में आने लगा था कि ये कोई आधिकारिक पोर्टल नहीं है और इस योजना के बारे में जानकारी भी पूरी नहीं दी गई थी।
इस खबर में इस 'फ्री सिलाई मशीन योजना' को लेकर केंद्र सरकार द्वारा किसी भी आधिकारिक घोषणा का जिक्र नहीं किया गया है और ना ही ये बताया गया कि ये योजना कब से शुरू हुई है। इस पूरी खबर में एक ही बात को घुमा-फिराकर बार बार दोहराया जा रहा था।
इस खबर में नीचे जाने पर 'फ्री सिलाई मशीन योजना' के लिए आवेदन करने हेतु एक लिंक भी दी गई थी। जब हमने इस लिंक पर क्लिक किया तो सरकारी वेबसाइट का होमपेज खुला। हमने इस सरकारी वेबसाइट को अच्छी तरह से खंगाला लेकिन हमें कहीं भी 'फ्री सिलाई मशीन योजना' से जुड़ी कोई जानकारी अब तक नहीं मिली थी। इसके बाद हमने इस होमपेज पर दिए गए सर्च बार में सिलाई मशीन योजना लिखकर सर्च किया तो कई सारी लिंक सामने आई जिसमें सबसे ऊपर 'अप्लाई फॉर सीविंग मशीन स्कीम' वाली लिंक दिख रही थी।
हमने इस पहली लिंक पर क्लिक किया तो एक दूसरी वेबसाइट पर जा पहुंचे। ये भी एक सरकारी पोर्टल था जहां हरियाणा सरकार से जुड़ी ' Apply for Sewing Machine Scheme Registered Women Workers of HBOCWW Board, Haryana (सिलाई मशीन स्कीम)' की लिंक दिख रही थी। हमने इसपर भी क्लिक किया तो एक और नया होमपेज खुला।
हमारे सामने ये जो नया होमपेज खुला था, वह हरियाणा सरकार की वेबसाइट थी। हरियाणा सरकार की ये वेबसाइट डलिवरी सर्विस से जुड़ी हुई थी। इसे हमने ध्यान से खंगाला लेकिन होमपेज पर कहीं भी 'फ्री सिलाई मशीन योजना' के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। जिस फ्री सिलाई मशीन योजना के आवेदन की लिंक से हम यहां तक पहुंचे, वो पूरी प्रक्रिया भ्रामक निकली और कोई भी पुख्ता जानकारी हासिल नहीं हो सकी।
योजना से जुड़ी नहीं मिली कोई आधिकारिक जानकारी
इसके बाद हमने गूगल पर जाकर सीधे 'फ्री सिलाई मशीन योजना' के बारे में सर्च किया। गूगल सर्च के दौरान हमारे सामने जितने भी सर्च रिजल्ट आए वो सभी उसी तरह की अनाधिकृत वेबसाइट के लिए थे, जो हमें फेसबुक पोस्ट के साथ अटैच मिली थी। हमारे सामने दिखने वाली लगभग हर एक लिंक पर हमने क्लिक करके देखा लेकिन कहीं भी 'फ्री सिलाई मशीन योजना' के बारे में ना तो कोई सरकारी वेबसाइट मिली और ना ही किसी सरकारी पोर्टल पर इस संबंध में कोई जानकारी मिली। बता दें कि जब भी कोई सरकार (केंद्र या राज्य) कोई योजना चलाती है तो लाभार्थियों की सुविधा के लिए उससे संबंधित अलग से वेबसाइट या किसी मौजूदा सराकरी वेबसाइट पर पोर्टल बनाती है। या फिर उस योजना के बारे सरकारी आदेश जारी करती है। लेकिन इस मामले में हमें ऐसा कुछ भी नहीं मिला।
पड़ताल में क्या मिला?
अब तक ये साफ हो चुका था कि केंद्र सरकार कोई भी 'फ्री सिलाई मशीन योजना' स्कीम नहीं चला रही है और फेसबुक वायरल हो रही ये पोस्ट और खबर दोनो ही पूरी तरह फर्जी हैं। इसको लेकर भारत सरकार की एजेंसी पीआईबी ने भी इस खबर को खारिज किया है और बताया कि केंद्र सरकार ऐसी कोई भी योजना नहीं चला रही है।
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