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World Telecommunication Day 2024: लैंडलाइन से लेकर 5G तक, पिछले 55 साल में कितना बदला कम्युनिकेशन सिस्टम?

World Telecommunication Day 2024: हर साल 17 मई को वर्ल्ड कम्युनिकेशन डे एंड इंफॉर्मेशन सोसाइटी डे के तौर पर मनाया जाता है। इंटरनेशनल टेलीकॉम यूनियन (ITU) पिछले 55 साल से वर्ल्ड कम्युनिकेशन डे को सेलिब्रेट कर रहा है। ITU का मुख्य काम पूरी दुनिया में टेलीकम्युनिकेशन को बेहतर करना है।

World Telecommunication Day 2024- India TV Hindi Image Source : FILE World Telecommunication Day 2024

World Telecommunication Day 2024: इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) हर साल 17 मई को वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन डे के तौर पर सेलिब्रेट करता है। वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन डे को आधिकारिक तौर पर World Telecommunication and Information Society Day के नाम से मनाया जाता है। हर साल दुनियाभर के टेलीकॉम यूनियन टेलीकॉम सर्विस और इसके प्रभाव पर चर्चा करते हैं। इस साल वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन डे का टॉपिक डिजिटल इनोवेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट रखा गया है। पहला टेलीफोन कॉल 10 मार्च 1876 को एलेकजेंडर ग्राहम बेल द्वारा किया गया था। इसके बाद दुनिया में संचार क्रांति की शुरुआत हो गई। 17 मई 1969 को पहली बार वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन डे मनाया गया था। पिछले 55 साल में टेलीकॉम सर्विस लैंडलाइन से लेकर 5G स्मार्टफोन पर शिफ्ट हो गई है।

World Telecommunication Day का इतिहास

17 मई 1969 को इंटरनेशन टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) की स्थापना की गई थी। तब से इस दिन को वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन ही सन 1865 में पहली बार इंटरनेशनल टेलीग्राफ कन्वेंशन साइन किया गया था। नवंबर 2005 में इंफॉर्मेशन सोसाइटी द्वारा वर्ल्ड समिट का आयोजन किया गया था। इसमें यूनाइटेड नेशन (UN) से इस दिन को वर्ल्ड इंफॉर्मेशन सोसाइटी डे के तौर पर भी मनाने के लिए आग्रह किया गया था, जिसे UN की जनरल असेंबली ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद से 17 मई को World Telecommunication and Information Society Day मनाया जाता है।

इंटरनेट के आने के बाद से कम्युनिकेशन और भी आसान हो गया। ITU ने 1999 में पहली बार वर्ल्ड कम्युनिकेशन डे पर ई-कॉमर्स के बारे में चर्चा की थी। इसके बाद अगले साल 2000 में मोबाइल कम्युनिकेशन और 2001 में इंटरनेट और इसके चैलेंज और ऑपर्च्युनिटी के बारे में चर्चा की गई थी। इस साल का टॉपिक डिजिटल इनोवेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट रखा गया है। पिछले 55 साल में इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की स्थापना के बाद से पूरी दुनिया में किस तरह से कम्युनिकेशन सिस्टम आगे बढ़ा है। आइए, उस पर नजर डालते हैं।

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55 साल में कितना बदला कम्युनिकेशन सिस्टम?

इंटरनेशनल कम्युनिकेशन यूनियन के बनाए जाने के चार साल बाद 3 अप्रैल 1973 को पहली बार मोबाइल कॉल किया गया था। यह मोबाइल कॉल मोटोरोला के एक रिसर्चर और एक्जीक्यूटिव मार्टिन कूपर ने किया था। मार्टिन कूपर ने जिस मोबाइल हैंडसेट के जरिए कॉल किया था उसका वजन 2 किलोग्राम था। हालांकि, आज आने वाले मोबाइल हैंडसेट पहले मोबाइल फोन के मुकाबले वजन में काफी हल्के होते हैं।

पहली कमर्शियल मोबाइल सर्विस

1979 में जापान की कंपनी NTT ने टोक्यो में पहली कमर्शियल मोबाइल सर्विस की शुरुआत की थी। जापान के बाद 1981 में डेनमार्क, फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन में Nordic Mobile Telephone (NMT) ने कमर्शियल मोबाइल सर्विस लॉन्च की। इसके बाद 1983 में अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी Ameritech ने शिकागो में कमर्शियल मोबाइल सेवा की शुरुआत की थी। भारत में 31 जुलाई 1995 में पहली बार मोबाइल सेवा की शुरुआत की गई। Modi Telstra नाम की कंपनी ने MobileNet के नाम से कोलकाता में कमर्शियल मोबाइल सर्विस लॉन्च की थी।

2G सर्विस

मोबाइल कम्युनिकेशन की दूसरी जेनरेशन यानी 2G की शुरुआत 1991 में हुई थी। फिनलैंड में GSM (ग्लोबल सर्विस मोबाइल) स्टैंडर्ड की 2G सर्विस की शुरुआत की गई थी। इसके बाद मोबाइल कम्युनिकेशन के जरिए इंटरनेट और डेटा का एक्सेस किया जाने लगा। भारत में BSNL ने 1995 में पहली बार 2G सर्विस लॉन्च की थी। इसके बाद Airtel, Reliance India Mobile, Hutch, idea जैसी टेलीकॉम कंपनियों ने 2G के एडवांस वर्जन EDGE सर्विस लॉन्च की, जिसके जरिए इंटरनेट डेटा को और तेजी से एक्सेस किया जाने लगा।

3G सर्विस

पहली बार मोबाइल सर्विस कमर्शियल लॉन्च करने वाली कंपनी NTT Docomo ने 1998 में पहली बार 3G सर्विस की शुरुआत की थी। 3G सर्विस के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट 1980's में ही शुरू हो गई थी। 3G सर्विस के लॉन्च होने के बाद मोबाइल नेटवर्क के जरिए ऑडियो-वीडियो कॉलिंग संभव हो सकी थी। 3G सर्विस के लॉन्च होने के बाद मोबाइल पर 2 Mbps की मैक्सिमम स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जाने लगा था। भारत में 3G सर्विस 11 दिसंबर 2008 को लॉन्च हुआ था। MTNL ने दिल्ली और मुंबई में पहली बार 3G सर्विस की शुरुआत की थी।

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4G सर्विस

4G सर्विस को पहली बार 14 दिसंबर 2009 को कमर्शियली लॉन्च किया गया था। इसे नार्वे में स्वीडिश-फिनिश नेटवर्क ऑपरेटर TeliaSonera ने शुरू किया था। 4G में 3G के मुकाबले 10 गुना ज्यादा स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जाने लगा। सही मायनों में डिजिटल रिवॉल्यूशन में सबसे बड़ा योगदान 4G सर्विस का रहा है। 4G लॉन्च होने के बाद IoT डिवाइसेज का चलन बढ़ा। इसके बाद कम्युनिकेशन केवल स्मार्टफोन या मोबाइल फोन तक ही सीमित नहीं रहा। लोग स्मार्ट डिवाइस का इस्तेमाल करने लगे और 4G इकोसिस्टम डेवलप हुआ। भारत में 10 अप्रैल 2012 को Airtel ने सबसे पहले 4G सेवा शुरू की थी। एयरटेल ने सबसे पहले कोलकाता में 4G लॉन्च किया। इसके बाद बेंगलुरू, पुणे और चंडीगढ़ में 4G सेवा शुरू की गई।

5G सर्विस

इस समय मोबाइल कम्युनिकेशन की पांचवी जेनरेशन यानी 5G सर्विस पूरी दुनिया में लॉन्च हो गई है या फिर लॉन्च की जा रही है। इस मोबाइल कम्युनिकेशन में 1Gbps की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। दक्षिण कोरिया की टेलीकॉम कंपनी SK Telecom ने अप्रैल 2019 में पहली बार कमर्शियल 5G सर्विस लॉन्च की थी। इसके बाद चीन, अमेरिका, जापान में 5G सेवा की शुरुआत हुई। भारत में 1 अक्टूबर 2022 को इंडिया मोबाइल कांग्रेस में 5G सेवा लॉन्च किया गया। Airtel और Jio ने अब तक पूरे भारत के हर टेलीकॉम सर्कल में 5G सेवा पहुंचा दी है। 5G सर्विस में मशीन और इंसानों के बीच कम्युनिकेशन आसान हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के आने के बाद आप वर्चुअली पूरी दुनिया घूम सकते हैं।