Explainer:गाजा में अल्प युद्ध विराम की अपनी मांग से अमेरिका को क्यों हटना पड़ा पीछे, नेतन्याहू ने क्यों नहीं मानी बाइडेन की बात?
गाजा में इजरायली सेना लगातार जमीनी और हवाई हमले कर रही है। इसमें हजारों फिलिस्तीनी नागरिक भी मारे जा रहे हैं। फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत को रोकने और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अमेरिका ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कुछ समय के लिए युद्ध विराम की मांग की थी। मगर नेतन्याहू कुछ वजहों से नहीं माने।
गाजा में अल्प युद्ध विराम की अपनी मांग से अमेरिका आखिरकार पीछे हट गया है। बता दें कि गाजा पट्टी में हमास आतंकियों के खात्मे के लिए चलाए जा रहे इजरायली अभियान में हजारों फिलिस्तीनी नागरिक भी मारे जा चुके हैं। इनमें सैकड़ों बच्चे भी शामिल हैं। इस दर्दनाक मौत के मंजर को रोकने के लिए और गाजा में अस्थाई शांति लाने और फंसे निर्दोष फिलिस्तीनियों को बाहर निकालने के लिए अमेरिका ने पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से कुछ समय के लिए युद्ध रोकने की मांग थी। मगर नेतन्याहू ने कुछ वजहों से अल्प युद्ध विराम करने से इन्कार कर दिया था। नेतन्याहू के रुख को देखने के बाद अमेरिका भी अब अपनी मांग से पीछे हट गया है। जबकि अरब अभी लागातर इसके लिए इजरायल और अमेरिका पर दबाव बना रहा है। आइये अब आपको मांग और इन्कार की पूरी वजह बताते हैं।
हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर बड़ा आतंकी हमला किया था। इस दौरान उसने सैकड़ों इजरायली लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इजरायल में नोवा के एक म्यूजिक कार्यक्रम में भी हमास के आतंकियों ने 200 से अधिक युवाओं को बेरहमी से मार डाला था। जो लोग हमले में किसी तरह बच गए, उन्हें हमास आतंकियों ने बंधक बना लिया। फिर ले जाकर युवतियों और महिलाओं के साथ बलात्कार किया। बेटियों का बलात्कार उनके मां-बाप के सामने और महिलाओं को उनके पति के सामने किया। बच्चों को उनके माता-पिता के सामने ही बर्बरता से मार डाला। हमास आतंकियों की ये बर्बरता आइएसआइएस के आतंकियों से कम नहीं थी। इसीलिए इजरायल ने हमास को आइएसआइएस से भी बुरा होने की बात कही। हमास ने कई लोगों का गला काटा तो कुछ को जिंदा जलाकर मार दिया। इससे इजरायली सेना का खून खौल उठा।
इजरायली सेना ले रही हमास से बदला
इजरायली सेना हमास आतंकियों की इस बर्बरता का अब बदला ले रही है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा से हमास आतंकियों को खत्म करने और गाजा पट्टी को उनके चंगुल से मुक्त कराने की कसम खाई है। नेतन्याहू कह चुके हैं कि जब तक गाजा को हमास से मुक्त नहीं करा लेते और सभी आतंकियों को मौत के घाट नहीं उतार देते, तब तक इजरायली सेना युद्ध जारी रखेगी। जबकि इसी बीच अरब देशों द्वारा गाजा पट्टी में इजरायली हमले से आमजनों के नरसंहार का मुद्दा उठाकर अमेरिका के ऊपर युद्ध विराम कराने का दबाव बनाया गया। लिहाजा अमेरिकी राष्ट्रपति ने जोर देकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कहा कि वह युद्ध थोड़े समय के लिए रोक दें।
बाइडेन ने ये कहकर की थी अपील
बाइडेन ने बेजामिन नेतन्याहू से कहा कि गाजा में निर्दोष फिलिस्तीनी भी मारे जा रहे हैं। यह मानवता के नियमों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। इस वक्त फिलिस्तीनी नागरिकों को खान-पान से लेकर दवा, इलाज और उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने की जरूरत है। इसलिए इजरायल को मानवता के लिए कुछ समय के लिए ही सही, युद्ध को रोक देना चाहिए। बाइडेन के अलावा संयुक्त राष्ट्र और अरब देश भी नेतन्याहू से यही मांग करते रहे। साथ ही फिलिस्तीनियों को मिस्र के रास्ते गाजा बॉर्डर से राहत सामग्री भी पहुंचाई जाने लगी। इजरायल ने युद्ध तो नहीं रोका, लेकिन रुका हुआ पानी फिर गाजा को सप्लाई करना शुरू कर दिया। लोगों में उम्मीद जगी कि अब शायद इजरायल कुछ समय के लिए युद्ध रोक देगा। मगर इजरायल ने ऐसा नहीं किया।
नेतन्याहू ने क्यों नहीं मानी बाइडेन की बात
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बाइडेन की अपील के बाद यह माना जा रहा था कि जल्द ही गाजा में युद्ध विराम हो जाएगा। मगर इसी दौरान हमास और हिजबुल्ला ने इजरायल पर हमले तेज कर दिए। साथ ही हमास आतंकियों ने इजरायली सेना को धमकी देना शुरू कर दिया। हमास के आतंकियों ने यहां तक कह दिया कि टैंक से गाजा पट्टी को घेरने वाले इजरायली सैनिकों को काले बैग में भरकर वापस भेजेंगे। हमास ने धमकी दी कि वह इजरायल के सामने झुकेगा नहीं और उसका 7 अक्टूबर का पहला हमला, भले ही उतना सफल नहीं हो पाया हो, लेकिन वह आगे भी इस तरह के हमले इजरायल पर बार-बार करेगा। एक तरफ बाइडेन की अपील और दूसरी तरफ आतंकियों की धमकी से नेतन्याहू का दिमाग सनक गया। फिर उन्होंने युद्ध विराम न करने की ठान ली। नेतन्याहू ने बाइडेन की अपील के जवाब में साफ कहा कि गाजा में इस वक्त युद्ध विराम करना, हमास को ऐसे और आतंकी हमले करने का मौका देना होगा। साथ ही आतंकियों के हौसले को इससे बढ़ावा मिलेगा। नेतन्याहू ने कहा कि जब तक हमास 240 बंधकों को मुक्त नहीं कर देता, तब तक तो युद्ध विराम बिल्कुल भी संभव नहीं है। यह कहकर नेतन्याहू ने बाइडेन की अपील को खारिज कर दिया।
अमेरिका इस वजह से हटा अपनी मांग से पीछे
अमेरिका ने जब नेतन्याहू का रुख देख लिया तो वह समझ गया कि इस मांग से पीछे हटना ही बेहतर है। साथ ही अमेरिका को भी बेंजामिन नेतन्याहू की बात समझ में आ गई। आती भी क्यों नहीं, आखिरकार हमास आतंकियों ने अमेरिका के भी 20 से ज्यादा नागरिकों को बंधक बनाने के बाद मार दिया था। ऐसे में अमेरिका भी हमास आतंकियों का पूरी तरह खात्मा चाहता है। इसीलिए अमेरिका ने हाल ही में इजरायल को 14.5 अरब डॉलर की बड़ी मदद का ऐलान भी किया है। लिहाजा अमेरिका अपनी मांग से पीछे हट गया। हालांकि नेतन्याहू ने बाइडेन की बात का सम्मान रखते हुए फिलिस्तीनी नागरिकों को उत्तरी गाजा से दक्षिणी गाजा की ओर निकल जाने की अपील की। साथ ही उन्हें यह भी भरोसा दिलाया कि गाजा के फिलिस्तीनियों को वह सुरक्षित कोरिडोर से दक्षिण की ओर पहुंचाने का वादा करता है। इजरायली सेना ने फिलिस्तीनियों से कहा कि उनकी दुश्मनी हमास से है, आम नागरिकों से नहीं। वह हमास का खात्मा करने तक अपने सैन्य अभियान को जारी रखेंगे।
अरब देश हुए नाराज
इजरायल के युद्ध विराम से इन्कार के बाद अमेरिका भी नेतन्याहू के समर्थन में आ गया। इससे अरब देश नाराज हो गए। मगर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने साफ कह दिया कि गाजा में युद्ध विराम करना संभव नहीं है। ऐसा करने से हमास आतंकियों का हौसला बढ़ेगा। बता दें कि इजराइल-हमास युद्ध में हजारों फिलस्तीनी नागरिकों की मौत की निंदा कर रहे अरब नेताओं ने शनिवार को तत्काल संघर्षविराम पर जोर दिया। जबकि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आगाह किया कि ऐसा कदम प्रतिकूल होगा तथा इससे आतंकवादी समूह को और हिंसा करने का बढ़ावा मिलेगा। मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, कतर और अमीरात के राजनयिकों के साथ दोपहर की वार्ता के बाद ब्लिंकन ने चर्चा को गाजा में नागरिकों की रक्षा करने तथा उन तक सहायता पहुंचाने की साझा इच्छा बताया। अरब देशों और ब्लिंकन के संदेशों में विसंगति स्पष्ट है। ब्लिंकन ने इस बैठक से एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बंद कमरे में बातचीत की थी।