Explainer : चीन क्यों है हमारा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर, क्यों फल-फूल रहा कारोबार? जानिए इसके पीछे का रहस्य
चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बना हुआ है। दोनों पड़ोसियों के बीच व्यापार में मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक सामान, मशीनरी, रसायन और उर्वरक, लोहा, इस्पात और एल्यूमीनियम, प्लास्टिक और कई छोटे मूल्य वाली वस्तुएं जैसे ग्रूमिंग उत्पाद और टेबलवेयर शामिल हैं।
अमेरिका के साथ गठजोड़ के चलते हम भले ही चीन को अपने खेमे वाला देश नहीं मानते हों, लेकिन भारत का दुनिया में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार चीन ही है। वित्त वर्ष 2023-24 में वैश्विक व्यापार में गिरावट के बावजूद चीन के साथ भारत के व्यापार में विस्तार हुआ है और एक बार फिर चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बनकर उभरा है। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध थोड़े तनावग्रस्त कहे जा सकते हैं। हाल ही वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में विदेशों से देश की कुल व्यापारिक खरीद 6 फीसदी कम हुई। इसके बावजूद चीन से भारत का आयात 3 फीसदी बढ़ा है। इसी तरह भारत का चीन को निर्यात 9 फीसदी बढ़ा है। जबकि कुल निर्यात में 3 फीसदी की गिरावट आई।
चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग के बावजूद चीन से भारत का आयात, वित्त वर्ष 2023-24 में 100 अरब डॉलर को पार कर गया। यह चीन को हमारे निर्यात की तुलना में कई गुना है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या वजह है और भारत चीन से कौन-कौन सी वस्तुओं का आयात करता है।
इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद
दोनों पड़ोसियों के बीच व्यापार में मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक सामान, मशीनरी, रसायन और उर्वरक, लोहा, इस्पात और एल्यूमीनियम, प्लास्टिक और कई छोटे मूल्य वाली वस्तुएं जैसे ग्रूमिंग उत्पाद और टेबलवेयर शामिल हैं। मूल्य के हिसाब से आयात का 45% से अधिक हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेटेड सर्किट एंड माइक्रोअसेंबली, सेमीकंडक्टर एंड डायोड्स, प्रिंटेड सर्किट्स का है, जिनमें से सभी के व्यापक उपयोग हैं। साथ में टेलीफोन सेट सहित संचार उपकरण भीा शामिल हैं।
फरवरी तक उपलब्ध आइटम लेवल ट्रेड डेटा बताता है कि चीन कई वस्तुओं के आयात का प्राइमरी सोर्स था, कभी-कभी 50% से भी ज्यादा। उदाहरण के लिए, लगभग 50% या उससे अधिक इलेक्ट्रिक मोटर और जनरेटर, इलेक्ट्रिक ट्रांसफार्मर, इलेक्ट्रिक एक्युमुलेटर (ज्यादातर बैटरी) और उनके पुर्जे चीन से आयात किए जाते हैं। ज्यादातर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में यूज होने वाली लिथियम आयन बैटरी का आयात 2 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया है।
90% ये छोटे उपकरण चीन से आते हैं
छोटे उपकरणों की बात करें, तो मूल्य के अनुसार इनमें से लगभग 90% चीन से आते हैं। इनमें फूड ग्राइंडर, फूड प्रोसेसर, मिक्सर और जूसर शामिल हैं। 80% वैक्यूम क्लीनर चीन से आते हैं। इसके अलावा 50 फीसदी पर्सनल ग्रूमिंग आइटम जैसे- शेवर्स, हेयर क्लिपर और एपिलेटर चीन से आते हैं।
कंप्यूटर और लैपटॉप
कंप्यूटर और लैपटॉप भी आयात का एक बड़ा हिस्सा है। चीन से 4 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के सामान खरीदे गए थे। 2023-24 में चीन से आयात किए गए कंप्यूटर हार्डवेयर का मूल्य लगभग 8 अरब डॉलर था।
स्मार्टफोन आयात में आई गिरावट
सरकार की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना के कारण भारत के प्रमुख उत्पादन केंद्र बनने के साथ ही मोबाइल फोन जैसे सामानों का आयात कम हो गया है। चीन से स्मार्टफोन का आयात अप्रैल-फरवरी की अवधि में लगभग 35% घटकर 1.48 मिलियन यूनिट रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 2.26 मिलियन यूनिट था, हालांकि, आयात मूल्य 8% बढ़कर 853 मिलियन डॉलर हो गया।
पांचवें हिस्से से भी कम है हमारा एक्सपोर्ट
चीन को भारत के निर्यात का मूल्य आयात के पांचवें हिस्से से भी कम है। पेट्रोलियम उत्पाद और समुद्री उत्पाद मुख्य निर्यात हैं। चीन को निर्यात किए जाने वाले अन्य सामानों में लोहा और इस्पात, कार्बनिक रसायन, अवशिष्ट रसायन और संबद्ध उत्पाद तथा एल्यूमीनियम और इसके उत्पाद शामिल हैं।
चीन पर इतना निर्भर क्यों है भारत का व्यापार?
भारत की चीन पर निर्भरता तब बढ़ी, जब आयात उदारीकरण हुआ। यह उसी समय हुआ जब चीन सभी प्रकार के औद्योगिक और उपभोक्ता सामानों के लिए एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी मेगा फैक्ट्री के रूप में उभरा। साल 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में छोटी उत्पादन क्षमता, उच्च लागत और लघु उद्योग इकाइयों के लिए आरक्षण नीति द्वारा लगाई गई सीमाओं से बाधित भारतीय कंपनियों के लिए आयात लाभदायक हो गया। उदाहरण के लिए, छोटे उपकरणों की कंपनियों ने घरेलू उत्पादन के बजाय सस्ता आयात पसंद किया। धीरे-धीरे वैश्विक कंपनियों ने अपनी प्रोडक्ट लाइनों को चीन में स्थानांतरित कर दिया। फैक्ट्री उत्पादों के लिए दुनिया की चीन पर निर्भरता बढ़ गई। कुछ समय पहले तक Apple के iPhone का निर्माण मुख्य रूप से चीन में होता था। जैसे-जैसे भारत की ग्रोथ गति पकड़ती गई, वैसे-वैसे इंटरमीडिएट, कैपिटल और कंज्यूमर गुड्स के लिए चीन पर निर्भरता भी बढ़ती गई।
अब भारत में बढ़ रही मैन्युफैक्चरिंग
अब भारत सरकार के मेड इन इंडिया, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और PLI स्कीम जैसी योजनाओं के चलते घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिल रहा है। वैश्विक कंपनियां भी चीन+1 की पॉलिसी के तहत भारत की तरफ देख रही हैं।