क्यों और कैसे आती है बाढ़? कितने होते हैं प्रकार? जानें इस प्राकृतिक आपदा में फंसने पर क्या करें
इन दिनों उत्तर भारत का एक बड़ा इलाका भारी बरसात की वजह से आई बाढ़ से जूझ रहा है। इस लेख में हम बाढ़ के प्रकार और उससे निपटने के तरीकों आदि के बारे में बता रहे हैं।
नई दिल्ली: भारत के तमाम इलाकों में पिछले कुछ दिनों से भारी बरसात हो रही है। बारिश की वजह से उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर एवं अन्य इलाकों में नदियां उफान पर आई हुई हैं। नदियों के आसपास के कई इलाके जहां पानी में डूब चुके हैं वहीं कई बड़े शहरों में जलजमाव देखने को मिल रहा है। हालात इस कदर खराब हुए हैं कि आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मीडिया में बाढ़ की खबरें छाई हुई हैं, ऐसे में कई बार आपके मन में सवाल आता होगा कि आखिर कब माना जाता है कि किसी जगह पर बाढ़ आ गई? बाढ़ कितने प्रकार की होती है? सबसे भीषण बाढ़ कब आई थी? आज हम आपको ऐसे ही कई सवालों के जवाब देंगे।
बाढ़ किसे कहते हैं?
बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिसमें अचानक भारी मात्रा में जल का प्रवाह होने से सूखी धरती जलमग्न हो जाती है। ऐसा नदी के किनारे, झीलों और समुद्री तटों के पास भी हो सकता है। नदियों से आने वाली बाढ़ दुनियाभर में सबसे आम है। यह आपदा प्राकृतिक और अप्राकृतिक, दोनों तरह की हो सकती है। अगर भारी बरसात की वजह से नदियां उफान पर हों और तटबंध टूट जाएं तो इसे प्राकृतिक बाढ़ कहते हैं। कई बार मानव निर्मित बाढ़ विभिन्न कारणों से टूट जाते हैं और आसपास के बड़े इलाके को जलमग्न कर देते हैं, इस स्थिति को अप्राकृतिक बाढ़ कहते हैं। भारत में आमतौर पर मॉनसून की बारिश की वजह से बांध टूटने या नदियों का जलस्तर बढ़ने की वजह से बाढ़ आती है, इसलिए ये प्राकृतिक बाढ़ की श्रेणी में आता है।
बाढ़ कितने प्रकार की होती है?
बाढ़ मुख्य रूप से 5 प्रकार की होती है:
1: तटीय बाढ़ - चक्रवात, सुनामी या समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण होने वाले ज्वार-भाटा की वजह से इस प्रकार की बाढ़ आती है। तटीय बाढ़ के कारण होने वाला विनाश कई बार बहुत ज्यादा होता है।
2: फ्लैश या अचानक आई बाढ़ - अचानक और भारी वर्षा की वजह से जब बाढ़ आती है तो उसे ‘फ्लैश फ्लड’ या अचानक आई बाढ़ कहते हैं। ऐसी स्थिति बादल फटने के कारण पैदा होती है। इस तरह की बाढ़ ज्यादा देर तक नहीं टिकती, लेकिन कई बार भारी तबाही का कारण बन जाती है।
3: शहरी बाढ़ - बाढ़ जैसी आपदा सिर्फ प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण नहीं आती, बल्कि कई बार मैनेजमेंट की कमी भी इसकी वजह बनती है। शहरों में कई बार नाले आदि का सही से रखरखाव न होने की वजह से पानी इकट्ठा होता जाता है और बाढ़ का कारण बनता है।
4: भूजल बाढ़ - इस प्रकार की बाढ़ आने में समय लेती है क्योंकि ऐसी स्थिति लंबे समय तक भारी वर्षा होने की वजह से पैदा होती है। लंबे समय तक बारिश होने की वजह से जमीन पानी को सोख नहीं पाती और भूमिगत जल का स्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगताहै। बाढ़ की ऐसी स्थिति में पानी हफ्तों और कई बार महीनों तक टिका रह सकता है।
5: नदियों में बाढ़ - दुनिया के ज्यादातर हिस्से आमतौर पर नदियों में आई बाढ़ से ही प्रभावित होते हैं। लंबे समय तक पानी बरसने की वजह से नदियों और झीलों के तटबंध टूटने लगते हैं और आसपास का एक बड़ा इलाका जलमग्न होने लगता है। नदियों की बाढ़ कई बार बहुत भयावह होती है और भारी नुकसान का कारण बनती है।
बाढ़ की वजह से होने वाले नुकसान
बाढ़ की वजह से कई तरह के नुकसान होते हैं जिनमें जनजीवन की हानि, फसलों के नुकसान समेत निम्नलिखित चीजें शामिल हैं:
1: फसलों का नुकसान - किसी भी इलाके में बाढ़ आती है तो फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। बाढ़ की वजह से कई देश भुखमरी तक की कगार पर पहुंच जाते हैं।
2: जनजीवन की हानि - हर साल दुनियाभर में बाढ़ की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जानें जाती हैं। इसके अलावा पशु-पक्षी भी इस प्राकृतिक आपदा के चलते बड़ी संख्या में अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।
3: यातायात में व्यवधान - बाढ़ की वजह से कई बार सड़कें एवं पटरियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे यातायात में भी बाधा पहुंचती है। कई बार नदियों के बहाव में बड़े-बड़े पुल बह जाते हैं और कई इलाकों का बाकी दुनिया से संपर्क टूट जाता है।
4: बीमारियों मे वृद्धि - बाढ़ की वजह से मनुष्यों और जीव-जंतुओं की बड़ी मात्रा में जान जाने से कई तरह के विषाणु और रोगाणु जन्म लेते हैं। इनके प्रसारित होने से कई तरह की बीमारियां और महामारियां फैलती हैं।
5: आर्थिक दबाव - बाढ़ से हुए नुकसान को पूरा करने के लिए सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ जाता है। इसलिए ऐसी स्थिति मे गैर-बाढ़ पीड़ित लोगों पर अस्थायी टैक्स लगाते है जिससे लोगों पर आर्थिक दबाव पड़ता है।
बाढ़ में फंसने पर क्या करें?
यदि आप बाढ़ग्रस्त इलाके में रहते हैं तो निम्नलिखिन एहतियाती उपाय कर सकते हैं:
1: प्लास्टिक के तंबू, लकड़ी, कील, हथौड़ी, आरी, बेलचा, खुरपा जैसे औजारों को ऐसी जगह रखें जहां बाढ़ की हालत में भी आप आसानी से पहुंच सकते हैं। ये सभी चीजें बाढ़ की हालत में आपको अस्थायी आश्रय बनाने में काफी मददगार साबित हो सकती हैं।
2: बाढ़ में फंसने पर बचाव के लिए आप टॉर्च, बैटरियां, प्लास्टिक के थैले, कटने-जलने की दवा, बैंडेज, आम बीमारियों की दवा, पीने के पानी की बोतलें, रेडिमेड खाने के सामान आदि को भी एक मजबूत बैग में रख सकते हैं।
3: आपको सलाह दी जाती है कि इन चीजों के अलावा जरूरी कागजात अपने पास रखें और घर के कीमती सामान की लिस्ट बनाकर उनकी तस्वीरें भी लेकर रखें।
4: बाढ़ में कहीं भी फंसने पर सरकारी विभागों के साथ-साथ अपने परिचितों से भी संपर्क करें। आपातकालीन स्थिति में कई बार आपके आसपास की सरकारी व्यवस्था ठप हो सकती है।
भारत में सबसे ज्यादा बाढ़ वाले क्षेत्र
भारत में सबसे ज्यादा बाढ़ या तो तटीय इलाकों में आती है या फिर नदियों में पानी का स्तर बढ़ने से। भारत में प्रमुख बाढ़ क्षेत्र हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तरी बिहार, ब्रह्मपुत्र घाटी, तटीय आंध्र प्रदेश, ओडिशा और दक्षिणी गुजरात के साथ साथ गंगा के मैदानी इलाकों के हिस्से हैं। दक्षिण भारत की तुलना में नदियों की वजह सेे उत्तर भारत में कहीं ज्यादा बाढ़ आती है। भारत में आने वाली बाढ़ को हम गंगा बेसिन, मध्य भारत एवं दक्कन नदी बेसिन और ब्रह्मपुत्र और बराक बेसिन में बांट सकते हैं। इसके अलावा तटीय इलाकों में चक्रवात और सुनामी की स्थिति की वजह से भी कई बार बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है।