Explainer: अयोध्या में जिन महर्षि के नाम पर एयरपोर्ट बना, उनकी जाति को लेकर क्यों उठते हैं सवाल? विपक्षी पार्टियों को क्या डर सता रहा है!
आज पीएम मोदी ने अयोध्या में महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट अयोध्या धाम का उद्घाटन कर दिया है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों का कहना है कि वाल्मिकी समुदाय के वोटों को साधने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है। यहां हम जानेंगे कि महर्षि वाल्मिकी की जाति को लेकर क्यों मतभेद सामने आते हैं।
अयोध्या: यूपी के अयोध्या में इस समय उत्सव का माहौल है। रामलला को मंदिर में स्थापित करने की तारीख नजदीक आ रही है। 22 जनवरी को नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का समारोह होना है। आज पीएम मोदी ने अयोध्या में महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट अयोध्या धाम का उद्घाटन किया है।
ऐसे में विपक्षी पार्टियां, सरकार को लेकर ये सवाल भी उठाने लगी हैं कि एयरपोर्ट का नाम श्री राम इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जगह महर्षि वाल्मिकी के नाम पर क्यों रखा गया? विपक्षियों का कहना है कि दलित वोटर्स को साधने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। यूपी में चुनाव जीतने के लिए जातिगत समीकरणों का भी ध्यान रखना होता है, ऐसे में सरकार का ये फैसला बीजेपी के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।
कौन थे महर्षि वाल्मिकी?
महर्षि वाल्मिकी ने आदि काव्य रामायण की रचना की थी। रामायण में भगवान राम के जीवन की कहानी को विस्तार से बताया गया है। पौराणिक कथाओं में जिक्र होता है कि महर्षि वाल्मिकी का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण (प्रचेता) से हुआ था। वाल्मिकी के भाई का नाम भृगु था। वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी ही वाल्मिकी के माता-पिता थे लेकिन भील जाति के लोग बचपन में ही वाल्मिकी को चुराकर ले गए थे, इसलिए उनका पालन पोषण भील समाज में हुआ।
वाल्मिकी के बचपन का नाम रत्नाकर था और वह एक डाकू थे, जो जंगल से गुजरने वाले लोगों से लूट-पाट करते थे। एक बार नारद मुनि जंगल से गुजर रहे थे। तभी रत्नाकर ने लूट-पाट के लिए उन्हें रोक लिया था। नारद ने रत्नाकर से पूछा कि तुम ये पाप क्यों करते हो, तो रत्नाकर ने जवाब दिया था कि वह अपने परिवार के पालन पोषण के लिए ये काम करते हैं।
रत्नाकर की बात सुनकर नारद ने कहा था कि अपने परिवार से पूछकर आओ कि क्या वह तुम्हारे पाप में भागी बनेंगे। जब रत्नाकर परिवार से पूछने गए तो उनके परिवार ने साफ मना कर दिया और कहा कि वह उनके पाप में भागी नहीं बनेंगे। इसके बाद रत्नाकर ने गलत रास्ते को छोड़ दिया। रत्नाकर एक बार ध्यान की अवस्था में बैठे थे। वह ध्यान में इतना मग्न हो गए कि दीमकों ने उनके शरीर में अपना घर बना लिया। इसके बाद से रत्नाकर का नाम वाल्मिकी पड़ा।
महर्षि वाल्मिकी किस जाति के थे?
वाल्मिकी समुदाय दलित जाति से आता है। ऐसे में जब महर्षि वाल्मिकी का जिक्र होता है तो लोग उन्हें भी दलित जाति से संबंधित मानते हैं। हालांकि महर्षि वाल्मिकी की जाति को लेकर तमाम तरह के मतभेद सामने आते हैं। कथाओं में उन्हें ब्राह्मण पुत्र बताया गया है, जिसके अनुसार महर्षि वाल्मिकी ब्राह्मण थे। हालांकि कहीं-कहीं पर उन्हें दलित समुदाय का बताया गया है।
जिस कथा के आधार पर महर्षि वाल्मिकी को ब्राह्मण माना जाता है, उसके अनुसार उन्होंने ऋषि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण (प्रचेता) और उनकी पत्नी चर्षणी से जन्म लिया था। फिर भी तमाम बुद्धिजीवी इस बात को लेकर मतभेद जताते हैं। उनका तर्क है कि महर्षि वाल्मिकी की जाति के बारे में निश्चित तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता।
वाल्मिकी समुदाय का यूपी में कितना असर?
यूपी में वाल्मिकी समुदाय के वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। आगरा, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, अलीगढ़, हाथरस, बागपत, बुलंदशहर और रामपुर में वाल्मिकी समुदाय के काफी वोटर्स हैं। ऐसे में जो दल इन वोटर्स को साध लेता है, उसे चुनावों में काफी बढ़त मिल जाती है। लेकिन यहां भी टक्कर काफी है क्योंकि सपा, बसपा और कांग्रेस भी इस वोट बैंक में काफी सेंधमारी करती है।
अयोध्या में महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनने से विपक्षी पार्टियों को ये डर सता रहा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वाल्मिकी समुदाय का भर-भरकर वोट मिल सकता है। जिससे एक बार फिर बीजेपी सत्ता में वापसी कर सकती है।