Explainer: क्या है मुस्लिम वक्फ बोर्ड... ताकत कम करने से किसे होगा फायदा? महिलाओं को लेकर भी है खास
मुस्लिम वक्फ बोर्ड के संशोधन की बात सामने आते ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस पर खासा एतराज जताया है। मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आइये जानते हैं वक्फ बोर्ड की ताकत कम करने किसे फायदा होने वाला है?
मुस्लिम वक्फ बोर्ड का संशोधन वाला बिल अभी संसद पेश नहीं हुआ है। इस पर हंगामा पहले ही मच गया है। मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं के बीच नई हलचल है। केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने की सोच रही है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश किया जाएगा। ऐसा बताया जा रहा है कि मौजूदा वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधन किए जा सकते हैं। इसी हफ्ते संसद में इस संबंध में बिल पेश किया जा सकता है। कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में संशोधन के कई प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताया ऐतराज
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसपर एतराज जताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि वक्फ एक्ट 2013 में कोई भी ऐसा बदलाव, जिससे वक्फ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए। उन्हें हड़पना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए। ऐसा हरगिज कबूल नहीं होगा। वक्फ बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
नेहरू के कार्यकाल में बना वक्फ बोर्ड
ऐसे में यहां जानना बेहद जरूरी है कि आखिर वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड का इतिहास क्या है? जिसको लेकर हंगामा बरपा हुआ है। साल 1954 में केंद्र सरकार ने वक्फ बिल पारित किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में वक्फ बोर्ड बना था। इसके बाद 1964 में केंद्रीय वक्फ काउंसिल बनी।
1995 में पहला संशोधन
1995 में इसमें पहला संशोधन किया गया। तब इसमें हर राज्य और केंद्रीय शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की इजाजत देने के लिए कानून में संशोधन किया गया था। 2013 में दूसरा संशोधन किया गया। 2013 की मनमोहन सरकार ने एक्ट में संशोधन कर वक्फ बोर्ड की शक्तियां और बढ़ा दी थीं।
वक्फ बोर्ड के पास अभी हैं ये ताकतें?
दो बार के संशोधन के बाद से वक्फ बोर्ड काफी ताकतवर हो गया। वहीं, अब मोदी सरकार वक्फ बोर्ड में तीसरा संशोधन करने जा रही है। इस बार बोर्ड की शक्तियां बढ़ाने की बजाय कम की जाएंगी। वक्फ बोर्ड कितना ताकतवर है। इसको लेकर भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को अपना बता दे तो उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते हैं। संपत्ति वापसी के लिए वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी। अगर बोर्ड का फैसला खिलाफ आया तो वक्फ के खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते हैं। यहां पर बोर्ड के फैसले के खिलाफ वक्फ के ट्राइब्यूनल जा सकते हैं। ट्राइब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दे सकते हैं।
कैसे काम करता है वक्फ बोर्ड?
वक्फ बोर्ड के पास इतनी सारी ताकते हैं। तभी वक्फ बोर्ड में संशोधन किए जाने के खिलाफ मुस्लिम नेता और मौलाना सरकार के खिलाफ हो गए हैं। मुस्लिम वक्फ बोर्ड काम कैसे करता है। इस पर भी एक नजर डाल लेते हैं। वक्फ बोर्ड देशभर में कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है। आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है। मजारों के आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। मजारों के आसपास की जमीनों पर भी वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। वक्फ बोर्ड के पास इस समय 8.50 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो करीब 9.4 लाख एकड़ एरिया में फैली हुई हैं।
बोर्ड की ताकत कम करने से किसे होगा फायदा?
ऐसे में मोदी सरकार मुस्लिम वक्फ बोर्ड पर कई तरह के लगाम लगाने वाली है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड में जो बदलाव करेगी उससे जवाबदेही बढ़ेगी। बक्फ बोर्ड की मनमानी पर रोक लगा दी जाएगी। बोर्ड का पुनर्गठन भी किया जा सकता है। मुस्लिम वक्फ बोर्ड में सभी वर्गों की भागीदारी हो सकती है। महिलाओं को भी इस बोर्ड में जगह दी जाएगी। मुस्लिम वक्फ बोर्ड में कई तरह के बदलावों के बाद से लोगों को इससे सीधा फायदा होगा।
समावेशी सुधार पर सांप्रदायिकता का हमला ठीक नहीं- नकवी
वहीं पहले की मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रह चुके और सीनियर बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने वक्फ बोर्ड में बदलाव को लेकर अपनी सहमति जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स में कहा कि वक्फ बोर्ड को टच मी नॉट की सनक और सियासत से बाहर आना होगा। समावेशी सुधार पर सांप्रदायिकता का हमला ठीक नहीं है।