क्या है रेलवे का कवच सिस्टम? जो ट्रेन को हादसे से बचाता है, यहां जानें सब कुछ
कवच सिस्टम का परीक्षण मार्च 2022 में सिकंदराबाद डिवीजन में गुल्लागुडा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच किया गया था। आइए जानते हैं कि ये पूरा सिस्टेम काम कैसे करता है।
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में कंचनजंगा एक्सप्रेस के साथ हुए हादसे कारण हर कोई शोक में है। इस रेल हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई है और बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए हैं। इस हादसे के बाद लोग रेलवे के कवच सिस्टम के बारे में सवाल पूछ रहे हैं। आपको बता दें कि जिस रूट पर ये हादसा हुआ है वहां पर अभी कवच सिस्टम का इंस्टालेशन पूरा नहीं हुआ है। लेकिन आखिर ये कवच सिस्टम काम कैसे करता है? ये ट्रेन को हादसे को कैसे रोक देता है? यह सिस्टम अब तक किन-किन क्षेत्रों में शुरू हो चुका है? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।
कब हुई थी कवच सिस्टम की शुरुआत?
कवच सिस्टम का परीक्षण मार्च 2022 में सिकंदराबाद डिवीजन में गुल्लागुडा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच किया गया था। परीक्षण के दौरान दोनों लोकोमोटिव एक-दूसरे की ओर बढ़ रहे थे, जिससे आमने-सामने की टक्कर की स्थिति पैदा हो गई थी। कवच सिस्टम ने ऑटोमैटिक ब्रेकिंग सिस्टम को शुरू किया और लोकोमोटिव को 380 मीटर की दूरी पर ही रोक दिया।
क्या है कवच सिस्टम?
कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन ) सिस्टम है। इसे रिसर्च डिजाइन एवं स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन ने भारतीय उद्योग के सहयोग से विकसित किया गया है। कवच एक सुरक्षा स्तर-4 मानक की एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है। कवच का उद्देश्य खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने वाली ट्रेनों को सुरक्षा प्रदान करना और टकराव से बचना है। अगर ट्रेन रका चालक ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो यह ऑटोमैटिक रूप से ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को ऑन करता है। कवच प्रणाली दो लोकोमोटिव के बीच टकराव को रोकता है।
यहां जानिए कवच की विशेषताएं
कवच की एक खास बात ये भी है कि यह सुरक्षा स्तर-4 (SIL-4) के लेवल के सबसे सस्ते तकनीक में से एक है। इसमें गलती की संभावना 10000 साल में एक बार की है। कवच सिस्टम रेलवे के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी के निर्यात के रास्ते भी खोलता है। कवच के तहत रेलवे के 34,000 किमी के नेटवर्क को लैस किया जाना है। आइए जानते हैं कवच की कुछ खास विशेषताएं-:
- खतरे में सिग्नल पासिंग की रोकथाम (एसपीएडी)।
- ड्राइवर मशीन इंटरफेस (डीएमआई) / लोको पायलट ऑपरेशन सह इंडिकेशन पैनल (एलपीओसीआईपी) में सिग्नल पहलुओं के प्रदर्शन के साथ मूवमेंट अथॉरिटी का निरंतर अपडेट।
- अधिक गति से वाहन चलाने से रोकने के लिए ऑटोमैटिक ब्रेक लगाना।
- लेवल क्रॉसिंग गेट के पास पहुँचते समय ऑटो द्वारा सीटी बजाना।
- कवच से लैस दो इंजनों के बीच टकराव की रोकथाम।
- आपातकालीन स्थितियों के दौरान SoS संदेश।
- नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेनों की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी।
अभी कहां-कहां इंस्टॉल हो चुका है कवच सिस्टम?
रेलवे बोर्ड के मुताबिक देश में बड़े पैमाने पर कवच सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई रूटों पर इसका इंस्टॉलेशन किया जा रहा है। हालांकि, जहां हाल ही में कंचनजंगा एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ वहां फिलहाल यह सिस्टम नहीं इंस्टॉल हुआ है। कवच सिस्टम दिल्ली गुवाहाटी रूट पर प्लान है। देश में फिलहाल 1500 किलोमीटर के ट्रैक पर कवच काम कर रहा है। दावा किया जा रहा है कि इस साल 3000 किलोमीटर में कवच लग जाएगा और अगले साल की 3000 किलोमीटर की और प्लानिंग है। इस साल जो 3000 किलोमीटर में कवच लगने हैं उसमें बंगाल (दिल्ली हावड़ा रूट) भी है। कवच सप्लाई करने वालों को प्रोडक्शन बढ़ाने को कहा गया है।
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