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Explainer: Mutual Funds में एग्जिट लोड क्या होता है? कैसे किया जाता है कैलकुलेट, यहां समझें पूरी बात

म्यूचुअल फंड कंपनी पैसे के प्रबंधन के लिए कुछ तय शुल्क वसूल करती हैं, जिनमें एक एग्जिट लोड भी शामिल है। यह चार्ज कंपनियां तब लगाती हैं जब निवेशक स्कीम से बाहर निकल रहा होता है। एग्जिट लोड चार्ज तब भी देना होता है, जब आप म्यूचुअल फंड यूनिट बेचते समय नुकसान में भी क्यों न हों।

एग्जिट लोड शुल्क...- India TV Hindi Image Source : INDIA TV एग्जिट लोड शुल्क सामान्यतौर पर भुनाई जा रही राशि का एक प्रतिशत होता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश करना आज के समय में एक गुड आइडिया है। जब आप इसमें निवेश करते हैं तो कंपनियां आपसे परिस्थितियों के मुताबिक, तीन तरह के शु्ल्क- टोटल एक्सपेंस रेशियो (कुल व्यय अनुपात यानी TER), एंट्री लोड (प्रवेश भार) और एग्जिट लोड (निकास भार) चार्ज कर सकती हैं। टोटल एक्सपेंस रेशियो बस वह कमीशन है जो म्यूचुअल फंड कंपनी पैसे के प्रबंधन के लिए लेती है। यह आमतौर पर 0.1% से 2.5% की सीमा में होता है और हर म्यूचुअल फंड स्कीम द्वारा समय-समय पर लिया जाता है। इसी तरह,  एंट्री लोड वन टाइम शुल्क है जो म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेश खरीदने के शुरुआती चरण के समय निवेशकों से लेती हैं। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, एंट्री लोड एक ऐसी चीज है जो हर म्यूचुअल फंड द्वारा नहीं ली जाती है। यह आमतौर पर 0.1% से 1.5% होता है।

क्या होता है एग्जिट लोड

म्यूचुअल फंड्स निवेशक जब एक निश्चित अवधि बीतने से पहले अपनी यूनिट बेचता या भुनाता है तो म्यूचुअल फंड्स की तरफ से एग्जिट लोड शुल्क लिया जाता है। यहां इस बात को भी समझ लें कि आपको एग्जिट लोड चार्ज तब भी देना होगा, जब आप म्यूचुअल फंड यूनिट बेचते समय नुकसान में भी क्यों न हों। साथ ही एग्जिट लोड तब भी लिया जाता है, जब आप एक फंड से दूसरे फंड में स्विच कर रहे हों या आपने सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) या सिस्टमैटिक निकासी प्लान (SWP) के लिए अप्लाई किया हो।

कितना देना होता है एग्जिट लोड

एग्जिट लोड शुल्क सामान्यतौर पर भुनाई जा रही या फंड से बाहर होते समय की राशि का एक प्रतिशत होता है। म्यूचुअल फंड्स की तरफ से एग्जिट लोड चार्ज लेने का मूल मकसद होता है कि निवेशक यूनिट बार-बार खरीदने और बेचने से बचे। इससे फंड का मैनेजमेंट और प्रदर्शन बाधित हो सकता है। एग्जिट लोड निवेश राशि से ज्यादा नहीं लिया जाता है, बल्कि इसे सिर्फ रिडेम्प्शन राशि से काट लिया जाता है।

Image Source : INDIA TVएग्जिट लोड सिर्फ रिडेम्प्शन राशि से काट लिया जाता है।

म्यूचुअल फंड कंपनियां और डिस्ट्रीब्यूटर्स आमतौर पर आपको पहले ही बता देंगे कि वे कोई एग्जिट लोड लेते हैं या नहीं। अगर वह न भी बताएं तो तरीका यही है कि फंड के प्रॉस्पेक्टस को ध्यान से पढ़ना चाहिए। म्यूचुअल फंड कंपनियां, अगर चार्ज कर रही हैं, तो आमतौर पर डेट फंड के मुकाबले इक्विटी फंड में ज्यादा एग्जिट लोड लेती हैं क्योंकि इक्विटी फंड लंबी अवधि के निवेश के लिए होते हैं।

कैसे होता है एग्जिट लोड का कैलकुलेशन

म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड को कैलकुलेट करने के लिए दो चीजों का पता होना चाहिए। एक तो रिडेम्प्शन राशि के प्रतिशत के रूप में म्यूचुअल फंड द्वारा ली जाने वाली फीस और दूसरी एग्जिट लोड अवधि। इसके अलावा, आपको फंड के नेट एसेट वैल्यू (NAV) के बारे में भी पता होना चाहिए। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, मान लें कि एक इक्विटी फंड है जो निवेश के एक साल के भीतर अपने निवेश को भुनाने पर रिडेम्प्शन राशि का 1% एग्जिट लोड के रूप में लेता है।

लम्पसम निवेश पर एग्जिट लोड
लम्पसम निवेश में एग्जिट लोड को समझना काफी आसान है। मान लीजिए कि आपने 50 रुपये के नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर किसी म्यूचुअल फंड की 1,000 यूनिट खरीदीं और ठीक पांच महीने या 150 दिनों में, आपने अपना पूरा निवेश 55 रुपये के NAV पर बेच दिया। तो ऐसे में यहां यह स्पष्ट है कि आपकी शुरुआती निवेश राशि 50 रुपये x 1,000 यूनिट = 50,000 रुपये थी। जब पांच महीने बीते गए और तब फंड का मूल्य 55 रुपये है तो इस हिसाब से 1,000 यूनिट की वैल्यू 55,000 रुपये हो गई। अब जब आप निवेश से बाहर निकल रहे हैं तो राशि पर एक एग्जिट लोड अप्लाई होता है।
एग्जिट लोड: (55 रुपये x 1,000) x 1% = 550 रुपये। यह राशि रिडेम्पशन के समय निवेश के मूल्य से काट ली जाएगी।

आखिरी रिडेम्पशन अमाउंट= 55,000 रुपये - 550 रुपये = 54,450 रुपये होगी। यानी आपको 55,000 रुपये नहीं बल्कि 550 रुपये काटकर फाइनल अमाउंट 54,450 रुपये आपके अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा।

अगर आपने SIP के जरिये किया है निवेश
जब आपने सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के ज़रिए म्यूचुअल फंड में निवेश कर रखा है तब एग्जिट लोड का कैलकुलेशन थोड़ा अलग होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि NAV और निवेश की अवधि हर किस्त के लिए अलग-अलग होती है। मान लीजिए आपने किसी फंड की 100 यूनिट औसतन 100 रुपये प्रति यूनिट NAV पर खरीदे हैं। आप मार्च 2022 में अपना एसआईपी शुरू करते हैं और मई 2024 तक इसे जारी रखते हैं। लेकिन अब, आपको पैसे की जरूरत है और आप 1 जून, 2024 को फंड से 1,000 यूनिट बेचने की योजना बना रहे हैं। एसआईपी से बाहर निकलने में, सबसे पुरानी खरीदी गई यूनिट पहले बेची जाती हैं। इस प्रकार, एग्जिट लोड पूरी बिक्री पर लागू नहीं होगा, बल्कि सिर्फ उन यूनिट पर लागू होगा जिन्हें अभी 365 दिन पूरे होने बाकी हैं।

इस तरह, पहली 400 यूनिट जिसने 365 दिन या उससे ज़्यादा दिन पूरे कर लिए हैं। इस पर कोई एग्जिट लोड नहीं होगा। एग्जिट लोड आपके द्वारा बेची गई अगली 600 यूनिट पर लागू होगा।

एग्जिट लोड = (यूनिट x एनएवी) का 1%

= (600 x 100) का 1%

= 600 रुपये

इसलिए कुल रिडेम्पशन राशि होगी,

= (1000 x 100) रुपये – 600

= 100000 रुपये – 600

= 99,400 रुपये

इस तरह, आपको एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश से बाहर निकलने पर 600 रुपये एग्जिट लोड चुकाने के बाद आखिर में 99,400 रुपये बैंक में ट्रांसफर किए जाएंगे।