भारत देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 15 अगस्त को पूरे देश के अलग-अलग स्थानों पर तिरंगा झंडा फहराया जाएगा। इस दौरान भारत मां के वीर सपूतों जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया, उन्हें याद किया जाएगा। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत को आजादी कब और किन परिस्थितियों में मिली थी। 14 से 15 अगस्त के बीच जब आजादी मिली तो क्या हुआ। इस लेख में हम आपको 14 अगस्त और 15 अगस्त की आधी रात की कहानी बताने वाले हैं।
14-15 अगस्त की आधी रात क्या हुआ?
मशहूर लेखर डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में 14 अगस्त 1947 की आधी रात का जिक्र करते हुए लिखा, 'सैनिक छावनियों, सरकार दफ्तरों, निजी मकानों इत्यादि सभी स्थानों पर फहरा रहे ब्रिटिश झंडे को उतारा जा रहा था। 14 अगस्त को जब सूर्य डूबा तो देशभर में यूनियन जैक ने ध्वज-दंड का त्याग कर दिया। ताकि वे चुपके से भारतीय इतिहास के भूतकाल की एक चीज बनकर रह जाए।' बता दें कि 14 अगस्त की सुबह से ही देश के शहरों और गावों में जश्न शुरू हो गया था। लोग साइकिल, बैलगाड़ी व जैसे तैसे इंडिया गेट की तरफ पहुंच रहे थे। इस दौरान हर जगह राष्ट्रगान सुनाई पड़ रहा था।
नेहरू ने 15 अगस्त को फहराया था तिरंगा
अंग्रेजों ने भारत को 14-15 अगस्त की आधी रात को आजादी दी थी। इस दौरान संविधान सभा की भवन के बाहर आधी रात के आकाश से बारिश हो रही थी। भवन को चारों तरफ से हजारों भारतीयों ने घर रखा था। वे भींग रहे थे, लेकिन आजादी का रोमांच उन्हें रोमांचित कर रहा था। इस दौरान जवाहरलाल नेहरू ने आजादी की घोषणा की। यह समारोह बड़ा ही भव्य था। नेहरूजी सूती जोधपुरी पायजामे और बंडी में थे। इस समय वल्लभबाई पटेल सफेद धोती में वहां मौजूद थे। रात तीन बजे तक शपथ ग्रहण आदि समारोह चला जिसके बाद कुछ लोग अपने घर चले गए। अगले दिन 15 अगस्त 1947 की सुबह जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर यूनियन जैक की जगह भारत का तिरंगा झंडा फहराया।