Explainer: यूपी विधानसभा उपचुनाव के लिए क्या है बीजेपी की रणनीति, किन सीटों पर है ज्यादा चुनौती, जानें सबकुछ
UP assembly by elections: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी में रणनीति और चुनौतियों पर चर्चा शुरू हो गई है। पार्टी के लिए यह उपचुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए आगामी विधानसभा उपचुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है। लोकसभा चुनावों में राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अब सारी निगाहें 10 सीटों पर होनेवाले उपचुनावों पर टिकी हुई हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर पार्टी के अंदर मंथन का दौर चला। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी इस पर चर्चा हुई। लेकिन अब पार्टी का पूरा फोकस 10 सीटों पर होनेवाले उपचुनावों पर है। पार्टी हर हाल में अधिकतम सीटों जीतकर पार्टी के कार्यकर्ताओं का हौसला बनाए रखाना चाहती है।
इस कड़ी में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव को लेकर आज मंत्रियों के साथ बैठक की। जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होनेवाले हैं, उन सभी सीटों पर योगी सरकार के 16 मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है। योगी आदित्यनाथ ने 16 मंत्रियों की टास्क फोर्स से हर सीट की जानकारी ली। सीएम योगी ने कहा कि हर हाल में उपचुनाव जीतना है।
किन सीटों पर बीजेपी के लिए ज़्यादा चुनौती
भारतीय जनता पार्टी 10 में से तीन सीटों को अपने लिए बड़ा चैलेंज मान रही है। ये हैं करहल,कुंदरकी और मिल्कीपुर विधानसभा सीट। पार्टी इन तीन सीटों को मुश्किल मानकर ज़्यादा तैयारी कर रही है।
करहल में लड़ाई आसान नहीं
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल सीट करहल की है। करहल विधानसभा की सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने के बाद खाली हुई है। करहल मैनपुरी की एक विधानसभा सीट है। इस विधानसभा सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। यादव बाहुल्य इस सीट पर 1993 से लगातार समाजवादी पार्टी का लगातार कब्ज़ा रहा है।
सीएम योगी की आज की मीटिंग में इस बात पर चर्चा हुई कि अगर बीजेपी यहां मजबूत उम्मीदवार उतारे तो क्या सपा का मुकाबला कर पायेगी? क्या यादव वोट सपा से टूटेगा या फिर यहां शाक्य उम्मीदवार उतारना चाहिए? करहल में योगी सरकार के मंत्री जयवीर सिंह को प्रभारी बनाया गया है लेकिन बीमार होने की वजह से वो बैठक में शामिल नहीं हो सके।
कुंदरकी से किसी मुस्लिम को टिकट देगी बीजेपी?
करहल के बाद दूसरे नम्बर पर बीजेपी के लिए मुश्किल सीट है मुरादाबाद की कुंदरकी। कुंदरकी में 2022 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के जियाउर रहमान विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव में वे संभल सीट से सांसद चुने गए हैं। कुंदरकी विधानसभा पर बीजेपी को केवल एक बार 1993 में सफलता मिली थी। इस विधानसभा में मुस्लिम वोट करीब 65 फीसदी और हिन्दू वोट 35 फीसदी है। अब बीजेपी में कुछ नेताओं का कहना है कि जब दानिश अंसारी योगी सरकार में मंत्री बन सकते हैं,मोहसिन राजा बीजेपी के एमएलसी हो सकते हैं तो कुंदरकी में मुस्लिम उम्मीदवार क्यों नहीं हो सकता। आज की बैठक में मुस्लिम उम्मीदवार पर भी बात हुई। बैठक में यह सवाल भी उठा कि क्या बीजेपी को इतना मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार मिल पायेगा जो मुस्लिम वोट बीजेपी की तरफ ला पाए। अगर ऐसा नहीं तो मुस्लिम उम्मीदवार उतारने का पार्टी को फायदा कम नुकसान ज़्यादा होगा।
मिल्कीपुर में भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
वहीं बीजेपी के लिए इस उपचुनाव में तीसरी मुश्किल सीट है मिल्कीपुर। इस विधानसभा सीट से अवधेश प्रसाद विधायक थे। लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी ने फैजाबाद (अयोध्या) से लोकसभा का टिकट दिया और वे अब सांसद बन चुके हैं। अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट से नौ बार के विधायक हैं। अयोध्या की हार का बदला बीजेपी यहां उपचुनाव जीत कर लेना चाहती है। बीजेपी यहां से पासी उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रही है।
प्रभारी मंत्रियों को दिए ये आदेश
जिन दस सीट पर उपचुनाव होना है उनमें 2022 में समाजवादी पार्टी ने पांच, बीजेपी ने तीन,आरएलडी ने एक और निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी। आज की बैठक में इन सीटों के प्रभारी मंत्रियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हफ्ते में दो दिन और रात गुजारने के आदेश दिए। साथ में वोटर लिस्ट दुरुस्त करने, कार्यकर्ताओं और पन्ना प्रमुख को एक्टिव कर अभी से फील्ड में उतारने के आदेश दिए। मंत्रियों से कहा गया कि जब तक उपचुनाव नहीं हो जाते वो सीट का खास ध्यान रखें,कार्यकर्ताओ और जनता से लगातार संवाद बनाएं।