Explainer: 2024 में दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और अमेरिका में होंगे चुनाव, गार्सेटी ने बताया- किसकी होगी जीत
दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र अमेरिका और भारत में एक साथ 2024 में चुनाव होने जा रहे हैं। भारत में अप्रैल में, जबकि अमेरिका में जनवरी में चुनाव होंगे। दोनों ही देशों की जनता अपने देश के नए भविष्य का फैसला करेगी। इससे पहले भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने बताया है कि नेताओं की जीत कैसे और किसकी होगी?
Explainer: यह महज संयोग ही है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और अमेरिका में 2024 में एक साथ राष्ट्रीय चुनाव होंगे। भारत और अमेरिका दोनों ही देश नया नेतृत्व चुनने के लिए एक साथ वोट करेंगे। इन दिनों भारत और अमेरिका में दोस्ती के नए पैमाने बने हैं। दोनों देश संबंधों की नई गहराइयों और ऊंचाइयों को छू रहे हैं। पूरा विश्व भारत और अमेरिका की इस नई दोस्ती को देख रहा है। वजह साफ है कि दोनों ही देश दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के साथ ही साथ सबसे जिम्मेदार और ताकतवर देश भी हैं। भारत की छवि भी पीएम मोदी के नेतृत्व में अब विश्व के शक्तिशाली देशों में होने लगी है। आज का भारत दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। आत्मनिर्भरता के क्षितिज को छूते हुए टेक्नॉलोजी और सशक्त आर्मी का द्योतक बन रहा है। लिहाजा दोनों ही देशों के चुनावों पर पूरी दुनिया की नजर है।
भारत में अमेरिका के राजदूत और राजनेता से राजनयिक बने एरिक गार्सेटी ने इस बीच बताया है कि अगले चुनाव में जीत किसकी होगी। गार्सेटी का मानना है कि नेता कोई भी हों, उन्हें नेतृत्व और शासन पर विेशेष ध्यान देने की जरूरत है, तभी चुनाव उनके हक में होगा। एरिक गार्सेटी ने कहा, ‘‘मुझे चुनाव पसंद हैं। ऐसा शायद इसीलिए है, क्योंकि मैं कई चुनावों का हिस्सा रहा हूं। चुनाव वह क्षण है, जिसमें जनता को उम्मीदवारों की बातें सुनकर अपने हित में निर्णय लेने का मौका मिलता है।’’ गार्सेटी जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा से पहले जो बाइडन प्रशासन के अधिकारियों से विचार-विमर्श के लिए अभी अमेरिका में हैं।
भारत में अप्रैल 2024 और अमेरिका में जनवरी 2024 में होने हैं चुनाव
भारत और अमेरिका दोनों देशों में अगले वर्ष चुनाव होने वाले हैं। भारत में जहां संसदीय चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित हैं तो वहीं, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव अगले साल जनवरी में होने हैं। गार्सेटी सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के उभरते सितारे माने जाते हैं। वह 2013 में लॉस एंजिलिस के मेयर निर्वाचित हुए थे और 2017 में फिर से इसी पद के लिए चुने गए थे। भारत में अमेरिका के शीर्ष राजनयिक के तौर पर नियुक्त किए जाने के महज साढ़े तीन महीने के भीतर उन्होंने भारत में कई राज्यों का दौरा किया। उनके ट्विटर अकाउंट से पता चलता है कि वह भारत की विविध संस्कृति और व्यंजन को कितना पसंद करते हैं।
भारत के लोकतंत्र से प्रभावित हैं गार्सेटी
गार्सेटी ने कहा कि शासन का नेतृत्व करने वालों को कभी राजनेता नहीं बनना चाहिए, बल्कि उन्हें सिर्फ नेता बनना चाहिए। जनता के बीच में रहें उनके मुद्दों को सुनें। गार्सेटी ने कहा कि जो जीत उन्हीं की होगी जो जनता की सुनेंगे और बेहतर शासन व नेतृत्व देंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता मुझे पसंद है। हालांकि लोकतंत्र की राह मुश्किल होती है। वे हमेशा दोषमुक्त नहीं होते, लेकिन लोकतंत्र के लिए हमें लड़ाई जारी रखनी चाहिए। किसी भी नेता को मेरी यही सलाह है कि राजनेता नहीं, बल्कि नेता बनें। शासन और चुनाव अपने आप आपके हक में होगा।’’ एक सवाल के जवाब में गार्सेटी ने कहा कि अमेरिकियों को भारत के बारे में अब पहले से बेहतर समझ होने लगी है।
धरती से पाताल तक और समुद्र से आसमान तक भारत-अमेरिका की दोस्ती
पूरी दुनिया देख रही है कि 2024 में जिन दो बड़े लोकतांत्रिक देशों में चुनाव होने जा रहा है, उनकी दोस्ती अब काफी गहरी हो चुकी है। आज भारत और अमेरिका का साथ धरती से पाताल तक और समुद्र से आसमान तक है। भारत और अमेरिका एक दूसरे के रणनीतिक पार्टनर बन चुके हैं। रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में दोनों देशों के कदम नए मुकाम पर हैं। दोनों देश अंतरिक्ष में मिलकर काम कर रहे हैं। इसके लिए अमेरिकी अंतरिक्ष सेंटर नासा और भारत के इसरो के बीच करार भी हुआ है। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक यही दोनों देश अन्य देशों की सुरक्षा और सीमा को तय करने में सहयोग कर रहे हैं।
दुनिया देख रही भारत की ओर
भारत दुनिया की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था बनने का साथ ही साथ विकास की पटरी पर सबसे तेज रफ्तार से दौड़ रहा है। अभी गत 15 जुलाई को भारत ने चंद्रयान-3 का राजस्थान के श्रीहरिकोटा से सफल परीक्षण किया है। 23 अगस्त को इसरो के वैज्ञानिक एक लैंडर रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने वाले हैं, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भयंकर अंधेरा है। इसलिए किसी भी देश का मिशन अब तक कामयाब नहीं हो सका है। अगर भारत का लैंडर दक्षिणी ध्रव पर लैंड कर जाता है तो चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा। आज भारत के पास अपना डिफेंस कोरिडोर है, दुनिया की सबसे ताकतवर चौथी सेना है। इन्फ्रास्ट्रक्चर को चौतरफा जाल फैला है। ऐसे में दुनिया भारत की ओर देख रही है। ऐसे में दोनों देशों के चुनाव और सही नेतृत्व का मिलना जरूरी है। ताकि भारत-अमेरिका की दोस्ती आगे भी नई ऊंचाइयां छूती रहे।
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