सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर पर IVF के नियमों के उल्लंघन का आरोप, आखिर क्या हैं इसके नियम एवं शर्तें?
सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर की उम्र 50 वर्ष से अधिक है, इसलिए केंद्र ने चरण कौर की उम्र से लेकर अन्य बातों की डिटेल रिपोर्ट पंजाब सरकार से मांगी है। तो आईये जानते हैं कि क्या हैं इसके नियम और शर्तें-
दिवंगत पंजाब सिंगर सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर ने 58 साल की उम्र में आईवीएफ तकनीक से बेटे को जन्म दिया, जिसे लेकर घमासान मचा है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र भेजकर इस संबंध में जवाब मांगा है। केंद्र की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के नियमों के मुताबिक, 21 से 50 साल की महिलाएं ही इस तकनीक से मां बन सकती हैं, लेकिन सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर की उम्र इससे अधिक है, इसलिए केंद्र ने चरण कौर की उम्र से लेकर अन्य बातों की डिटेल रिपोर्ट पंजाब सरकार से मांगी है। इस मामले पर मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने कहा कि उन्होंने किसी भी तरह से कानून का अवहेलना नहीं की है। तो आईये जानते हैं कि क्या हैं इसके नियम और शर्तें-
IVF को लेकर कानूनी प्रावधान
दरअसल, हर देश में आईवीएफ को लेकर अलग प्रकार का कानून है। भारत में भी इसे लेकर कानून बनाए गए हैं। इसे लेकर असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट, 2021 यानी सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 बनाया गया था। इसके मुताबिक, भारत में महिलाएं 50 साल की उम्र तक आईवीएफ से मां बन सकती हैं। पुरुषों के लिए ये उम्र 55 साल है। हर आईवीएफ सेंटर को निसंतान महिला के पूरे ब्योरा को भरना होता है। इसमें उम्र की सही जानकारी के साथ डिस्चार्ज पेपर जारी करने तक का सभी काम लीगल होना चाहिए। नियम में यह भी कहा गया है कि कोई महिला अपने जीवन में कितनी बार आईवीएफ का सहारा ले सकती है, इसकी भी जानकारी दे। साल 2023 में आईवीएफ को लेकर नियमों में बदलाव भी हुआ है।
नियमों में क्या हुआ है बदलाव?
असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन, 2023 के तहत अब महिला के गर्भाशय में एक या दो हेल्दी भ्रूण ही ट्रांसफर हो सकेंगे। गंभीर मामलों में ही तीन भ्रूण ट्रांसफर हो सकेंगे। पहले चार व इससे अधिक भ्रूण भी रखे जाते थे।
50 के बाद IVF का क्यों नहीं है नियम?
50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को आईवीएफ नहीं कराने के नियम हैं। यह नियम बनाने की एक बड़ी वजह यह है कि 50 साल की उम्र के बाद अधिकतर महिलाओं में मेनोपॉज हो जाता है। बच्चे पैदा करने के लिए एग्स लगभग खत्म हो जाते हैं। ऐसे में किसी दूसरी महिला का एग लिया जाता है। कई मामलों में संतान किसी दूसरी महिला के एग की ही होती है। वहीं, 50 साल की उम्र के बाद महिलाओं को कई तरह की बीमारियां होने का भी रिस्क रहता है। इस दौरान महिलाओं में डायबिटीज और बीपी की समस्या अक्सर हो जाती है। ऐसे में आईवीएफ कराने के कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जो महिला की जान को जोखिम में डाल सकते हैं।
IVF को लेकर भारत में कानून?
- 21 से लेकर 50 साल तक की महिलाएं IVF ट्रीटमेंट ले सकती हैं।
- पुरुषों के लिए इसकी उम्र 21 से लेकर 55 साल तक है।
- महिला एग्स डोनर के लिए 35 साल की उम्र है।
- कोई भी महिला जीवन में एक ही बार एग डोनेट कर सकती है।
- एक महिला के सिर्फ 7 एग्स ही निकाले जा सकते हैं।
- एग्स डोनर के लिए शादीशुदा होना जरूरी है।
- एक कपल के एग्स दूसरे कपल यूज नहीं कर सकते।
- एग डोनेशन के बदले महिला कोई भी फीस या पैसे नहीं ले सकती है।
कैसे होता है IVF?
आईवीएफ के लिए महिला और पुरुष दोनों के ही कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके लिए सबसे पहले पुरुष के सीमेन को लैब में टेस्ट के लिए लाया जाता है और इनमें से खराब शुक्राणुओं को अलग कर दिया जाता है। इसके बाद महिला के शरीर से एग्स को इंजेक्शन के जरिए बाहर निकाला जाता है और उनको फ्रीज करके रखा जाता है। इन एग्स के साथ अच्छे सीमेन को लैब में खास तरीके से फर्टिलाइट किया जाता है। इस फर्टिलाइजेशन से जो भ्रूण तैयार होता है उसको कैथिटर की मदद से महिला के गर्भाश्य में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसके कुछ सप्ताह बाद महिलाओ को टेस्ट के लिए बुलाया जाता है। देखा जाता है कि गर्भ में भ्रूण कैसे तैयार हो रहा है। इसकी अच्छी ग्रोथ के लिए महिलाओं को प्रेगनेंसी के टिप्स बताए जाते हैं।
IVF ट्रीटमेंट का उल्लंघन करने की सजा
आईवीएफ कानून तोड़ने वालों को 5 से 20 लाख रुपये तक का जुर्माना और 3 से 8 साल की जेल हो सकती है।