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Hindi News Explainers Explainer: SEBI के नए नियमों से स्टॉक ब्रोकर के सामने खड़ी हुई बड़ी मुसीबत, रेवेन्यू पर पड़ेगा बुरा असर

Explainer: SEBI के नए नियमों से स्टॉक ब्रोकर के सामने खड़ी हुई बड़ी मुसीबत, रेवेन्यू पर पड़ेगा बुरा असर

एक एक्सपर्ट ने कहा कि बाजार में इस बदलाव के बाद जीरोधा वेट एंड वॉच मोड में है। उन्होंने कहा कि इन बदलावों से ब्रोकरों के रेवेन्यू पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि एक्सचेंजों से मिलने वाला डिस्काउंट बंद हो जाएगा।

ब्रोकरों में देखने को मिल सकता है बड़ा बदलाव- India TV Hindi Image Source : REUTERS ब्रोकरों में देखने को मिल सकता है बड़ा बदलाव

फ्यूचर एंड ऑप्शन और इंट्राडे ट्रेडिंग में छोटे निवेशकों को रहे भारी नुकसान पर लगाम कसने के लिए सेबी ने ट्रेडिंग के कई नियमों में बदलाव किए हैं। सेबी द्वारा नियमों में किए गए बदलाव का मुख्य उद्देश्य एफएंडओ में वॉल्यूम को कम करना और छोटे निवेशकों की कमाई की रक्षा करना है। इसके लिए सेबी ने स्टॉक ब्रोकर्स पर भी शिकंजा कसा है।

एंजेल वन, ग्रो और जीरोधा जैसे डिस्काउंट ब्रोकर्स नए नियमों के बाद बदलते हुए हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। नए नियमों की वजह से इन ब्रोकर्स को एक्सचेंज छूट प्राप्त करने से रोक रहे हैं और उन्हें शुल्क बढ़ाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इस बीच, शेयर मार्केट एक्सचेंजों को लाभ मिल सकता है, क्योंकि नई ट्रू-टू-लेबल व्यवस्था एक्सचेंजों को ब्रोकर्स से पूरे ट्रांजैक्शन की फीस देने में मदद करेगी।

ब्रोकर, ट्रेडर्स से एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस कलेक्ट करते हैं और उन्हें एक्सचेंजों को देते हैं। हालांकि, एक्सचेंज इन ब्रोकर्स को भारी मात्रा में ट्रांजैक्शन के लिए छूट देते थे, जिसे ब्रोकर्स अपने पास रख लेते थे। 1 अक्टूबर को नई व्यवस्था की शुरुआत से ये प्रथा खत्म हो गई है, जिससे ब्रोकर्स को पूरी ट्रांजैक्शन फीस एक्सचेंजों को देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में ब्रोकर्स को नुकसान की भरपाई के लिए खुद फीस बढ़ानी पड़ी, जिसका बुरा असर यूजर्स पर पड़ रहा है।

एंजेल वन ने खत्म की जीरो-ब्रोकरेज पॉलिसी

मिंट के मुताबिक एंजेल वन ने इक्विटी डिलीवरी ट्रांजैक्शन पर अपनी जीरो-ब्रोकरेज पॉलिसी को खत्म कर दिया है और कैश डिलीवरी ट्रेड्स के लिए प्रत्येक ऑर्डर पर 20 रुपये या ट्रांजैक्शन वैल्यू का 0.1%, जो भी कम हो, चार्ज करेगा। भारत के दूसरे सबसे बड़े ब्रोकर जीरोधा ने अभी तक कोई बदलाव नहीं किया है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि फ्लैट चार्जेस निश्चित रूप से मार्जिन को बुरी तरह से प्रभावित करेंगे। इसे मैनेज करने के लिए हम इक्विटी डिलीवरी जैसे सेगमेंट में नए चार्जेस पेश होते देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे शुरुआत में वॉल्यूम कम हो सकता है और ब्रोकरों को प्लेटफॉर्म, सपोर्ट और वैल्यूएबल टूल्स ऑफर करके ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि ब्रोकरों को कम फीस के साथ ही बेहतर ट्रेडिंग एक्सपीरियंस के लिए कॉम्पीट करना होगा।

एक एक्सपर्ट ने कहा कि बाजार में इस बदलाव के बाद जीरोधा वेट एंड वॉच मोड में है। उन्होंने कहा कि इन बदलावों से ब्रोकरों के रेवेन्यू पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि एक्सचेंजों से मिलने वाला डिस्काउंट बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा, "अगर नए नियम ट्रेडिंग पैटर्न में भी महत्वपूर्ण बदलाव करते हैं, तो ब्रोकरेज फीस इन बदलावों की भरपाई के लिए बढ़ सकती हैं।

ब्रोकरों में देखने को मिल सकता है बड़ा बदलाव

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नए जमाने के ब्रोकरों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि कम फीस के लिए उन्हें चुनने वाले ग्राहक ऑप्शन की तलाश में हैं। ब्रोकरेज स्ट्रक्चर्स में बदलाव के साथ, जो लोग मुख्य रूप से कम फीस से आकर्षित होते थे, वे अब अन्य विकल्प की तलाश शुरू कर सकते हैं। करकेरा ने कहा कि इससे ब्रोकरेजों के रेवेन्यू में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। 

1 जुलाई से जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ट्रू-टू-लेबल व्यवस्था की घोषणा की, तब से एकमात्र लिस्टेड एक्सचेंज बीएसई लिमिटेड के शेयरों में लगभग 65% की बढ़ोतरी हुई है। ये लाभ आंशिक रूप से राइवल एनएसई के आने वाले आईपीओ के साथ-साथ सेबी के नए नियम से अपेक्षित लाभ के कारण है।

एक्सपर्ट ने कहा, "इस बात में कोई दो राय नहीं है कि ट्रू-टू-लेबल नियम ब्रोकरेज में एकरूपता को प्रोमोट करेगा।" उन्होंने कहा कि एक्सचेंजों द्वारा बड़े और नए जमाने के ब्रोकर्स को दी जाने वाली छूट वापस लेने के साथ, ब्रोकर्स को अब ट्रांजैक्शन फीस पर कोई छूट नहीं मिलने से उनके रेवेन्यू पर सीधा असर पड़ेगा।