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Hindi News Explainers Explainer: राजस्थान चुनावों में कर्नाटक ना हो जाए रिपीट, इसलिए टिकट बंटवारे में मिली वसुंधरा राजे के खेमे को अहमियत?

Explainer: राजस्थान चुनावों में कर्नाटक ना हो जाए रिपीट, इसलिए टिकट बंटवारे में मिली वसुंधरा राजे के खेमे को अहमियत?

भारतीय जनता पार्टी की पहली सूची आने के बाद कहा जाने लगा था कि आलाकमान इस बार वसुंधरा राजे को अहमियत नहीं दे रहा है लेकिन दूसरी सूची ने ऐसी ख़बरों पर ब्रेक लगा दिया। दूसरी लिस्ट में राजे के खेमे के कई नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया है।

Rajasthan, BJP, Vasundhara Raje- India TV Hindi Image Source : INDIA TV राजस्थान में बीजेपी ने क्यों दी वसुंधरा को अहमियत

जयपुर: राजस्थान का विधानसभा चुनाव बेहद ही रोचक हो चला है। शनिवार 21 अक्टूबर को जहां भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की तो वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने भी अपनी पहली सूची जारी कर दी। बीजेपी की सूची में 83 उम्मीदवारों के नाम थे तो वहीं कांग्रेस ने केवल 33 नामों का ऐलान किया। जहां कांग्रेस की सूची में कोई हैरानी भरा नाम नहीं था लेकिन बीजेपी की सूची ने कई बड़े संकेत दिए हैं। जहां कुछ समय पहले तक यह कहा जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय आलाकमान राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को साइड लाइन कर रहा है। वह उन्हें अहमियत नहीं दे रहा है, लेकिन सूची में इसका बिलकुल विपरीत दिखा है।

वसुंधरा राजे की पार्टी आलाकमान से अनबन की चल रही थीं खबरें 

कहा जा रहा था कि आलाकमान इस बार वसुंधरा राजे की नहीं सुन रहा है। पहली सूची में ऐसा दिखा भी। राजे के सबसे करीबी माने जाने वाले और उनके सलाहकारों में से एक और झोटवाड़ा से विधायक राजपाल शेखावत का टिकट काट दिया गया। यहां से जयपुर ग्रामीण सीट से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद पार्टी के इस फैसले का जबरदस्त विरोध हुआ। शेखावत के समर्थकों ने राठौड़ का जबरदस्त विरोध किया। कई सभाओं और बैठकों में उन्हें काले झंडे भी दिखाए गए। राजपाल शेखावत का टिकट कटने के बाद ऐसा संकेत मिला कि अगली सूची में भी राजे को ज्यादा अहमियत नहीं मिलेगी और उनके खेमे के नेताओं और विधायकों को मौका नहीं मिलेगा।

Image Source : file वसुंधरा राजे

वसुंधरा खेमे के इन नेताओं को मिला टिकट 

शनिवार को जब बीजेपी की दूसरी सूची आई तब इसमें 83 में से कई नाम ऐसे हैं जो वसुंधरा खेमे के माने जाते हैं। जिसमें कालीचरण सराफ, प्रताप सिंघवी, कैलाश वर्मा, सिद्धी कुमारी, मंजू बाघमार, संतोष अहलावत, सामाराम गरासिया, गोविंद प्रसाद, कालूराम मेघवाल, नरेंद्र नागर, बिहारीलाल बिश्नोई, कैलाश मीणा, अनिता भदेल, श्रीचंद कृपलानी, पुष्पेन्द्र सिंह, नरपत राजवी, ओटाराम देवासी, संतोष बावरी, गोपीचंद मीणा, छगन सिंह, शोभा चौहान, अभिषेक मटोरिया, जगसीराम कोली, रामस्वरूप लांबा, मानसिंह किनसरिया, गुरदीप शाहपीणी जैसे नाम शामिल हैं। वहीं पहली सूची में नाम ना आने से नाराज चल रहे नरपत सिंह राजवी को दूसरी सूची में जगह दी गई। पार्टी ने उन्हें चित्तौड़गढ़ से चुनाव मैदान में उतारा है।

Image Source : file वसुंधरा राजे

आलाकमान ने क्यों दी अहमियत 

पार्टी की जब पहली सूची जारी हुई तो झोटवाड़ा से विधायक राजपाल शेखावत की जगह राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद यहां अभी भी राठौड़ का जबरदस्त विरोध हो रहा है। पार्टी आलाकमान को इससे वसुंधरा राजे की अहमियत का कहीं ना कहीं अहसास हो गया। उन्हें यह लगने लगा कि अगर स्थिति को नहीं संभाला गया तो पार्टी के साथ कहीं कर्नाटक वाला प्रकरण ना रिपीट हो जाए। जहां उन्होंने बीएस येदियुरप्पा को चुनाव से लगभग एक साल पहले सीएम पद से हटा दिया था। इसके बाद टिकट वितरण में उनकी इतनी नहीं चली। इससे उनके समर्थकों में गलत संदेश गया और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इस प्रकरण ने कहीं ना कहीं आलाकमान को संदेश दे दिया था कि अगर स्थानीय नेताओं को अहमियत नहीं दी गई तो फैसले आपके पक्ष में आने की संभावना कम हो सकती है।

Image Source : file वसुंधरा राजे

समर्थकों के नामों के ऐलान के बाद खुश हैं वसुधंरा 

राजनीतिक पंडितों के अनुसार, पिछले कुछ समय से प्रदेश की राजनीति में कहीं ना कहीं ऐसा कहा जा रहा था कि वसुंधरा की केंद्रीय आलाकमान से खटपट है। केंद्र के कई नेताओं के दौरे के दौरान भी कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिला था। वहीं झोटवाड़ा प्रकरण ने भी ऐसी ख़बरों को और ज्यादा हवा दे दी। लेकिन पार्टी की दूसरी सूची ने माहौल एकदम उलट दिया है। जहां राजे अभी तक पार्टी की गतिविधियों में इतनी एक्टिव नहीं थीं। चुनावी मौसम में भी वह कुछ कम रूचि ले रही थीं। कुछ समय निकाली गई परिवर्तन यात्रा में भी उन्होंने सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन अब वह शनिवार से एक्टिव मोड में आ गईं। शनिवार से सोशल मीडिया पर भी उन्होंने कई पोस्ट कीं। इसके बाद कहा जाने लगा कि अब वसुंधरा राजे खुश हैं और अब उनका अगल टार्गेट चुनावों में ज्यादा से ज्यादा विधायकों को विजय दिलवाना और 3 दिसंबर के बाद सीएम की कुर्सी के लिए मजबूत दावेदारी पेश करना। 

Image Source : file वसुंधरा राजे

पार्टी ने एक तीर से साधे दो निशाने 

पार्टी ने दूसरी सूची में एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एकतरफ जहां वसुंधरा खेमे के कई नेताओं को टिकट देकर डैमेज कंट्रोल किया है तो वहीं 83 में से 10 सीटों पर महिलाओं को टिकट देकर भी आधी आबादी को साधने का प्रयास किया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ही संसद में महिला आरक्षण का बिल पास कराकर इसे कानून बनाया है। इसके बाद से प्रधानमंत्री मोदी भी जनसभाओं में इसका खूब जिक्र कर रहे हैं। अब कई महिलाओं को उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने एक और कदम आगे बढ़ा दिया है। तीसरी सूची में पार्टी ने अनूपगढ़ से संतोष बावरी, बीकानेर से सिद्धि कुमारी, सूरजगढ़ से संतोष अहलावत, अजमेर दक्षिण से अनीता पटेल, जायल से मंजू बाघमार, नागौर से ज्योति मिर्धा, मकराना से सुमित भींचल, सोजत से शोभा चौहान, राजसमंद से दिप्ती माहेश्वरी, झालरापाटन से वसुंधरा राजे को चुनाव मैदान में उतारा है।