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Hindi News Explainers Explainer: जब मुसीबत में था भारत, तब फ्रांस ही आया था हमारे साथ, जानें क्यों खास हैं रिश्ते, पीएम मोदी जा रहे यात्रा पर

Explainer: जब मुसीबत में था भारत, तब फ्रांस ही आया था हमारे साथ, जानें क्यों खास हैं रिश्ते, पीएम मोदी जा रहे यात्रा पर

जब पूरी दुनिया में भारत अकेला पड़ गया था। तब फ्रांस ही था जिसने भारत के कंधे पर हाथ रखा था और एक सच्चे दोस्त की तरह भारत का समर्थन किया था। भारत और फ्रांस की दोस्ती तीन दशक पुरानी है। 1998 में एक ऐसा घटनाक्रम हुआ, जिसने भारत और फ्रांस को और करीब ला दिया।

जब मुसीबत में था भारत, तब फ्रांस ही आया था हमारे साथ- India TV Hindi Image Source : INDIA TV जब मुसीबत में था भारत, तब फ्रांस ही आया था हमारे साथ

PM Modi France Visit: पीएम मोदी 13 और 14 जुलाई को फ्रांस की यात्रा पर हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के बुलावे पर पीएम मोदी फ्रांस जाएंगे। भारत और फ्रांस की दोस्ती करीब तीन दशक पुरानी है। एक समय ऐसा भी आया था, जब पूरी दुनिया में भारत अकेला पड़ गया था। तब फ्रांस ही था जिसने भारत के कंधे पर हाथ रखा था और एक सच्चे दोस्त की तरह भारत का समर्थन किया था। यदि ये कहा जाए कि रूस के बाद इस समय यूरोप में हमारा गहरा दोस्त फ्रांस है, तो गलत नहीं होगा। जानिए भारत और फ्रांस के बीच कब शुरू हुई दोस्ती की कहानी, कैसे प्रगाढ़ हुए संबंध। भारत को फ्रांस से क्या हैं फायदे? फ्रांस भारत से क्या चाहता है। पीएम मोदी की ताजा यात्रा में किन किन मुद्दों पर हो सकती है दोनों देशों में बात? 

किन मुद्दों पर हो सकती है दोनों देशों में बात?

  1. चीन के हिंद प्रशांत क्षेत्र  में बढ़ते दखल और अनावश्यक दबदबे से यूरोपीय देश चिंतित हैं। जाहिर है इनमें फ्रांस भी शामिल है। ऐसे में भारत और फ्रांस के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा काफी अहम रहेगा।
  2. रक्षा सौदों पर तो दोनों देशों में चर्चा होगी ही। साथ ही रणनीतिक मुद्दों पर भी दोनों देश बात कर सकते हैं। इनमें वर्तमान में यूक्रेन और रूस के बीच हो रही जंग को रोकने के उपायों पर चर्चा हो सकती है। अमेरिका और चीन के बीच 'कोल्ड वॉर' के बीच बदलती दुनिया के समीकरणों पर भी चर्चा संभव है। 
  3. इसके साथ ही दक्षिण एशिया के हालात पर भी बातचीत हो सकती है। इनमें पाकिस्तान का आर्थिक संकट और अफगानिस्तान में मानवाधिकार का हनन आदि शामिल है।

भारत के साथ किन मुद्दों को उठा सकता है फ्रांस?

  1. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों कुछ समय पहले अमेरिका के लिए दिए गए अपने बयान के कारण दुनियाभर में सुर्खियों में आ गए थे। मैक्रों ने कहा था कि यूरोप के देशों को अमेरिका का पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए। 
  2. वर्तमान जंग में अमेरिका के 'स्टैंड' के बीच मैक्रों रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा उठा सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरह पीएम मोदी पर रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के पक्ष में खड़े होने या समर्थन के कदम उठाने का आह्वान कर सकते हैं।
  3. द्विपक्षीय बातचीत के दौरान फ्रांस द्वारा भारत से कहा जा सकता है कि अगर वह प्रतिबंध लगाने में पश्चिमी देशों का साथ नहीं देना चाहता है, तो कम से कम वह रूस से कच्चा तेल खरीदना कम करे। क्योंकि रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं।

रूस से भारत के संबंध पारंपरिक, इसके बाद फ्रांस सबसे बड़ा साझेदार

भारत की आजादी के बाद सबसे करीब कोई था तो वो देश था ब्रिटेन। लेकिन शीतयुद्ध के दौर में दुनिया बदली। ऐसे समय में शीतयुद्ध के बाद पिछले तीन दशकों में विचारों और पारस्परिक हितों के स्तर पर फ्रांस यूरोप में भारत का सबसे मजबूत दोस्त बनकर उभरा। भले ही रूस के साथ हमारे संबंध सबसे गहरे और पारंपरिक हैं, लेकिन रूस के बाद यदि कोई हमारा मजबूत साझेदार कोई है, तो वो फ्रांस ही है।

1998 में क्या हुआ था, जिसके बाद फ्रांस और भारत की दोस्ती परवान चढ़ी

साल था 1998 का, भारत और फ्रांस दोनों देशों के आपसी रिश्तों को सबसे ज़्यादा मज़बूती 1998 में हुए रणनीतिक साझेदारी समझौते ने दी। बीते 25 सालों में दोनों देश इस समझौते पर खरे उतरते दिखाई दिए हैं। फ्रांस से इस समझौते के तुरंत बाद 1998 में ही भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। तब पूरी दुनिया ने भारत के साथ संबंध तोड़ लिए। तमाम पश्चिमी देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध थोप दिए। उस समय अटलजी की सरकार थी। अटलजी के 'अटल' निर्णय से पोखरण परीक्षण तो हो गया, लेकिन ऐसे समय में जब भारत पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई। तब फ्रांसीसी राष्‍ट्रपति जैक शिराक ने दोस्ती दिखाई और फ्रांस उन देशों में शामिल नहीं हुआ। यही नहीं,  फ्रांस ने इन प्रतिबंधों को जल्द से जल्द हटाने के लिए भारत की ओर से किए जाने वाले प्रयासों का समर्थन भी किया।

भारत को फ्रांस से क्या मिला फायदा? मिले अत्याधुनिक रक्षा उत्पाद

कुछ देशों ने भारत को ​हथियार देने से मना कर दिया, हथियार निर्यात पर पाबंदी लगा दी। तब भी फ्रांस ने इस दौरान प्रतिबंध लगाने वाले देशों से अलग खड़ा रहा। यही कारण है कि आज फ्रांस को भारत अपना 'मुसीबत' का साथी मानता है और पिछले 25 सालों से फ्रांस भारत को राफेल एयरक्राफ्ट से लेकर पनडुब्बी तक अलग अलग रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। सिर्फ रूस ही फ्रांस से आगे है। अब 13 और 14 जुलाई को जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रोस की राजधानी पेरिस में होंगे तो वह उस विरासत को आगे बढ़ाएंगे जो पिछले तीन दशक की रणनीतिक साझीदारी से जुड़ी है। 

फ्रांस यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत का सच्चा साथी

विदेश मामलों के जानकारों की मानें तो यूरोपियन यूनियन (ईयू) से यूके के जाने के बाद फ्रांस यूरोप का अकेला देश है जो सुरक्षा परिषद का सदस्‍य है और परमाणु शक्ति से लैस है। ऐसे में यह परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और फ्रांस के आपसी सहयोग की संभावना काफी बढ़ जाती है। सुरक्षा परिषद का स्‍थायी सदस्‍य होने की वजह से फ्रांस काउंटर टेररिज्‍म, आतंकियों को बैन करना, मिसाइल कंट्रोल रिजाइम में भारत का साथ देना और ऐसे कई मसलों में फ्रांस ही भारत का सबसे बड़ा मददगार साबित हुआ है।

भारत के लिए फ्रांस की राय कभी नहीं बदली

इसके अलावा फ्रांस का रुख कभी भी भारत के लिए नहीं बदला है। साथ ही वह भारत की चिंताओं को समझते हैं। दुनिया में ऐसी कोई महाशक्ति नहीं है जो इस तरह से चिंताओं को समझकर भारत के लिए आगे आए। 

ये रहा पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा का पूरा शेड्यूल

पीएम मोदी अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान 13 जुलाई की दोपहर पेरिस पहुंचेंगे। शाम 4.05 बजे वे राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे। शाम 5.15 बजे वे फ्रांस के समकक्ष के साथ बैठक करेंगे। शाम 7.35 बजे वे कम्यूनिटी इवेंट 'La Seine Musicale' में हिस्सा लेंगे। रात 9 बजे फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ रात्रिभोज में हिस्सा लेंगे।