Explainer: जानिए क्यों पाकिस्तान का काला अध्याय है 5 जुलाई का दिन, किस जनरल ने की थी शर्मनाक करतूत
पाकिस्तान में पांच जुलाई का दिन एक काला अध्याय है। यह वो दिन है जब एक जनरल ने तख्ता पलट करते हुए जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से बेदखल कर दिया था। जनिए आखिर यह सब हुआ कैसे था।
Pakistan 5 July History: इतिहास में पांच जुलाई का दिन कई ऐतिहासिक घटनाओं के साथ दर्ज है। पाकिस्तान में यह दिन किसी काले अध्याय से कम नहीं है। इस दिन पाकिस्तान में जनरल मोहम्मद जिया उल-हक के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने जुल्फिकार अली भुट्टो सरकार का तख्ता पलट दिया और शासन अपने हाथ में ले लिया था। 1947 से अब तक करीब 35 साल तो सीधे तौर पर पाकिस्तान का शासन सेना के नियंत्रण में रहा है। इसके अलावा जब भी वहां चुनी हुई सरकार बनी उसमें सेना की दखलंदाजी देखने को मिली है। तो चलिए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
जिया ने की फूलों की बारिश
प्रधानमंत्री बनने के बाद 1973 में जुल्फिकार अली भुट्टो मुल्तान की यात्रा पर गए थे। उस समय मोहम्मद जिया उल-हक सेना में डिवीजनल कमांडर हुआ करते थे। उन्होंने भुट्टो के स्वागत के लिए तमाम सैनिको को सड़कों पर उतार दिया था, जो भुट्टो की कार पर फूल फेंक रहे थे। इस मेहमानबाजी से प्रधानमंत्री फूले नहीं समा रहे थे। सबकुछ इतना शानदार हुआ था कि भुट्टो बेहद खुश थे।
एक रात क्या हुआ
एक बार ऐसा हुआ कि रात के समय भुट्टो के कमरे की लाइट जल रही थी। इसी दौरान जिया वहां से गुजरे तो उन्होंने लाइट को जलते हुए देखा। मोहम्मद जिया उल-हक रहा नहीं गया और वह आगे कमरे की तरफ बढ़ने लगो। कमरे की खिड़कियों पर लगे शीशों से झांककर अंदर देखने लगे। इतने में भुट्टो को शीशे से आ रही परछाई से लग गया कि कोई बाहर खड़ा हुआ है। उन्होंने अपने एडीसी को आदेश दिया कि जाकर देखो बाहर कौन खड़ा है। एडीसी जब बाहर गया तो देखा कि जिया खड़े हैं। एडीसी आकर भुट्टो को बताया कि डिवीजनल कमांडर जिया हैं।
भुट्टो का जिया पर भरोसा बढ़ता गया
बताया जाता है कि भुट्टो ने जिया को अंदर बुलाया और इतनी रात आने का कारण पूछा। जिया ने जवाब दिया कि मैं यहां से गुजर रहा था तो देखा कि कमरे की लाइट जल रही है। यह देखकर हैरान रह गया क्योंकि उनका प्रधानमंत्री इतनी रात तक काम कर रहा है। जिया की चापलूसी भरी बातें सुनकर भुट्टो की आंखों में चमक दौड़ गई थी। इसके बाद जिया पर भुट्टो का भरोसा बढ़ता गया।
भुट्टो ने बनाया जिया को सेना प्रमुख
जिया ने भुट्टो की खूब चमचागिरी भी की। 1976 में टिक्का खान के रिटायरमेंट के बाद सेना प्रमुख की कुर्सी खाली हो गई। तब भुट्टो ने सोचा कि किसी ऐसे शख्स को सेना प्रमुख बनाया जाए, जो उनकी बात सुने। इस खांचे में जिया उल-हक फिट बैठ रहे थे, सो उन्हें सेना प्रमुख बना दिया गया। लेकिन यही जिया उल-हक आगे चलकर भुट्टो के लिए आस्तीन का सांप बन गए। पांच जुलाई 1977 में जिया उल-हक ने तख्तापलट कर दिया और जुल्फिकार अली भुट्टो को जेल में डाल दिया। जिया उल-हक ने पांच जुलाई 1977 को मार्शल लॉ लागू कर दिया। 18 मार्च 1978 को लाहौर हाईकोर्ट ने भुट्टो को हत्या के एक मामले में दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट से भी अपील खारिज होने के बाद 4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
पाकिस्तान में शरिया लागू
तख्ता पलट करने के बाद जनरल जिया उल-हक ने पाकिस्तान का इस्लामीकरण करना शुरू कर दिया। जिया उल-हक ने देश में शरिया लागू कर दिया। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान, जो इस्लाम के नाम पर बना था, वो तभी जिंदा रहेगा जब इस्लाम से जुड़ा रहेगा। यही कारण है कि मैं पाकिस्तान के लिए इस्लामी प्रणाली की शुरुआत को जरूरी शर्त मानता हूं।' जिया उल-हक का मानना था कि धर्मनिरपेक्षता अंग्रेजों से विरासत में मिली है। 1978 से 1985 तक जनरल जिया उल-हक ने पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र में बदलने के लिए वो सबकुछ किया, जो किया जा सकता था। उन्होंने कानून तक बदल डाले।
शरिया बेंच बनाने का दिया आदेश
जिया उल-हक ने सभी अदालतों में शरिया बेंच बनाने का आदेश दिया, साथ ही यह भी आदेश दिया कि अब अपराधियों को शरिया कानून के तहत ही सजा दी जाएगी। उन्होंने जमात-ए-इस्लामी पार्टी के 10 हजार से ज्यादा लोगों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया, ताकि अगर कल को जिया की मौत हो जाती है तो वो उनके एजेंडे को जारी रखें।
ऐसे हुई मौत
17 अगस्त 1988 को पाकिस्तान के बहावलपुर एयरबेस से दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर एक विमान उड़ा। इस विमान में जनरल जिया उल-हक बैठे थे। उनके साथ पाकिस्तानी सेना के सीनियर अफसर भी विमान में थे। अमेरिका के राजदूत आर्नल्ड रफेल भी इसमें बैठे थे। विमान को उड़ान भरे 5 से 7 मिनट ही हुए थे और एयरबेस से मात्र 18 किलोमीटर दूर यह क्रैश हो गया। विमान में 31 लोग सवार थे और सभी जलकर खाक हो गए थे। पाकिस्तान के इतिहास में राष्ट्रपति या यूं कहें कि सैन्य तानाशाह के रूप में जिया का कार्यकाल सबसे लंबा रहा है। उनके विरोधी कहते हैं कि जनरल जिया उल-हक ने अपने कार्यकाल में जो कुछ किया, उसका नतीजा पाकिस्तान आज तक भुगत रहा है।
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