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देश में लागू हुए नए आपराधिक कानून, क्या होगा फायदा और क्यों हो रहा है विरोध? यहां जान लीजिए

देश में लागू हुए नए आपराधिक कानून। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है। आइए जानते हैं कुछ खास बातें।

नए आपराधिक कानून- India TV Hindi Image Source : X/@MPA_INDIA नए आपराधिक कानून।

एक जुलाई 2024 की तारीख से भारत में नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। अंग्रेजों के जमाने के भारतीय दंड संहिता , दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम अब समाप्त हो गए हैं। अब इनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है। आपको बता दें कि इन कानूनों से जुड़े विधेयक को बीते साल संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पास करवाया गया था। इस कानून के लागू होने के बाद से कई धाराएं और सजा के प्रावधान आदि में बदलाव आया है। हालांकि, कई राजनीतिक दल इसका विरोध भी कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि इन नए कानूनों के फायदे क्या हैं और क्या है इनके विरोध का कारण...

अब कहीं भी करा सकेंगे FIR

‘जीरो एफआईआर’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। नये कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा।

Image Source : Representativeनए आपराधिक कानून।

मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के अंदर फैसला 

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है तथा यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं। नये कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। 

रेप से लेकर मॉब लिंचिंग तक के लिए नए प्रावधान

दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी। कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है, राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है। इसके अलावा सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसके अलावा मॉब लिंचिंग के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।

कई नए प्रावधान भी जुड़े

नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं। नए कानून में महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी और वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

Image Source : Representativeनए आपराधिक कानून।

क्या है जानकारों की राय?

इन कानूनों को लेकर कानूनी विशेषज्ञों ने भी अपनी-अपनी राय दी है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अब कानून लागू करने वाली एजेंसियों, न्यायिक अधिकारियों और कानूनी पेशेवरों के लिए आगे बड़ी चुनौतियां हैं।  ये कानून बड़ी संख्या में नागरिकों को उनके जीवन में किसी न किसी समय प्रभावित करेंगे। कई कानूनी जानकारों की ये भी दलील है कि नए आपराधिक कानूनों में, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बिना किसी नियंत्रण और संतुलन के निरंकुश शक्तियां दी गई हैं जिससे खतरा भी हो सकता है। 

क्या बोल रहे विपक्षी दल?

नए आपराधिक कानून के लागू होने से पहले बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे रोकने की मांग की थी। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून को बिना किसी व्यापक चर्चा के लागू किया गया है। विपक्ष ने मांग की है कि संसद नए आपराधिक कानूनों की फिर से जांच करे, उनका दावा है कि ये देश को पुलिस राज्य में बदलने की नींव रखते हैं।

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