एनडीए Vs 'महागठबंधन': 30 से अधिक दलों वाले NDA के सामने 26 दलों वाले विपक्ष में कितना दमखम, कल दोनों खेमे की बड़ी बैठक
देश में राजनीतिक सरगर्मियां तेजी से बढ़ गई हैं। कल यानी 18 जुलाई को देश में दो बड़ी राजनीतिक बैठकें होंगी। एक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक है, वहीं दूसरी बैठक दिल्ली में 'एनडीए' की होगी।
Indian Politics: आने वाला मौसम चुनाव का है। अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव है। इससे पहले राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में सभी पार्टियों और गठबंधनों ने कमर कस ली है। हालांकि साल 2024 के आम चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक सरगर्मियां तेजी से बढ़ गई हैं। कल यानी 18 जुलाई को देश में दो बड़ी राजनीतिक बैठकें होंगी। एक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक है, वहीं दूसरी बैठक दिल्ली में 'एनडीए' की होगी। इसके लिए विपक्षी दलों और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए दोनों खेमे में हलचल शुरू हो गई है। खास बात यह है कि ओपी राजभर की सुभासपा भी एनडीए के खेमे मे आ गई है। वैसे 2014 और 2019 एक के बाद एक आम चुनाव में जीत से भारतीय जनता पार्टी के देश में पकड़ मजबूत हुई है। वहीं विपक्षी दल पासा पलटने की भरपूर कोशिश में जुटे हुए हैं। हालांकि उनके लिए ये राह आसान नहीं है।
आगामी लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जहां 26 विपक्षी दल अपने मतभेदों को सुलझाने और भाजपा के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए एक साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती पेश करने के लिए सोमवार और मंगलवार (17-18 जुलाई) को बेंगलुरु में हैं, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने भी मंगलवार को नई दिल्ली में एक मेगा बैठक की घोषणा की है। उम्मीद है कि करीब 30 पार्टियां गठबंधन के लिए अपने समर्थन की पुष्टि करेंगी।
मोदी सरकार को हटाने के लिए समूचे विपक्ष का एकसाथ आने का फैसला
यह देखना राजनीति दृष्टिकोण से बड़ा अभूतपूर्व है कि देश के सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार को हटाने के लिए एकसाथ आने का फैसला किया है। हाल के समय में एक के बाद एक आम चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की जीत ने न केवल केंद्र में भगवा पार्टी की पकड़ मजबूत की है, बल्कि विपक्षी दलों को भी पासा पलटने की कोशिश में कुछ अलग सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
बीजेपी सहित बड़ी पार्टियों ने चुनाव के लिए कसी कमर
सत्तारूढ़ भाजपा ने इस साल के अंत में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ-साथ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले अपनी चुनावी तैयारी तेज कर दी है। बीजेपी ने उन राज्यों में अपने नए अध्यक्ष बनाए हैं, जहां अभी उनकी सरकार नहीं है। वहीं कई राज्यों में चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। इस तरह बीजेपी ने चुनाव के लिए अभी से ही कमर कस ली है। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान सहित कई नए सहयोगी और कुछ पूर्व सहयोगी, सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा ताकत दिखाने के लिए 18 जुलाई को भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की बैठक में शामिल हो सकते हैं। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे।
एनडीए की बैठक में इन पार्टियों के शामिल होने की संभावना
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
- शिव सेना शिंदे गुअ (एसएचएस)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-अजीत पवार)
- अपना दल (सोनेलाल)
- रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई)
- जन सेना पार्टी (जेएसपी)
- नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी)
- हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM)
- नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)
- लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
- जननायक जनता पार्टी (जेजेपी)
- ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK)
- पट्टाली मक्कल काची (पीएमके)
- सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम)
- ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू)
- राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP)
- तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी)
- मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ)
- असम गण परिषद (एजीपी)
- यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल)
- शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त)
- अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस (एआईएनआरसी)
- सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP)
- निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद)
- भारतीय मक्कल कालवी मुनेत्र कड़गम (IMKMK)
- राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD)
- इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी)
- बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ)
- महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी)
- नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ)
बेंगलुरु में जुटेगा समूचा विपक्ष
इस बीच, कांग्रेस ने कर्नाटक के बेंगलुरु में सोमवार से शुरू होने वाली दूसरी विपक्षी एकता बैठक के लिए कुल 25 दलों से समर्थन जुटाया है। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के खिलाफ एकजुट मोर्चा पेश करने के अपने प्रयासों के तहत कम से कम 26 विपक्षी दलों के नेता 17 जुलाई को बेंगलुरु पहुंच गए हैं। वहीं बड़ी बैठक 18 जुलाई को होगी। इसके लिए बेंगलुरु के एक होटल को बुक किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, बेंगलुरु बैठक में विपक्षी गठबंधन का नाम तय होगा और न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चर्चा होगी। इसके अलावा, कई समितियों के गठन की उम्मीद है जो गठबंधन में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठकें करेंगी।
'आप' भी करेगी शिरकत, बैठक में जुटेंगे कई दलों के शीर्ष नेता
बेंगलुरु में होने वाली अहम विपक्षी बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत विपक्ष के सभी बड़े नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी रविवार को बैठक में अपनी उपस्थिति की पुष्टि की। ऐसा तब हुआ जब कांग्रेस ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया और कहा कि अगर संसद में अध्यादेश के स्थान पर कोई विधेयक लाया जाता है तो वह दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र के अध्यादेश का विरोध करेगी।
विपक्ष की बैठक में इन पार्टियों के शामिल होने की उम्मीद
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी)
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके)
- आम आदमी पार्टी (आप)
- समाजवादी पार्टी (सपा)
- तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी)
- राष्ट्रीय जनता दल (राजद)
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम)
- राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
- जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)
- शिव सेना (यूबीटी)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई)
- ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन (सीपीआई-एमएल)
- रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)
- विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके)
- जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC)
- जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (JKPDP)
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)
- केरल कांग्रेस (जोसेफ)
- केरल कांग्रेस (मणि)
- मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)
- कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (KMDK)
- अपना दल (के)
- मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके)
लोकसभा चुनाव 2014: बीजेपी, कांग्रेस का प्रदर्शन पर एक नजर
2014 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा को 31% वोट मिले और उसने 282 सीटें जीतीं, जबकि उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए ने कुल 336 सीटें जीतीं। बीजेपी को 31% वोट मिले, जबकि एनडीए का संयुक्त वोट शेयर 38.5% था। इसके विपरीत, परिणाम कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था, जिसने स्वतंत्रता के बाद भारत में सबसे ज्यादा शासन किया। सबसे पुरानी पार्टी को सिर्फ 19.3% वोट मिले और उसने केवल 44 सीटें जीतीं। उसके गठबंधन, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने कुल 59 सीटें जीती थीं।
लोकसभा चुनाव 2019: जानिए बीजेपी, कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा?
पांच साल बाद, 2019 के चुनाव में भाजपा को 37.36% वोट मिले, जो 1989 के आम चुनाव के बाद से किसी राजनीतिक दल द्वारा सबसे अधिक वोट शेयर था, और उसने 303 सीटें जीतीं। इसके अलावा बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 353 सीटें जीतीं। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी ने 52 सीटें जीतीं, लेकिन विपक्ष के नेता के पद पर दावा करने के लिए आवश्यक 10% सीटें हासिल करने में कांग्रेस असफल रही। इसके अलावा, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने 91 सीटें जीतीं, जबकि अन्य दलों ने 98 सीटें जीतीं।
2024 के लिए क्या बन रहे समीकरण?
हालांकि वर्ष 2024 के चुनाव में अभी करीब एक साल का समय है। लेकिन आज बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए से परे, समूचा विपक्ष एनडीए को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट हो गया है। हालांकि इस एकता में भी सबकी अपनी अपनी वजह हैं। नीतीश को पीएम बनने की चाह, 'आप' के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को यह उम्मीद कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के मामले में कोई विधेयक आता है तो कांग्रेस समर्थन् करेगी। इस मुद्दे पर वह विपक्ष के साथ आई है। बड़ी बात यह कि हाल के बंगाल चुनाव मे कांग्रेस और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में जिस तरह से अदावत दिखाई दी, जिस तरह कांग्रेस कार्यकर्ता चुनावी हिंसा का शिकार बने, उससे ममता और कांग्रेस के बीच एक अनकही 'खाई' बन गई है। कांग्रेस के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी, जिन्हें बंगाल में कांग्रेस का चुनाव प्रभारी बनाया, उन्होंने तो ममता बनर्जी की सरकार को पानी पी पीकर कोसा है।
विपक्षी दल के लिए असली परीक्षा अभी बाकी
ऐसे में अपने अपने 'स्वार्थ' के लिए साथ आए इस विपक्षी दल की एकता कितने समय तक चलती है, ये देखना होगा। आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल को क्या हासिल होगा, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन उससे पहले असली परीक्षा तो तब होगी, जब चुनाव की घोषणा के बाद टिकट बंटवारे की बात आएगी।