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Hindi News Explainers Lok Sabha Elections 2024: मलूक नागर के RLD में शामिल होने का क्या होगा सियासी असर? जानें, मायावती के लिए क्यों है बड़ा झटका

Lok Sabha Elections 2024: मलूक नागर के RLD में शामिल होने का क्या होगा सियासी असर? जानें, मायावती के लिए क्यों है बड़ा झटका

बिजनौर से सांसद मलूक नागर ने गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी से नाता तोड़कर राष्ट्रीय लोक दल का दामन थाम लिया और इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एनडीए के लिए एक अच्छी खबर के रूप में देखा जा रहा है।

Lok Sabha Elections 2024, Lok Sabha Elections, Elections 2024- India TV Hindi Image Source : TWITTER.COM/RLDPARTY मलूक नागर ने गुरुवार को राष्ट्रीय लोक दल का दामन थाम लिया।

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी और उसकी सुप्रीमो मायावती को एक बहुत बड़ा झटका लगा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में शुमार मलूक नागर ने बीएसपी से इस्तीफा दे दिया है। बिजनौर से 2019 में बीएसपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतने वाले नागर ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक दल का हाथ थाम लिया। राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मलूक नागर को एक प्रेस वार्ता के दौरान पार्टी में शामिल किया।

बीएसपी के लिए क्यों बड़ा झटका है मलूक नागर का जाना?

मलूक नागर के RLD में शामिल होने से माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ईथअ को अच्छा खासा फायदा होगा, वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी को नुकसना उठाना पड़ेगा। माना जाता है कि बिजनौर और उसके आसपास के इलाके में नागर की काफी अच्छी पकड़ है। उनकी गिनती मायावती के भरोसेमंद नेताओं में होती थी, लेकिन पिछले कुछ समय से सियासी गलियारे में इस बात की भी चर्चा चल रही थी कि मलूक नागर बीएसपी का साथ छोड़ सकते हैं। नागर के जाने से बीएसपी को अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनके कद का नेता खोजने में मुश्किल होगी और आगामी लोकसभा चुनावों में भी उसकी उम्मीदों को झटका लग सकता है।

2 चुनाव हारने के बाद भी बीएसपी ने जताया था भरोसा

बता दें कि 2009 और 2014 में मेरठ और बिजनौर सीट से लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मलूक नागर पर भरोसा जताया था और 2019 में एक बार फिर बिजनौर से प्रत्याशी बनाया था। नगार को सपा के साथ गठबंधन का फायदा मिला और वह चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए। उन्होंने उन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के कुंवर भारतेंद्र सिंह को 69,941 मतों के अंतर से मात दी थी, और सूबे में बसपा के 10 सांसदों में से एक के तौर पर अपना नाम दर्ज करा लिया था। हालांकि इस बार उन्हें बहुजन समाज पार्टी ने टिकट नहीं दिया और उन्होंने आरएलडी का दामन थाम लिया।

यूपी के सबसे अमीर सांसदों में गिने जाते हैं मलूक नागर

बता दें कि मलूक नागर की गिनती यूपी के सबसे अमीर सांसदों में भी होती है और वह एक बड़े कारोबारी हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के मुताबिक, नागर की कुल संपत्ति करीब 250 करोड़ रुपये है। उनके पास 115 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति है। इसमें प्रॉपर्टी और कृषि की जमीन आती है। मलूक पर बैंकों का 101.61 करोड़ रुपये बकाया भी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मलूक नागर और उनके भाई के खिलाफ 54 करोड़ रुपये की वसूली का भी नोटिस जारी किया था। इसके बाद उनके कुछ ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग की रेड भी हुई थी।

जयंत चौधरी ने कहा- जमीनी नेता पार्टी में शामिल हो रहा

मालूक नागर के आरएलडी में शामिल होने के बाद जयंत चौधरी ने कहा कि आज एक जमीनी नेता पार्टी में शामिल हो रहा है। वहीं, नागर ने कहा कि वह राष्ट्रीय लोक दल में शामिल होना चाहते थे। जैसा कि हमने बताया बहुजन समाज पार्टी ने इस बार मलूक नागर का टिकट काट दिया था। उनकी जगह मायावती ने चौधरी ब्रजेंद्र सिंह को बीएसपी का उम्मीदवार बनाया है। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही मलूक नागर के बीएसपी छोड़ने की खबर सामने आई थी, लेकिन बिजनौर से टिकट कटने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी।

मलूक नागर के आने से NDA को कितना फायदा?

2009 और 2014 के चुनावों में भले ही मलूक नागर को हार मिली हो, लेकिन उन्हें अच्छे खासे वोट मिले थे। पश्चिमी यूपी में अच्छी जमीनी पकड़ वाले नेता नागर के आने से NDA को कुछ इलाकों में निश्चित तौर पर मजबूती मिल सकती है। वहीं, बिजनौर की लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे चंदन चौहान को भी इसका फायदा मिल सकता है। बता दें कि जहां पिछली बार इस सीट पर नागर ने बीजेपी के उम्मीदवार को हराया था, वहीं इस बार यह सीट NDA गठबंधन के तहत राष्ट्रीय लोक दल के खाते में गई है।