हेल्दी डाइट ही नहीं, कम नींद भी बना रही है डायबिटीज टाइप 2 का शिकार, जानिए कितने घंटे की नींद है जरूरी?
Diabetes Type 2: लाइफस्टाइल डिजीज डायबिटीज टाइप 2 के खतरे का आपकी नींद से गहरा संबंध है। कई रिसर्च में पता चला है कि हर दिन 7-8 घंटे की नींद लेने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है। लेकिन कम या ज्यादा सोने पर ये खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
खराब लाइफस्टाइल के कारण भारत समेत दुनियाभर में डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। खाने-पीने में लापरवाही और कुछ अनहेल्दी आदतें लोगों को डायबिटीज की ओर धकेल रही हैं। अब यूके बायोबैंक के एक रिसर्च में सामने आया है कि डायबिटीज टाइप 2 का संबंध आपकी नींद से भी है। ये बायोबैंक डेटा इकट्ठा करती है जिसके आधार पर मेडिकल रिसर्च किए जाते हैं। इस नए रिसर्च में सामने आया है कि नींद और मधुमेह के बीच गहरा संबंध है। जी हां अगर आप प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे की नींद नहीं लेते, तो इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ता है।
करीब 2,47,867 युवाओं पर 10 साल से ज्यादा समय के लिए ये रिसर्च किया गया है। जिसमें आपके सोने का समय और टाइप 2 डायबिटीज के बीच संबंधों को समझने की कोशिश की गई है। क्या सिर्फ हेल्दी खाने से डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है? भले ही इंसान कम देर नींद ले रहा हो। रिसर्च में नॉर्मल सोने का समय करीब 7-8 घंटे के बीच माना गया, जबकि 7 घंटे, 5 घंटे और 3-4 घंटे की नींद को कम माना गया है।
कम नींद से बढ़ रहा है डायबिटीज टाइप 2 का खतरा
इस रिसर्च के समय में करीब 3.2 प्रतिशत लोग डायबिटीज टाइप-2 के शिकार पाए गए। जबकि ये लोग हेल्दी डाइट ले रहे थे और जब इनकी नींद को दिन में 6 घंटे से कम किया गया तो नॉर्मल सोने वालों से कम सोने वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा था। जो लोग एक दिन में सिर्फ 5 घंटे सोते थे उनमें 16% ज्यादा डायबिटीज का खतरा पाया गया। वहीं जो लोग सिर्फ 3-4 घंटे की नींद ले रहे थे उनमें डायबिटीज टाइप-2 का खतरा 41% ज्यादा पाया गया। ये स्टडी हेल्दी डाइट के साथ की गई थी, जिसमें फल, सब्जियां, रेड मीट और मछली शामिल की गई थीं। रिसर्च में पाया गया कि हेल्दी डाइट के बाद भी जो लोग कम सोते थे उनमें डायबिटीज टाइप 2 का खतरा ज्यादा था।
क्या है टाइप 2 डायबिटीज?
टाइप 2 डायबिटीज में शरीर पैंक्रियाज में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या जो इंसुलिन बनता है शरीर उसका ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। खाने से जो गलूकोज मिलता है इंसुलिन उसे खून में बैलेंस करता है और कोशिकाओं तक पहुंचाता है। जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है। पिछले रिसर्च में ये भी पता चला है कि जो लोग कम सोते हैं उनके खून में फैटी एसिड्स की मात्रा ज्यादा होती है जिससे इंसुलिन फंक्शन प्रभावित होता है। ऐसी स्थिति में शरीर ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल नहीं कर पाता और ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा पैदा होता है।
टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कैसे कम करें?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को हेल्दी लाइफस्टाइल से काफी कम किया जा सकता है। इसमें सबसे जरूरी है आपकी डाइट और नींद। नियमित रूप से 7-8 घंटे की नींद लेकर डायबिटीज के रिस्क को किया किया जा सकता है। इसके अलावा हाई इंटेंसिटी की एक्सरसाइज और वजन कम रखने से भी शुगर का खतरा कम होता है।
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण काफी समय तक महसूस नहीं होते हैं। कई बार लोगों को समझ नहीं आता कि वो डायबिटीज के शिकार हैं। यही वजह है कि लंबे समय तक लोग डायबिटीज का इलाज नहीं करवा पाते हैं। डायबिटीज का शिकार होने पर बहुत प्यास लगती है। बार-बार भूख लगती है और पेशाब आता है। दिनभर थकान और कमजोरी महसूस होती है। अगर कहीं चोट लग जाए तो घाव भरने में काफी वक्त लगता है।
भारत पर मंडरा रहा है टाइप 2 डायबिटीज का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के करीब 77 मिलियन लोग डायबिटीज (टाइप 2) से पीड़ित हैं। करीब 25 मिलियन लोग प्रीडायबिटिक हैं और 50% से अधिक लोगों को डायबिटीज से पीड़ित होने के बारे में जानकारी नहीं है। भारत में 20 से 30 साल की उम्र के युवाओं में डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज से पीड़ित युवाओं में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है।