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Hindi News Explainers Explainer: ब्रिटेन में कैसे होते हैं आम चुनाव, क्या है पूरी प्रक्रिया; जानिए सबसे दिलचस्प पहलू

Explainer: ब्रिटेन में कैसे होते हैं आम चुनाव, क्या है पूरी प्रक्रिया; जानिए सबसे दिलचस्प पहलू

ब्रिटेन में हो रहे आम चुनाव में जनता नेताओं की किस्मत का फैसला करेगी। इस बार चुनाव के दौरान मतदान केंद्र पर पहचान पत्र ले जाना अनिवार्य कर दिया गया है। चुनाव में ऋषि सुनक की टक्कर कीर स्टार्मर से है।

UK General Election- India TV Hindi Image Source : FILE REUTERS UK General Election

UK General Elections 2024: ब्रिटेन में बृहस्पतिवार को आम चुनाव हो रहे हैं जिसमें प्रधानमंत्री एवं कंजर्वेटिव पार्टी के नेता ऋषि सुनक के राजनीतिक भविष्य का फैसला होगा। इन चुनाव में लगभग चार करोड़ 65 लाख मतदाता मतदान करने के पात्र हैं। मतदाता 650 निर्वाचन क्षेत्रों में संसद के सदस्यों के लिए मतदान करेंगे। स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे देशभर भर में बनाए गए करीब 40,000 मतदान केंद्रों में मतदाता अपने पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करेंगे। इस बार मतदान केंद्र पर पहचान पत्र ले जाना अनिवार्य है।

2019 में कंजर्वेटिव पार्टी ने दर्ज की थी जीत 

ऋषि सुनक ने बुधवार को लोगों से उनके पक्ष में मतदान करने की अपील की थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, ''यही बात हमें एकजुट करती है। हमें लेबर पार्टी की बहुमत वाली सरकार को रोकना होगा जो आप पर कर बढ़ाएगी। ऐसा करने का एकमात्र तरीका है, कंजर्वेटिव पार्टी को वोट देना।'' देश में 2019 में हुए आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी 365 सीटों पर जीती थी वहीं लेबर पार्टी ने 202 सीटें जीती थीं। तो चलिए अब आपको बताते हैं कि ब्रिटेन में आम चुनाव कैसे होते हैं और यहां होने वाले चुनाव भारत से कितने अलग हैं। 

Image Source : reutersUK Elections 2024

ब्रिटेन में ऐसे होते हैं चुनाव 

भारत में संसदीय प्रणाली की सरकार ब्रिटिश संविधान से ली गई है। ऐसे में भारत और ब्रिटेन के चुनावों में बहुत समानताएं हैं। आम चुनाव में यूके के हर हिस्से में 18 साल और इससे अधिक उम्र के लोग अपना सांसद चुनने के लिए मतदान करते हैं। मतदान कुल 650 संसदीय सीटों के लिए होता है। चुना गया व्यक्ति ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में पांच साल तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कई उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाते हैं। फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम के तहत सबसे ज्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार सांसद बनता है। 

चुनाव की दिलचस्प बात

ब्रिटेन के चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इसमें चार देश हिस्सा लेते हैं। इंग्लैंड के अलावा वेल्स, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड। ग्रेट ब्रिटेन इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करता है। लिहाजा चार देशों की कुल 650 सीटों के लिए सांसद चुने जाते हैं। इनमें से इंग्लैंड के लिए 543, स्कॉटलैंड के लिए 57, वेल्स के लिए 32 और उत्तरी आयरलैंड के लिए 18 सांसदों का चुनाव किया जाता है। इस प्रकार 650 सीटों पर चुनाव होता है। सरकार बनाने के लिए यहां किसी पार्टी को 326 सीटों की जरूरत होती है। 

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बैलेट बॉक्स में जनता करती है मतदान

भारत की तरह यहां भी अलग-अलग क्षेत्रों से सांसद चुने जाते हैं, इसके बाद सबसे बड़ी पार्टी के सांसद अपना प्रधानमंत्री चुनते हैं। यहां बैलेट बॉक्स में जनता वोट करती है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल नहीं होता है। यहां पोलिंग बूथों पर सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक वोटिंग होती है। वोटिंग होते ही यहां काउंटिंग शुरू हो जाती है। इसके बाद परिणाम आने लगते हैं। भारत की तरह यहां भी वोट देने के लिए मतदाता की उम्र 18 वर्ष ही निर्धारित है। खास बात यह है कि ब्रिटेन के चुनाव में कैदी और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों को मतदान का अधिकार नहीं दिया गया है।

इस चुनाव में किनके बीच है मुकाबला

2024 में हो रहे चुनाव की बात करें तो इस बार ब्रिटेन में कुल 392 पार्टियां पंजीकृत हैं। हालांकि, मुख्य मुकाबला ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव और मुख्य विपक्षी नेता कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी के बीच है। चुनाव से पहले हुए सर्वेक्षणों ने अनुमान जताया है कि लेबर पार्टी संसद में बहुमत हासिल करेगी। अगर सर्वे सही साबित होते हैं, तो कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। ब्रिटेन में पिछले 14 साल से कंजर्वेटिव का शासन है। हालांकि, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से यह साल उथल-पुथल से भरे रहे हैं। पिछले आठ वर्षों में पांच कंजर्वेटिव प्रधानमंत्रियों ने ब्रिटेन की सत्ता संभाली है।  

Image Source : file apUK Election

यह भी जानें

ब्रिटेन के उच्च सदन में 92 सदस्य यहां के शाही परिवार से जुड़े होते हैं। इसके अलाव चर्च ऑफ इंग्लैंड के 26 बिशप भी इसके सदस्य होते हैं। ब्रिटेन की संसद दुनिया की सबसे बड़ी विधायिका है। इसे इसीलिए विश्व भर की संसद की मां भी कहा जाता है। इसमें प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त कई आजीवन सदस्य भी होते हैं। 

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