Explainer: जानिए क्या है हमास जिसे व्हीलचेयर पर बैठे शख्स ने किया शुरू, जो कई वर्षों से इजरायल के लिए बना हुआ है सिरदर्द
इजरायल पर हुए आतंकी हमले के बाद से हमास चर्चा में बना हुआ है। आखिर हमास का इतिहास क्या है? क्यों वह सालों से इजरायल को परेशान कर रहा है? यहां एक क्लिक में मिलेगी आपको पूरी जानकारी...
Israel : शनिवार 07 अक्टूबर को इजरायल में सामान्य सुबह होती है, लेकिन लगभग 6:30 बजे मंजर खौफनाक हो जाता है। इजरायल के कई इलाकों में सायरन बजने लगता है। यह सायरन संकेत हैं कि कुछ तो बेहद ही खतरनाक हुआ है। हर तरफ अफरा-तफरी मच जाती है। चारों तरफ गोलियों की आवाज सुनाई देने लगती है। शुरुआत में तो किसी को कुछ समझ में नहीं आता है। सड़कों पर 'अल्लाह हू अकबर' के नारे लगते हुए खुलेआम गोलीबारी हो रही थी। कुछ देर बाद साफ़ हो गया कि इजरायल पर हमला हुआ है। यह हमला किसी और ने नहीं बल्कि उसके सबसे पुराने और बड़े दुश्मन हमास ने किया है, जिसका गढ़ फिलिस्तीन है। आइए जानते हैं कि आखिर है क्या यह हमास, जिसने इजरायल जैसे देश में कत्लेआम मचा दिया। इस कत्लेआम की वजह से अब तक 7 हजार से ज्यादा इजरायली नागरिकों की मौत हो चुकी है और कई हजार लोग घायल हैं।
क्या है हमास?
हमास एक आतंकवादी संगठन है, जिसका गढ़ फिलिस्तीन है। यह संगठन फिलिस्तीन से ही संचालित होता है। अरबी में हमास के पूरा नाम हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया है, जिसका मतलब इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन होता है। स्थापना दिसंबर 1987 में पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा या विद्रोह के दौरान हुई थी। इसका मकसद फिलिस्तीन में इस्लामिक राज्य स्थापित करना है। इस विद्रोही समूह की स्थापना शेख अहमद यासीन ने की थी। अहमद यासीन 12 साल की उम्र से ही दिव्यांग हो गया था लेकिन उसने अपना रुतवा ऐसा बना लिया कि साल 2004 में अपनी मौत तक उसने पूरे संगठन व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे चलाया। हमास का हर एक सदस्य उसके हुक्म की तामील करता था। शुरुआत में इस संगठन का मकसद वेस्ट बैंक, गाज़ा और पूर्वी जेरुसलम को इज़रायली कब्ज़े से मुक्त करवाना था।
शुरुआत में प्रदर्शन और पत्थर थे हमास के हथियार
साल 1987 में स्थापना के समय हमास के पास हथियार नहीं थे। समूह विरोध प्रदर्शन और इजरायली सेना पर पत्थरबाजी करता था, लेकिन इस दौरान गाजा चेकपोस्ट पर हुई एक घटना ने हमास के रूप ही बदल दिया। दरअसल यहां एक प्रदर्शन के दौरान इजरायली सेना की गोलीबारी में चार फिलिस्तीनी मारे गए, जिसके बाद हमास ने हथियार उठा लिए और वह उसने साल 1988 में एक मसौदा जारी किया। इसमें कहा गया कि अब उसका मकसद इज़रायल का विनाश और फ़िलिस्तीन के ऐतिहासिक भूभाग में इस्लामिक सोसायटी की स्थापना करना करना है। वहीं साल 1992 में हमास के रूप में बड़ा बदलाव आया और उसने इजरायल पर आत्मघाती हमले करना शुरू कर दिए। इसके बाद इसे आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाने लगा।
2005 के बाद इजरायल और हमास की जंग हो गई आम बात
साल 2005 के बाद हमास में बड़े बदलाव हुए। 2006 में उसने फिलिस्तीनी संसदीय चुनावों में जीत हासिल की और गाजा पर कब्जा जमा लिया। हमास ने राष्ट्रपति महमूद अब्बास पर उसके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था। वहीं हमास के कब्जे को अब्बास ने तख्तापलट करार दिया था। इसके बाद हमास ने इजरायल पर लगातार हमले करना शुरू कर दिया। दोनों के बीच लड़ाई आम बात हो गई। इजरायल ने हमलों से बचने के लिए अपनी तकनीक विकसित की और हवाई सुरक्षा के लिए आयरन डोम नामक हवाई सुरक्षा तकनीक विकसित की। अभी तक यह तकनीक इजरायल के लिए कवच का काम करती आ रही थी, लेकिन इस बार हमास के आतंकियों ने इसे भी भेद दिया और इजरायल के घर में घुसकर जमकर कत्लेआम मचाया।
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हमास को कौन से देश मानते हैं आतंकी संगठन?
हमास की स्थापना तो इजरायल से फिलिस्तीन की मुक्ति कराने के लिए हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे यह संगठन अपने मकसद से भटकता गया। अब इसकी तुलना ISIS जैसे संगठन से की जाती है। दुनियाभर के तमाम देश हमास को आतंकी संगठन मानते हैं, जिसमें से अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, आस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं जो हमास को आतंकी संगठन नहीं मानते हैं। इसमें चीन, मिस्त्र, ईरान, नॉर्वे, कतर, ब्राजील, रूस, तुर्की और सीरिया मुख्य हैं। इस संगठन को आर्थिक और सामरिक रूप से सबसे ज्यादा मदद करने का आरोप इराक, क़तर और सीरिया पर लगता है। इजरायल दावा करता है कि अकेले कतर हमास को 1.8 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद दे चुका है।
कितना ताकतवर है हमास?
हमास ने जिस तरह से इजरायल पर अचानक इतना भीषण हमला बोलकर दुनियाभर को सकते में डाल दिया। इसके बाद सवाल उठता है कि आखिरकार यह संगठन कितना मजबूत है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस संगठन में 50 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं। इसमें से ज्यादातर नौजवान हैं, जिन्हें इजरायल को ख़त्म करने के नाम पर भर्ती किया जाता है। इनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस आयरन डोम को भेदना किसी के लिए भी नामुमकिन बताया जाता था, उसके रहते हुए हमास ने गाजा पट्टी से मात्र 20 मिनट में 5000 से ज्यादा रॉकेट दाग दिए। इसके साथ ही हमास की एलीट यूनिट को कोर्नेट गाइडेड एंटी टैंक मिसाइलों का इस्तेमाल करते भी देखा गया है। हमास अपने लड़ाकों को ट्रेनिंग में हर तरह की तकनीक सिखाता है, जिसमें हथियार चलाने से लेकर कम समय में ज्यादा बर्बादी के तरीकों को बताया जाता है।