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Hindi News Explainers यहूदियों से आज भी कांपते हैं दुश्मन, पढ़ें इजरायल के बनने और फिलिस्तीन से विवाद की कहानी, हमास का क्या है किरदार?

यहूदियों से आज भी कांपते हैं दुश्मन, पढ़ें इजरायल के बनने और फिलिस्तीन से विवाद की कहानी, हमास का क्या है किरदार?

7 अक्टूबर की सुबह के वक्त फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास ने इजरायल पर 5 हजार रॉकेट दाग दिए और घुसपैठ की। इस दौरान इजरायल के नागरिकों पर हमला किया गया। इजरायल और हमास के बीच का यह विवाद नया नहीं है। इस लेख में जाने क्या है इजरायल-फिलिस्तीन का विवाद और हमास क्या है।

Israel Hamas and Palestine Story What is the story of the dispute between Israel Palestine and Hamas- India TV Hindi Image Source : INDIA TV क्या है इजरायल-फिलिस्तीन और हमास के विवाद की कहानी

Israel Hamas and Palestine Story: इजरायल ने हमास पर युद्ध का ऐलान कर दिया है। हमास द्वारा आज इजरायल में घुसपैठ करने व इजरायल के नागरिकों के हमले का जवाब अब इजरायल डिफेंस फोर्सेस द्वारा दिया जा रहा है। सीमावर्ती इलाकों पर लोगों को घरों में रहने की चेतावनी जारी की गई है। इसमें चर्चा का विषय यह नहीं है कि इजरायल पर हमास ने हमला किया है। चर्चा का मुख्य विषय है कि इजरायल ने युद्ध का ऐलान कर दिया है। दुनिया इस बात की सैकड़ों बार स्वीकार कर चुकी है कि जब इजरायल अपने दुश्मनों के खिलाफ युद्ध का ऐलान करती है तो उसे जड़ से खत्म कर देती है। इजरायल का साधारण नियम है 'By Hook or By Crook' यानी चाहे जैसे हो इजरायल के दुश्मनों को इस धरती से खत्म करना। जर्मनी में हुए ओलंपिक के दौरान जब यहूदियों की हत्या की गई थी, उसके बाद कई सालों तक इजरायल की खुफिया एजेंसी उन आतंकियों को ढूंढ-ढूंढकर मारती रही। 

इजरायल एक दिन में नहीं बना। बुद्धि, ज्ञान, संपदा और संस्कृति से भरपूर यहूदियों ने चाहे कितनी भी सफलता और सम्मान दुनिया में आज हासिल कर ली हो, लेकिन एक समय था जब उनकी यह सफलता उनके लिए काम नहीं आई। दुनियाभर में यहूदियों को जूतों की नोक पर रखा गया। उनके साथ जानवरों से भी बद्तर व्यवहार किया गया। जर्मनी ने हिटलर द्वारा उन्हें लाखों की संख्या में मार दिया गया। उन्होंने लूट, प्रताड़ना, हत्या, बलात्कार, मजदूरी जैसे कई प्रताड़नाओं को झेला। लेकिन अंतिम बार उनके साथ बुरा व्यवहार जर्मनी में हिटलर ने ही किया। क्योंकि इसके बाद जब इजरायल बना तो उसका एक ही मकसद था- इजरायल सबसे आगे होना चाहिए। इजरायल के दुश्मनों का खात्मा, दुनिया का हर यहूदी इजरायल का नागरिक है, चाहे उसके पास इजरायल की नागरिकता हो या नहीं। 

कब बना इजरायल
जब द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हुआ, तब दुनिया के सामन यहूदियों के साथ हुए दुर्व्यवहार की पूरी कहानी सामने आई। यह आंकड़े भी सामने आने लगे कि हिटलर ने कई लाख यहूदियों के मरवा दिया है। हालांकि अब यहूदियों के लिए नए देश की मांग शुरू हुई। 14 मई 1948 यह तारीख यहूदियों के लिए बेहद खास है। इस दिन दुनिया को नया देश मिला, जिसका नाम इजरायल रखा गया। इजरायल की आबादी एक करोड़ से भी कम है लेकिन इजरायल के वैज्ञानिक, इजरायल के मशीन, इजरायल की टेक्नोलॉजी समेत इजरायल से संबंधित हर चीज आज विश्वभर में प्रसिद्ध है। बता दें कि इजरायल जब बना तो उसके पांच पड़ोसी देशों ने जो कि इस्लामिक राष्ट्र थे, उन्होंने 1967 में एक साथ मिलकर इजरायल पर हमला कर दिया था। इजरायल ने इसका कड़ा जवाब देते हुए सभी को युद्ध में एक साथ हरा दिया। इस युद्ध को '6 DAY WAR' के नाम से भी जाना जाता है। इससे दुनिया में संदेश गया कि अपने दुश्मन देशों से घिरा इजरायल आकार में छोटा है लेकिन उसके हौसले किसी से कम नहीं हैं। इस युद्ध का नतीजा हुआ कि इजरायल ने सिनाई प्रायद्वीप, गाजा, पूर्वी यरुशलम, पश्चिमी तट और गोलाना की पहाड़ी पर अपना कब्जा जमा लिया। 

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आखिर क्या है हमास?
हमास फिलिस्तीन का एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है। इसी के कारण इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। हमास ने ही 7 अक्टूबर की सुबह इजरायल पर 5000 रॉकेट दागे और इजरायल में घुसपैठ कर इजरायल के नागरिकों पर हमले किए। हालांकि अब इजरायल ने हमास के खिलाफ ऑपरेशन ऑयरन स्वॉर्ड शुरू कर कर दिया है। बता दें कि साल 1987 में हुए जनआंदोलन में शेख अहम यासीन ने हमास संगठन की नींव रखी थी। तब से हमास फिलिस्तीनी इलाकों से इजरायल को हटाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है। हमास को गाजा पट्टी से ऑपरेट किया जाता है। इजरायल को बतौर देश हमास मान्यता नहीं देता है और इस पूरे इलाके में एक इस्लामी राष्ट्र की स्थापना करना चाहता है। 

हमास का मकसद
अपनी स्थापना के एक साल बाद साल 1988 में हमास द्वारा एक चार्टर जारी किया गया। इस संगठन ने अपने चार्टर ने इजरायल और यहूदियों को लेकर कहा कि यहूदी समुदाय और इजरायल को पूरी तरह खत्म करने की हमास दम लेगा। बता दें कि हमास दो भागों विभाजित है, जिसका एक भाग का दबदबा वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर है। वहीं दूसरे भाग को साल 2000 में शुरू किया गया। इसकी शुरुआत के साथ ही इजरायल पर होने वाले हमलों में बढ़ोत्तरी देखी गई। इसकी शुरुआत के साथ ही आत्मघाती हमले भी बढ़े हैं। 

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हमास के लड़ाके और हथियार
हमास के पास लड़ाकों की संख्या की अगर बात करें तो कई रिपोर्ट्स के मुताबिक हमास के पास करीब 50 हजार लड़ाकों की फौज है। इस ग्रुप में नौजवानों की संख्या काफी अधिक है। हमास की संख्या भले ही इजरायल की सेना से कम हो या हमास इजरायल के आगे कमजोर दिखता हो, लेकिन हमास के पास हथियारों का अच्छा-खासा जखीरा है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक और आए दिनों होने वाले हमलों पर ध्यान दें तो उससे पता चलता है कि हमास के पास रॉकेट से लेकर मोर्टार और ड्रोन जैसे कई हथियार है। साथ ही हमास की एक एलीट यूनिट को कोर्नेट गाइडेड एंटी टैंक मिसाइल का इस्तेमा करते हुए भी देखा गया है। इजरायल खुद कई बाद ये दावा कर चुका है कि हमास के पास कास्सम और कुद्स 101 मिसाइलों का जखीरा है। बता दें कि कास्सम मिसाइल 10 किमी तक और कुद्स 101 मिसाइल 16 किमी तक मार करने में सक्षम है। 

इजरायल और हमास के बीच जंग का कारण
बता दें कि पहली बार नहीं है जब हमास ने या किसी फिलिस्तीनी चरमपंथी द्वारा इजरायल पर हमला किया गया है। इससे पहले साल 2021 में भी दोनों के बीच में युद्ध देखने को मिला था। दरअसल इजरायल की स्थापना के बाद से ही इस विवाद की कहानी शुरू होती है। इजरायल मिडिल ईस्ट में इकलौता यहूदी देश है। इसके पूर्वी हिस्से में वैस्ट बैंक मौजूद है, जहां 'फिलीस्तीन नेशनल अथॉरिटी' फिलीस्तीनियों के लिए सरकार चलाती है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता मिली हुई है। इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद 100 साल से भी अधिक पुराना है। पहले विश्वयुद्ध में जब ऑटोमन साम्राज्य हारा तो फिलिस्तीन वाले हिस्से को ब्रिटेन ने अपने कब्जे में ले लिया। उस वक्त इजरायल नहीं था। लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यहूदियों के लिए अलग देश की मांग होने लगी। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र द्वारा यहूदियों के मिडिल ईस्ट का वो स्थान दिया गया जहां इस्लाम, इसाईयों और यहूदियों को पवित्र स्थल यरूशलम बसा हुआ है।

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यहूदियों के आने से पूर्व इस इलाके में अल्पसंख्यक यहूदी और बहुसंख्यक अरब रहा करते थे। फिलिस्तीनी यहां के रहने वाले अरब थे, लेकिन यहूदी बाहर से आए थे। फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच विवाद तबह शुरू हुआ जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को हा कि वह यहूदी लोगों के लिए फिलिस्तीन को एक राष्ट्रीय घर के तौर पर स्थापित करे। यहूदी इस भूमि को अपने पूर्वजों का मानते थे। जबकि फिलिस्तीन अरब यहां फिलिस्तीन नाम का देश चाहते थे। अरब देशों द्वारा ब्रिटेन के इस फैसले का विरोध भी किया गया। बस यहीं से इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद शुरू हो गया। साल 1948 में जब यहूदी नेताओं ने इजरायल को स्वतंत्र घोषित किया और इजरायल के निर्माण का ऐलान किया तो फिलिस्तीनी अरबियों द्वारा इसका विरोध किया गया और युद्ध की शुरुआत हो गई। इस युद्ध में इजरायल के पास फिलिस्तीन का काफी बड़ा हिस्सा आ गया। 

बता दें कि इसके बाद एक बार फिर अरब ने फिलीस्तीन की तरफ से इजरायल से लड़ाई लड़ी। इसका परिणाम यह हुआ कि फिलिस्तीन को अपनी और जमीन गंवानी पड़ी और फिलिस्तीन कम भाग में सिमट कर रह गया। जॉर्डन के हिस्से में जो जमीन आई उसे वेस्ट बैंक नाम दिया गया। वहीं मिस्त्र के कब्जे वाले जमीन को गाजा स्ट्रिप या गाजा पट्टी कहा गया। वहीं यरुशलम को पश्चिम में इजराइल सुरक्षाबलों ने और पूर्व में जॉर्डन के सुरक्षाबलों ने बांट लिया। बिना किसी शांति समझौते के ये बंदरबांट किया गया था। हालांकि इसके बाद साल 1967 में एक निर्णायक लड़ाई मिडिल ईस्ट में देखने को मिली जब कई गल्फ देशों ने इजरायल पर हमला कर दिया, लेकिन इस युद्ध में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस दौरान इजरायल ने पूर्वी यरुशलम के साथ-साथ वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी पर भी कब्जा जमा लिया। हालांकि गाजा को तो इजरायल ने अपने कब्जे से छोड़ दिया लेकिन वेस्ट बैंक पर उसका कंट्रोल आज भी जारी है। इजरायल पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी बताता है। वहीं फिलीस्तीन के लोग इसे अपनी भविष्य की राजधानी मानते हैं। बता दें कि वर्तमान में ज्यादातर फिलिस्तीन के लोग वेस्ट बैंक में ही रहते हैं जहां इजरायल का पूरा कंट्रोल है। वहीं कुछ लोग गाजा पट्टी में रहते हैं, जहां से आए दिन हमास द्वारा हमला किया जाता है। यरुशलम शहर यहूदी, इस्लाम और ईसाई तीनों ही धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है और यही शहर टकराव की अहम वजहों में से भी एक है।

अल अक्सा का विवाद
येरूशलम यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म को मानने वालों के लिए पवित्र शहरों में से एक है। यहां स्थित अल-अक्सा मस्जिद को मक्का मदीना के बाद इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। 35 एकड़ में फैले इस परिसर को मुस्लिम अल-हरम-अल-शरीफ कहते हैं। यहूदी इसे टेंपल टाउन कहते हैं. वहीं ईसाइयों का मानना है कि यहीं ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था. इसके बाद वो यहीं अवतरित हुए थे। इसी के भीतर ईसा मसीह का मकबरा है। यहूदियों का सबसे स्थल डोम ऑफ द रोक भी यहीं स्थित है। ऐसे में इस स्थान को लेकर वर्षों से यहूदियों और फिलिस्तिनियों के बीच विवाद जारी है।