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मंगल ग्रह पर संभव है जीवन? नासा ने की आश्चर्यजनक खोज, क्या-क्या मिला जानकर होंगे हैरान

क्या मंगल पर जीवन संभव है, इस सवाल का जवाब हम बरसों से तलाश रहे हैं। अब नासा ने कई तरह के सूत्र ढूंढ लिए हैं जिससे लगता है कि आने वाले समय में मंगल पर भी जीवन की संभावना होगी।

nasa discovery- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO नासा ने की है आश्चर्यजनक खोज

ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों को लेकर इंसानों को हमेशा से दिलचस्पी रही है, उसमें भी खासकर मंगल ग्रह को लेकर और ज्यादा क्योंकि कहा जाता है कि मंगल पर कभी पृथ्वी की तरह नदियां और समुद्र थे, लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे वे सब खत्म हो गए। मंगल ग्रह को लेकर नई खुशखबरी सामने आई है। नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि अब मंगल ग्रह के समुद्र फिर से भरे जा सकते हैं। हाल ही में एक नई रिसर्च में पता चला है कि मंगल की सतह के नीचे पानी का एक विशाल भंडार छिपा हो सकता है और वो भी इतना ज्यादा पानी कि पूरे ग्रह को एक महासागर से ढक ले।

मंगल ग्रह पर आश्चर्यजनक खोज किया है नासा ने जिसके इनसाइट लैंडर के डेटा पर यह स्टडी आधारित है, जो बताती है कि मंगल पर जीवन के लिए अतीत में या वर्तमान में अनुकूल परिस्थितियां हो सकती हैं। लेकिन मंगल ग्रह पर जीवन की प्रक्रिया इतनी भी आसान नहीं होगी।

Image Source : nasaमंगल ग्रह पर पानी की संभावना

नासा ने मंगल ग्रह पर एक अनोखी आकृति को देखा है। ये आकृति एक पत्थर की किताब जैसी दिख रही है। लाल ग्रह पर इस तरह की आकृति ग्रह के इतिहास के बारे में बताती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये अरबों साल पहले मंगल की सतह पर मौजूद पानी के कारण बने हैं।

Image Source : nasaमंगल ग्रह की अद्भुत तस्वीर

हाल ही में की गई कई खोजों में से, रोवर ने शुद्ध सल्फर से बनी चट्टानें पाई हैं - जो कि लाल ग्रह पर पहली बार मिली हैं। 30 मई को वैज्ञानिक तब हैरान रह गए जब नासा के क्यूरियोसिटी मार्स रोवर ने जिस चट्टान पर चढ़ाई की, वह टूट गई और उसमें कुछ ऐसा दिखाई दिया जो लाल ग्रह पर पहले कभी नहीं देखा गया और वह था पीले सल्फर क्रिस्टल। हाल ही में हुई कई खोजों में से, रोवर ने शुद्ध सल्फर से बनी चट्टानें पाई हैं - जो लाल ग्रह पर पहली बार मिली है।

Image Source : nasaमंगल ग्रह की तस्वीर

नासा का इनसाइट लैंडर 2018 से 2022 में अपने मिशन के समापन तक धरती पर डेटा भेजता रहा था जिसमें मंगल ग्रह का भूकंपीय डेटा यह बताता है कि वहां तरल के रूप में पानी है। इनसाइट लैंडर के डेटा से वैज्ञानिकों को इस संभावित जल भंडार की खोज में मदद मिली है। वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक मंगल ग्रह पर पानी सतह से लगभग 11-20 किमी नीचे स्थित है। मंगल की सतह के विपरीत जहां पानी जम जाता है वहां इन गहराइयों पर तापमान पानी को तरल बनाए रखने के लिए पर्याप्त गर्म होता है। 

Image Source : nasaमंगल ग्रह पर पानी की खोज

साइंस एडवांसेज में पब्लिश रिपोर्ट में शिकागो विश्वविद्यालय, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और सेंट्रल फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह के वातावरण को बदलने के दृष्टिकोण का खुलासा किया है। इस नए तरीके में मंगल ग्रह के वायुमंडल में इंजीनियर्ड धूल के कणों को छोड़ा जाएगा, जो ग्रह को 50 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा गर्म कर देंगे। इससे ग्रह का तापमान इतना हो जाएगा कि यहां माइक्रोबियल जीवन संभव हो जाएगा। इस रिसर्च को मंगल को रहने योग्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहला कदम कहा जा रहा है।

Image Source : nasaमंगल पर मिली अद्भुत चीज

वैज्ञानिकों की यह प्रस्तावित तकनीक वैश्विक स्तर पर मंगल ग्रह को गर्म करने के उद्देश्य से पिछली योजनाओं की तुलना में 5,000 गुना ज्यादा बेहतर है। ये मंगल ग्रह के वातावरण को बदलने की हमारी क्षमता में एक महत्वपूर्ण प्रगति को भी दर्शाता है। इसके साथ ही परमाणु के इस्तेमाल की भी चर्चा होती रही है।

मंगल पर जीवन के लिए कई संभावनाएं हैं-

मंगल पर कभी गर्म और आर्द्र जलवायु थी और आज भी वहां जीवन के लिए ज़रूरी पोषक तत्व मौजूद हैं।
भूवैज्ञानिक और रासायनिक साक्ष्य बताते हैं कि अरबों साल पहले मंगल की सतह पर बहता हुआ पानी रहा होगा।
नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर ऑपर्च्युनिटी ने पता लगाया था कि मेरिडियानी के मैदान कभी पानी से लबालब थे।
वाइकिंग लैंडर्स ने क्लोरीनयुक्त कार्बनिक पदार्थों की थोड़ी मात्रा की पहचान की थी, जिसे शुरू में पृथ्वी से संदूषण माना गया था।
हालांकि, बाद के मिशनों ने मंगल ग्रह पर मूल कार्बनिक यौगिकों की मौजूदगी की पुष्टि की है।
विज्ञानियों का मानना है कि जीवन हर अनुकूल वातावरण में सहज रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। जीवन के निर्माण की सामग्री ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद है।