आखिर ऐसा क्या हुआ जो लगातार जीतते-जीतते फाइनल में हार गई टीम इंडिया...
India vs Australia: वनडे वर्ल्ड कप 2023 में भारतीय टीम ने पूरे टूर्नामेंट में अपने विजयी अभियान को जारी रखा लेकिन फाइनल मैच में उन्हें ऑस्ट्रेलिया से करारी हार का सामना करना पड़ा। रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया को खिताबी मुकाबले में मिली हार ने पिछली 10 जीत पर पूरी तरह से पानी फेरने का काम किया।
वनडे वर्ल्ड कप 2023 का आगाज होने से पहले सभी भारतीय फैंस को ये पूरा भरोसा था कि रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया 12 साल लंबे इंताजर को खत्म कर इस ट्रॉफी को अपने नाम करेगी। भारत ने कुछ इसी अंदाज में टूर्नामेंट की शुरुआत भी की और लगातार लीग स्टेज के सभी 9 मुकाबलों में बेहतरीन तरीके से जीत हासिल करते हुए सेमीफाइनल में भी अपनी जगह को पक्का किया।
यहां पर उनका मुकाबला न्यूजीलैंड के साथ हुआ और इसमें भी टीम इंडिया का पूरी तरह से दबदबा देखने को मिला और फाइनल में टीम ने प्रवेश कर लिया। सभी को ये लगभग विश्वास हो गया था कि इस भारतीय टीम को रोक पाना फिलहाल आसान काम नहीं है। हालांकि पांच बार की विश्व विजेता टीम ऑस्ट्रेलिया अलग ही सोच के साथ खिताबी मुकाबले में उतरी और उन्होंने करोड़ो भारतीय फैंस का दिल तोड़ते हुए वर्ल्ड कप को अपने नाम किया। ऐसे में सभी के मन में अब ये सवाल जरूर उठ रहा है कि लगातार इस टूर्नामेंट में जीत हासिल करने वाली टीम इंडिया फाइनल मैच में उस तरह का प्रदर्शन क्यों नहीं कर सकी जिसकी सभी को उम्मीद थी, तो आइये जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिस वजह से भारतीय टीम को इस बड़े मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा।
1 - टॉस की भूमिका काफी अहम हो जाना
फाइनल मैच में टॉस ने काफी अहम भूमिका निभाई जिसमें ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने सिक्का अपने पक्ष में गिरने के साथ पहले गेंदबाजी करने का फैसला लेने में बिल्कुल भी देरी नहीं की। हालांकि ऐसे बड़े मैचों में अक्सर टीमें पहले बल्लेबाजी करना पसंद करती है। इसके बाद पिच और ओस की भूमिका को ध्यान में रखते हुए पैट कमिंस ने गेंदबाजी का फैसला किया जो मैच के नजरिए से काफी निर्णायक भी साबित हुआ।
2 - रोहित का अहम मौके पर विकेट गंवाना
कप्तान रोहित शर्मा का पूरे वर्ल्ड कप में अलग ही अंदाज देखने को मिला। हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ मैच में जब गिल, कोहली और अय्यर का विकेट टीम इंडिया ने जल्दी-जल्दी गंवा दिए थे, तो रोहित ने सूझबूझ भरी पारी खेली थी। फाइनल मुकाबले में भी रोहित ने उसी अंदाज में खेल की शुरुआत की जैसा वो पिछले मैचों में करते आ रहे थे जबकि दूसरे छोर गिल अपना विकेट गंवा चुके थे। ऐसे में पिच को देखते हुए यदि रोहित अपने खेलने के अंदाज में बदलाव करते तो इससे उनकी और विराट कोहली के बीच एक बड़ी साझेदारी देखने को मिल सकती थी, लेकिन रोहित 47 के स्कोर पर जब आउट हुए तो वहां से ऑस्ट्रेलियाई टीम ने मैच को फिर से बराबरी पर ला दिया था।
3 - मिडिल ओवर्स में भारतीय टीम द्वारा बेहद धीमी बल्लेबाजी करना
वनडे फॉर्मेट में किसी भी टीम को मैच में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मिडिल ओवर्स में बेहतर खेल दिखाना होता है। भारतीय टीम ने फाइनल मुकाबले से पहले लगातार 11 से 40 ओवरों के बीच बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों ही विभाग में शानदार खेल दिखाया था और यहां से ही उन्होंने मैच को कई बार अपनी तरफ भी मोड़ने का काम किया। हालांकि फाइनल मुकाबले की बात की जाए तो 11 से 40 ओवरों के बीच विराट कोहली और केएल राहुल जैसे 2 अहम बल्लेबाजों के पिच पर मौजूद होने के बावजूद टीम इंडिया सिर्फ 107 रन ही बनाने में कामयाब हो सकी और इस दौरान श्रेयस अय्यर, विराट कोहली और रवींद्र जडेजा के रूप में 3 अहम विकेट भी गंवा दिए, वहीं इस फेज में सिर्फ 2 बार गेंद बाउंड्री लाइन के बाहर भेजने में भारतीय खिलाड़ी कामयाब हो सके।
4 - आखिरी 10 ओवरों में राहुल और फिर सूर्यकुमार यादव ने किया निराश
फाइनल मैच में जब भारतीय पारी के 40 ओवरों का खेल खत्म हुआ तो उस समय स्कोर 197 रन पर 5 विकेट था और पिच पर केएल राहुल के साथ सूर्यकुमार यादव बल्लेबाजी कर रहे थे। इस बात की सभी को उम्मीद थी कि सूर्यकुमार इस बड़े मैच में अपनी छाप जरूर छोड़ना चाहेंगे और इससे भारतीय टीम एक लड़ने लायक स्कोर तक पहुंचने में भी कामयाब होगी। हालांकि राहुल के आउट होने के बाद सूर्यकुमार यादव काफी ज्यादा दबाव में बल्लेबाजी करते हुए दिखाई दिए। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खिलाफ वह गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचने में भी संघर्ष करते हुए दिखाई दिए। सूर्यकुमार इस मैच में अपने स्वाभाविक खेल से बिल्कुल ही विपरीत बल्लेबाजी करते नजर आए जिसके बाद वह 28 गेंदों का सामना करने बाद भी सिर्फ 18 रन ही बनाने में कामयाब हो सके।
5 - शुरुआती ओवरों में विकेट तो आए लेकिन रनों की गति पर नहीं लगा ब्रेक
241 रनों के लक्ष्य का बचाव करने के लिए भारतीय टीम को मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को रोकने के लिए बिल्कुल ही अलग प्लान के साथ मैदान पर उतरना था। इसमें डेविड वॉर्नर और ट्रेविस हेड को तेजी से रन बनाने से भी रोकना था। हालांकि बुमराह के पहले ओवर में ही जहां 15 रन आ गए तो वहीं मोहम्मद शमी ने डेविड वॉर्नर का विकेट लेने के बावजूद 13 रन दे दिए। इससे ऑस्ट्रेलिया की टीम पर उस तरह का दबाव नहीं बन सका जिससे वह गलती करने में मजबूर हो सकें। पहले 10 ओवरों का खेल खत्म होने पर ऑस्ट्रेलिया ने 3 विकेट जरूर गंवाए लेकिन उनका स्कोर 60 रन पहुंच गया था।
6 - हेड और लाबुशेन की साझेदारी ना तोड़ पाना
वर्ल्ड कप में मिडिल ओवर्स के दौरान कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी ने कमाल का प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल मुकाबले में दोनों पूरी तरह से दबाव में गेंदबाजी करते हुए दिखाई दिए। ट्रेविस हेड ने जहां दोनों के ही खिलाफ खुलकर बड़े शॉट खेले तो वहीं मार्नश लाबुशेन आसानी से सिंगल और डबल निकालते हुए दिखे। ऐसे में गोनों पर किसी तरह का कोई भी दबाव नहीं बन सका जिससे विकेट हासिल किए जा सकें। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 11 से 30 ओवरों के बीच जहां एक भी विकेट नहीं गंवाया वहीं उन्होंने 107 रन भी बटोर लिए। यहां से टीम इंडिया की हार पूरी तरह से तय हो गई थी।
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