Explainer: सोशल मीडिया पर तैर रहे फेक वीडियो की पहचान कैसे करें? मिल गया जवाब
इजरायल और हमास की बीच जारी जंग ने एक बार फिर पूरी दुनिया का ध्यान फेक वीडियो और तस्वीरों की तरफ कर दिया है। हम आपको बता रहे हैं कि आप कैसे आसानी से इनकी पहचान कर सकते हैं।
वॉशिंगटन: मध्य पूर्व में इजरायल और हमास के बीच जारी जंग पर नजर रखने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर 2 वीडियो जरूर देखे होंगे। एक वीडियो में एक छोटा लड़का अपने पिता के शव के आसपास मंडराता हुआ अरबी में यह कहते हुए रो रहा है, ‘मुझे छोड़कर मत जाओ।’ दूसरे वीडियो में एक गर्भवती महिला को दिखाया गया है, जिसका पेट खुला हुआ है और 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हमास के हमले के बाद पीड़ितों के शवों को संभालने वाले एक अर्धसैनिक की गवाही का दस्तावेजीकरण करने का दावा किया गया है।
बढ़ती जा रही है डीपफेक की चुनौती
भले ही ये वीडियो इजरायल-हमास युद्ध के विभिन्न पक्षों से आते हैं, लेकिन दोनों वीडियो वास्तविक होते हुए भी इनका उन घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है जिनके बारे में वे दावा कर रहे हैं। लड़के की क्लिप 2016 में सीरिया की है जबकि महिला वाला वीडियो 2018 का मेक्सिको से है। हाल ही की कई खबरों में हमने डीपफेक की बढ़ती जा रही चुनौतियों को बारे में जाना है। दिक्कत की बात यह है कि ऐसा करने में ज्यादा संसाधन भी खर्च नहीं होता। तारीख बदलना, स्थान बदलना या यहां तक कि वीडियो गेम से एक क्लिप को दोबारा तैयार करना और इसे युद्धक्षेत्र के रूप में पेश करना बहुत आसान है।
अधिकांश लोग इसलिए खाते हैं धोखा
अच्छी खबर यह है कि आप इन चालों में फंसने से बच सकते हैं। इसके लिए सबूतों की बारीकी से जांच करना कारगर नहीं है, क्योंकि वे भी आपको गुमराह कर सकते हैं। सबसे जरूरी है कि आप उस वीडियो या तस्वीर को किसी विश्वसनीय स्रोत से सत्यापित करें। हालांकि, ऐसा करना अक्सर कठिन होता है क्योंकि अधिकांश लोगों को इतना कुछ पता नहीं होता है। लेकिन कई बार पढ़े-लिखे लोगों को भी बगैर कुछ सोचे समझे सोशल मीडिया पर ऐसी चीजों को आगे बढ़ाते देखा गया है। दरअसल, अधिकांश लोग यह मानने को ही तैयार नहीं होते हैं कि उनकी आंखें इतनी आसानी से धोखा खा सकती हैं।
फेक वीडियो की पहचान बहुत आसान है
जो तस्वीरें या वीडियो लोगों की भावनाओं को भड़काते हैं, वे फेक होते हुए भी सोशल मीडिया में जल्दी वायरल हो जाते हैं। लोग आवेश में इस बात को समझ ही नहीं पाते, या इस दिशा में सोच ही नहीं पाते कि जिस वीडियो को वह आगे बढ़ा रहे हैं, वह ऑथेंटिक है या नहीं। जबकि सिर्फ कुछ बातों का ध्यान रख कर असली और नकली का फर्क किया जा सकता है। क्या आप सचमुच जानते हैं कि आप क्या देख रहे हैं? क्या जिस शख्स ने फ़ुटेज पोस्ट की वह एक स्थापित रिपोर्टर है या कोई ऐसा शख्स जिसकी विश्वसनीयता पर संदेह किया जा सकता है? क्या लंबे वीडियो का लिंक है? याद रखें, क्लिप जितनी छोटी होगी, आपको उतना ही सावधान रहना होगा।