कैसे होती है मतगणना? यहां समझिए काउंटिंग से जुड़ा गुणा-भाग
3 दिसंबर रविवार को चार राज्यों में मतगणना होनी है, उससे पहले समझिए कैसे होती है वोटों को गिनती समेत कई ऐसे विषय, जिन्हें आपका जानना है आवश्यक-
नई दिल्ली: 3 दिसंबर का दिन भारत के राजनीतिक इतिहास का बेहद अहम दिन रहने वाला है। इस दिन चार चुनावी राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना का परिणाम आने वाले है। हालांकि पहले मिजोरम का भी परिणाम रविवार को ही आना था, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे एक दिन आगे बढ़ाकर सोमवार कर दिया है। रविवार को सुबह से ही हलचल मचना शुरू हो जाएगी, पार्टियों, उम्मीदवारों, उनके समर्थकों और आम जनता समेत सभी निगाहें इसी चुनावी परिणाम पर टिकी होंगी। सभी बेसब्री से परिणामों का इंतजार कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह चुनाव परिणाम काफी हद तक अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों का मिजाज बताएंगे। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह मतगणना होती कैसे है? पहले तो बैलेट पेपर पर ठप्पा लगता था, उन्हें गिनकर तय होता था कि कौन जीता और हारा। लेकिन अब तो EVM और वीवीपैट नाम की चिड़िया आ गई है। आखिर इसमें कैसे काउंटिंग की जाती है? इसमें कितना समय लगता है? काउंटिंग के समय कौन-कौन मौजूद रहता है? इसके अलावा और भी कई सवाल आपके मन में कौंध रहे होंगे। इन लेख में हम आपके इन सभी सवालों के जवाब देने का प्रयास करेंगे।
सुबह पांच बजे से शुरू हो जाती है प्रक्रिया
अब सबसे पहले आपको बताते हैं कि जब सूरज भी सो रहा होता है, उससे पहले ही मतगणना केंद्रों पर हलचल शुरू हो जाती है। राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता तो रात से ही यहां मोर्चा संभाले हुए बैठे होते हैं। लेकिन क़ानूनी कार्रवाई अहले सुबह लगभग 5 बजे से शुरू होती है। हालांकि मतगणना तो 8 बजे के बाद शुरू होती है, लेकिन उससे पहले सभी तैयारियों को पूरा करने के लिए मतगणना पर्यवेक्षकों और सहायकों का आना सुबह 5 बजे शुरू हो जाता है। इन्हें अपने रिपोर्टिंग ऑफिसर के सामने पेश होना होता है। यहां उन्हें सभी दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इनके मन में कोई शंका हो तो उसका भी समाधान किया जाता है। इसके बाद इन्हें इनकी टेबल बता दी जाती है। यह प्रक्रिया मतगणना शुरू होने से कुछ समय पहले ही बताई जाती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। यहां आपको बता दें कि इन्हें फोन समेत कोई भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट मतगणना केंद्र पर ले जाने की मनाही होती है।
मतगणना 8 बजे से होती है शुरू
चुनाव आयोग के अनुसार, मतों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होती है। हालांकि किसी विशेष परिस्थिति में समय में बदलाव भी किया जा सकता है। सबसे पहले बैलेट पेपर और ETPBS यानी इलेक्ट्रानिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के जरिए दिए गए वोटों की गिनती होती है। इसमें औसतन आधे घंटे का समय लगता है। इसके बाद EVM के वोटों की गिनती शुरू होती है। यहां रिटर्निंग ऑफिसर एक-एक राउंड की गिनती के बाद परिणामों को बताता है और उसे हॉल में मौजूद बोर्ड पर भी लिखता है। इसके साथ ही यह आंकड़ा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है। आमतौर पर परिणामों का पहला रुझान लगभग 9 बजे तक आता है। यह क्रम पूरे दिन चलता है और दोपहर तक स्थिति कुछ हद तक साफ़ होने लगती है।
EVM के बाद VVPAT की पर्चियों की होती है गिनती
इस दौरान प्रत्येक दौर की गिनती के बाद पर्यवेक्षक, उम्मीदवारों के एजेंट इस पर हस्ताक्षर करेंगे। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर काउंटर सिग्नेचर करेगा। फिर इसकी घोषणा की जाएगी। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। इसके बाद अनिवार्य वीवीपैट सत्यापन किया जाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच या तय ईवीएम के लिए वीवीपैट पर्चियों की गिनती होगी। अगर वीवी पैट को EVM की गिनती में अंतर आता है तो दोबारा मतगणना की जाएगी। अगर इसके बाद भी दोनों के आंकड़ों में मिलान नहीं होगा तो वीवीपैट पर्ची की गिनती मान्य होगी।
इस लेख में आपने कई वीवीपैट शब्द पढ़ा होगा। आपके मन में यह सवाल कौंधा हो कि यह वीवीपैट आखिर होता क्या है? आपको बता दें कि वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल यानी की VVPAT की प्रक्रिया ईवीएम के वोटों की गिनती के बाद अनिवार्य है।आप जब वोट डालने जाते होंगे तो आपने देखा होगा कि EVM के बगल में एक मशीन रखी हुई होती है। जब आप EVM का कोई बटन दबाते हैं, तब VVPAT मशीन से एक कागज निकलता है। उस कागज पर उस उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह बना होता है जिसे वोट किया गया है। ये पर्ची वोटर को 7 सेकंड के लिए दिखती है जिसके बाद वो मशीने के ड्राप बॉक्स में गिर जाती है। ऐसा इसलिए किया होता है ताकि वोटर को पता चल सके की उसका वोट सही व्यक्ति को गया है। बता दें कि VVPAT मशीने को केवल पोलिंग अधिकारी ही खोल सकता है। हर मतगणना में VVPAT की गिनती को सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य कर दिया है।
मतगणना हॉल में कौन रह सकता है मौजूद?
अब आपके मन शायद सवाल हो कि मतगणना केंद्र के अंदर कितने लोग मौजूद रह सकते हैं? तो आपको बता दें कि मतगणना के दौरान सभी टेबलों पर हर उम्मीदवार का एक एजेंट मौजूद होता है। एक केंद्र में विशेष हालातों को छोड़कर 14 से ज्यादा टेबलें नहीं लगाई जा सकती हैं। इसके अलावा उम्मीदवार का एक एजेंट रिटर्निंग ऑफिसर (RO) के पास लगी टेबल पर बैठता है। इस तरह से हॉल में मतगणना करने वाला कर्मी, उम्मीदवारों के एजेंट और RO ही रह सकता है। हॉल के अंदर पुलिसकर्मियों तक का आना निषेध होता है। हालांकि अगर उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर किसी विशेष वजह से बुलाए तो वह जा सकते हैं। बता दें कि केंद्र के अंदर केवल काउंटिंग सुपरवाइजर और काउंटिंग असिस्टेंट, मतगणना के लिए लगाए गए सरकारी कर्मचारी, चुनाव आयोग के द्वारा लगाए गए अधिकारी, उम्मीदवार और उनके एजेंट ही जा सकते हैं। लेकिन अगर इनके पास आयोग के और स्थानीय अधिकारियों के द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र नहीं होता है तो यह लोग भी केंद्र के अंदर नहीं जा सकते हैं।
अगर कोई उम्मीदवार चुनाव के नतीजों से संतुष्ट नहीं है तो वो काउंटिंग के 45 दिनों के भीतर दोबारा मतगणना की मांग कर सकता है। रिकाउंटिंग की मांग उठाने वाले उम्मीदवार के पास जमानत जब्त होने से छह गुना ज्यादा वोट होना अनिवार्य है। दोबारा मतगणना कराने की अनुमति उस क्षेत्र के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) दे सकते हैं। दरअसल, चुनाव के समय किसी भी जिले के डीएम उस क्षेत्र के निर्वाचन पदाधिकारी होते हैं। उनके पास ही वोटों की गिनती दोबारा करवाने के लिए आदेश पारित करने का अधिकार होता है।
परिणाम आने के बाद EVM का क्या होता है?
नतीजों की घोषणा होने और विजेता उम्मीदवार को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा जीत का सर्टिफिकेट देने के बाद EVM को फिर से स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। EVM काउंटिंग के 45 दिनों बाद तक उसी स्टोर रूम में रखी रहती हैं। जिसके बाद उसे वहां से बड़े स्टोर रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। चुनाव आयोग के अनुसार, इन EVM में अगले 6 महीने तक डेटा को संभाल के रखा जाता है और इन्हें किसी अन्य चुनाव के लिए उपयोग में भी नहीं लाया जाता है। इसके बाद इनके डेटा को किसी सुरक्षित स्थान पर डंप करके आगे के चुनावों के लिए इस्तेमाल करने लायक बना दिया जाता है।