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Hindi News Explainers Explainer: अमेरिका और चीन में क्यों हो रही है परमाणु वार्ता, कैसे छोटा ताइवान बीजिंग को दे सकता है पटखनी?

Explainer: अमेरिका और चीन में क्यों हो रही है परमाणु वार्ता, कैसे छोटा ताइवान बीजिंग को दे सकता है पटखनी?

अमेरिका और चीन ने 5 वर्षों में पहली बार परमाणु वार्ता क्यों की। इस वार्ता के पीछे का असली मकसद क्या था? अमेरिका को क्यों लगता है कि चीन ताइवान पर परमाणु हमला कर सकता है। अमेरिकी अधिकारियों ने ताइवान जैसे छोटे देश से चीन के हारने की आशंका क्यों जाहिर की? इन सब सवालों का जवाब इस लेख में पढ़िये...

अमेरिका और चीन के बीच परमाणु वार्ता।- India TV Hindi Image Source : REUTERS अमेरिका और चीन के बीच परमाणु वार्ता।

नई दिल्लीः अमेरिका और चीन ने 5 वर्षों में पहली बार परमाणु वार्ता शुरू कर दी है। ये परमाणु वार्ता क्या है और इस दौरान दोनों देशों के बीच परमाणु वार्ता होने का मतलब क्या है। इतना शक्तिशाली देश होने के बावजूद चीन के ताइवान से जंग हारने की आशंका क्यों जाहिर की जा रही है? क्या ताइवान से हारने के डर से चीन उस पर परमाणु हमला कर देगा, ये सब सवाल आखिर अचानक क्यों उठ रहे हैं, इसकी वजह क्या है? आइए आपको पूरा मामला समझाते हैं। 

अमेरिका और चीन के बीच परमाणु वार्ता वैसे तो इस वर्ष मार्च में ही निर्धारित थी, लेकिन यह अब हो रही है। इस वार्ता का मतलब परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकना है। अमेरिका और चीन के अधिकारियों के बीच हुई इस परमाणु वार्ता पर पूरी दुनिया की नजर थी। मगर अमेरिकी अधिकारियों ने उस वक्त पूरे विश्व को हैरत में डाल दिया, जब उन्होंने चीन के ताइवान से युद्ध हारने की आशंका जता दी। इतना ही नहीं अमेरिकी अधिकारियों ने अपने चीनी समकक्षों से यह भी पूछ डाला कि अगर चीन ताइवान से जंग हार जाता है तो क्या वह ताइपे के ऊपर परमाणु हमला कर देगा? इस पर चीन का जवाब भी सुन लीजिए...

ताइवान पर परमाणु हमले को लेकर चीन ने क्या कहा

अमेरिकी अधिकारियों द्वारा चीन के ताइवान से जंग हारने पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंका जताए जाने पर चीनी अधिकारियों ने कहा कि वह अमेरिका को यकीन दिलाता है कि हारने पर भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल ताइवान पर नहीं करेगा। मगर बाद में चीनी अधिकारियों ने यह भी कहा कि चीन बिना परमाणु हथियारों के ही ताइवान से जंग जीतने में सक्षम है। मगर यह जग जाहिर है कि यदि चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका उसकी मदद करेगा। ऐसे में ताइवान से आसानी से जंग जीतना चीन के लिए आसान नहीं होगा। अमेरिका को लगता है कि ताइवान वाशिंगटन की मदद से चीन को युद्ध में हरा भी सकता है। मगर उसे तब चीन द्वारा ताइवान पर परमाणु हमले का डर है। इसलिए अमेरिका और चीन के बीच परमाणु वार्ता में यह प्रतिज्ञा कराई जा रही है कि कोई किसी पर परमाणु हमला नहीं करेगा।

ताइवान को नहीं चीन पर भरोसा

चीन ने भले ही परमाणु वार्ता के दौरान अमेरिकी अधिकारियों को आश्वस्त किया हो कि वह ताइवान से जंग होने पर हारने की स्थिति में भी उस पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा, लेकिन ताइवान को उसके वादे पर भरोसा नहीं है। अमेरिका और चीन के बीच यह वार्ता ऐसे वक्त हुई है, जब आर्थिक और जियोपॉलिटिक्स लेबल पर दोनों देशों में भयंकर तनाव है। 

चीन लगातार बढ़ा रहा परमाणु हथियारों की संख्या

अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा लगातार बढ़ा रहा है। कोरोना काल के दौरान भी चीन ने अपने परमाणु हथियारों में 20 फीसदी तक का जबरदस्त इजाफा किया है। अमेरिकी रक्षा विभाग का अनुमान है कि 2030 तक चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या 1000 के पार पहुंचा सकता है। कुछ वर्ष पहले तक चीन के पास करीब 400 परमाणु हथियार थे, लेकिन अब उनमें 2, 3 वर्षों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। 

अभी किस देश के पास हैं कितने हथियार (रिपोर्ट वर्ष 2024)

  • रूस                  5580
  • अमेरिका            5054
  • चीन                    500
  • फ्रांस                   290
  • यूके                    225
  • भारत                 172
  • पाकिस्तान          170
  • इजरायल              90