Explainer: ज्ञानवापी पर ऊपरी अदालत में जाने की बात क्यों कर रहा मुस्लिम पक्ष? क्या है हिंदू पक्ष की दलील? जानें सबकुछ
वाराणसी की एक अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे करने की इजाजत देने के फैसले से मुस्लिम पक्ष असंतुष्ट है।
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे को लेकर कोर्ट का फैसला आ गया है। उत्तर प्रदेश में वाराणसी की एक अदालत ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की इजाजत दे दी है। कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम पक्ष संतुष्ट नहीं है और उसने कहा है कि वह इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएगा। इस मामले में मुस्लिम पक्ष की अपनी दलीलें हैं और हिंदू पक्ष की अपनी। आइए, विस्तार से जानते हैं किसका क्या कहना है।
अदालत ने स्वीकार की हिंदू पक्ष की मांग
ज्ञानवापी और आदि विश्वेश्वर मामलों के विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने बताया कि वाराणसी के जिला न्यायाधीश ए के विश्वेश ने शुक्रवार को वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने को लेकर फैसला सुनाया। मिश्रा ने बताया कि ए के विश्वेश की अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 4 अगस्त तय की है। अदालत ने 14 जुलाई को हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को सुनने के बाद 21 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
‘सर्वे से मस्जिद को हो सकता है नुकसान’
मामले में हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका में ASI को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मो. तौहीद खान ने कहा कि वे आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘यह स्वीकार्य नहीं है और हम इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएंगे। इस सर्वेक्षण से मस्जिद को नुकसान हो सकता है।’ हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पहले तर्क दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को पूरे मस्जिद परिसर की पुरातात्विक जांच से ही हल किया जा सकता है।
‘जांच करने पर साफ हो जाएगी स्थिति’
जैन ने कहा था कि ज्ञानवापी परिसर के 3 गुंबदों, परिसर की पश्चिमी दीवार और पूरे परिसर की आधुनिक तरीके से जांच करने पर स्थिति स्पष्ट हो सकती है। पिछले मई में मुस्लिम पक्ष ने एक याचिका पर अपनी आपत्ति दर्ज की थी, जिसमें पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए ASI को निर्देश देने की मांग की गई थी। 16 मई को वाराणसी की जिला अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का ASI से सर्वेक्षण कराने का आग्रह करने वाली याचिका सुनवाई के लिये मंजूर कर ली थी।
5 महिलाओं ने दायर की थी याचिका
विष्णु शंकर जैन ने बताया था, 'हमने वजुखाने को छोड़ कर सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की मांग अदालत के समक्ष रखी थी।' कोर्ट ने मांग को स्वीकार करते हुए सर्वे की इजाजत दी है। अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी। अप्रैल 2022 में दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था।
महंत राजू दास ने जताई है खुशी
मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। वाराणसी अदालत के आदेश पर अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘अयोध्या में भी एक सर्वे का आदेश दिया गया था जिसके बाद ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ हो गया।’ राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि वाराणसी कोर्ट के आदेश से संत उत्साहित हैं।