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Hindi News Explainers Explainer: क्या हैं #Melodi के सियासी मायने? कैसे वर्ल्ड ऑर्डर को बदल सकते हैं मोदी और मेलोनी? जानें

Explainer: क्या हैं #Melodi के सियासी मायने? कैसे वर्ल्ड ऑर्डर को बदल सकते हैं मोदी और मेलोनी? जानें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी की सेल्फी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है, लेकिन दो देशों की डिप्लोमेसी के लिहाज से देखें तो इसके काफी गहरे मायने हैं।

Giorgia Meloni Explainer, Modi Meloni Explainer, Explainer- India TV Hindi Image Source : PTI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी डिप्लोमेसी की नई कहानी लिख रहे हैं।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली से G-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर शनिवार को भारत लौट आए। मोदी का ‘एयर इंडिया वन’ जब भारत लैंड कर रहा था तब सोशल मीडिया में 5 सेकेंड का एक वीडियो जबरदस्त वायरल हो रहा था। यह वीडियो इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट किया था। इस वीडियो में मेलोनी के साथ मोदी भी हैं। मेलोनी ने इस वीडियो में मोदी और खुद को मेलोडी (Melodi) टीम बताया। ये ‘Melodi Team’ क्या है? मेलोनी ने हल्के-फुल्के अंदाज में किसको जवाब दिया? मोदी और मेलोनी के इस वीडियो के पॉलिटिकल मायने क्या हैं? क्या इस वीडियो में बदलते वर्ल्ड ऑर्डर को लेकर कोई मैसेज छिपा है? इन सारे सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में:

आखिर Melodi शब्द आया कहां से?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, उसे मेलोनी ने मोदी के इटली से भारत रवाना होने से पहले X पर पोस्ट किया। मेलोनी और मोदी की मुलाकात के बाद ‘Melodi’ शब्द सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। दरअसल, यह शब्द MELONI के पहले तीन शब्द यानि MEL और MODI के आखिरी तीन शब्द यानि ODI से मिलकर बना है। सोशल मीडिया 10 घंटे में  ही 22 मिलियन से ज्यादा व्यूज़, 2.8 लाख से ज्यादा लाइक्स, 66 हजार से ज्यादा रीट्वीट मिल चुके हैं। सोशल मीडिया साइट X पर #Melodi ने लंबे समय तक नंबर वन पर ट्रेंड किया।

2022 के बाद से 6 बार हो चुकी है मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जॉर्जिया मेलोनी के बीच पिछले 2 सालों में ये छठी मुलाकात थी। मोदी और मेलोनी की पहली मुलाकात 2022 में बाली में हुए G-20 सम्मेलन में हुई थी। दूसरी मुलाकात तब हुई जब 2 मार्च 2023 को मेलोनी भारत दौरे पर आईं। इसके बाद 19 से 21 मई 2023 के बीच जापान में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हुई। जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए नवंबर 2023 में मेलोनी फिर दिल्ली आईं। फिर पिछले साल के अंत में दुबई में हुए COP-28 सम्मेलन में दोनों की पांचवीं बार मुलाकात हुई थी। COP-28 सम्मेलन में भी मेलोनी ने मोदी के साथ सेल्फी ली थी जिसके बाद हैशटैग मेलोडी ट्रेंड करने लगा था।

मोदी ने मेलोनी के वीडियो के साथ लिखी ये बात

हैशटैग मेलोडी का असर इटली में जी-7 के शिखर सम्मेलन तक दिखाई दिया, लेकिन दोनों ने नेताओं ने इसे खुलेदिल से स्वीकार किया। मेलोनी और मोदी ने मजाक बनाने वालों को जवाब भी दिया लेकिन हल्के फुल्के अंदाज में। हालांकि जब दुनिया के दो बड़े देशों के नेता कोई मैसेज देते हैं, चाहे उसका अंदाज मजाकिया हो लेकिन उसके मायने बहुत गंभीर होते हैं। मेलोनी ने मोदी और अपनी टीम को ‘टीम मेलोडी’ कहा। पीएम मोदी ने भी मेलोनी के वीडियो के साथ लिखा ‘लॉन्ग लिव इंडिया इटली फ्रेंडशिप’।मोदी के इसी मैसेज में छिपी है इटली और भारत के रिश्तों की मेलोडी।

खराब रिश्ते से पक्की दोस्ती की तरफ बढ़े दोनों देश

अगस्ता वेस्टलैंड डील और भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप में इटली के दो नाविकों की 2012 में हुई गिरफ्तारी को लेकर जो रिश्ते बेहद खराब हो गए थे, वे मेलोनी और मोदी की लीडरशिप में अपने सबसे बेहतरीन दौर में कैसे आ गए? इन दोनों नेताओं का तालमेल इतना बेहतरीन क्यों है? और मोदी को मेलोनी इतनी अहमियत क्यों देती हैं? इसे समझना है तो जॉर्जिया मेलोनी को समझना होगा क्योंकि मोदी और मेलोनी दोनों की पर्सनल लाइफ, पॉलिटिकल करियर और आइडियोलॉजी में बहुत कुछ एक सा है और यही इन इटली-भारत की दोस्ती की नई कहानी लिख रहा है।

पार्टी बनाने के 11 साल बाद पीएम बन गईं मेलोनी

मेलोनी के अटैकिंग स्टाइल ने उन्हें हाल के सालों में इटली ही नहीं बल्कि यूरोप की सबसे पॉपुलर नेता के रूप में स्थापित कर दिया है। मेलोनी इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। यूरोप के बड़े नेताओं में उनकी गिनती होती है, लेकिन ये मेलोनी की खासियत नहीं है। उनकी खासियत ये है कि उन्होंने यूरोप के लिबरल ट्रेंड को चेंज किया है। मेलोनी एक दक्षिणपंथी नेता हैं और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वो देश की पहली ऐसी प्रधानमंत्री हैं जो राइटविंगर हैं। 2011 में जियॉर्जिया मेलोनी ने ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ पार्टी बनाई थी, लेकिन 11 साल में ही उनकी पार्टी का ग्राफ इतना ऊपर चला गया कि वह देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गईं।

Image Source : India TVइटली की सियासत में जॉर्जिया मेलोनी काफी तेजी से आगे बढ़ी हैं।

2018 में मेलोनी की पार्टी को मिली थीं 32 सीटें

2018 के चुनाव में मेलोनी का पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली को सिर्फ 32 सीटें और 4.35 परसेंट वोट मिले थे। राइट विंगर कॉएलेशन में उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर थी, लेकिन 2022 में हुए चुनाव में हालात पूरी तरह बदल गए। 2022 के चुनाव में हालात पूरी तरह बदल गए, मेलोनी की पार्टी ने 26 फीसदी वोटों के साथ चेंबर ऑफ डेप्यूटीज़ में 119 सीटें हासिल कर लीं। सेंटर राइट कॉएलेशन में उनकी पार्टी पहले नंबर पर आ गई। और इसके बाद मेलोनी ने इटली की राजनीति बदल कर रख दिया। लेकिन यह चमत्कार कैसे हुआ? उसके लिए आपको मेलोनी की राजनीति को समझना होगा।

यूरोप की सियासी नब्ज पकड़ आगे बढ़ीं मेलोनी

मेलोनी ने यूरोप की राजनीति की नब्ज को पकड़ा, बोल्ड बयान दिए। मेलोनी ने यूरोप में इस्लामीकरण का विरोध किया और खुलकर कहा कि यूरोप में इस्लाम के लिए जगह नहीं है, यूरोप और इस्लामिक कल्चर एक दूसरे के अनुकूल नहीं हैं। मेलोनी ने ये भी दावा किया कि वो इटली में कभी शरिया कानून लागू नहीं होने देंगी। उन्होंने एक बार कहा था, ‘मुझे लगता है कि इस्लामिक संस्कृति के साथ समन्वय बिठाने में हमें दिक्कत है। इस्लामिक संस्कृति की कुछ चीजें हमारी संस्कृति से बिल्कुल मेल नहीं खाती हैं।’ मेलोनी ने इस्लामिक आतंकवाद पर काबू करने पर जोर दिया और मुस्लिम प्रवासियों को देश के लिए खतरा बताया। 

Image Source : India TVजॉर्जिया मेलोनी आज की तारीख में यूरोपी की सबसे ताकतवर नेताओं में से हैं।

मेलोनी ने इटली चुनाव में कई बोल्ड कदम उठाए

मेलोनी ने सिर्फ इस्लामिक कट्टरपंथ का मुकाबला करने की बात ही नहीं कही बल्कि ये कर के भी दिखाया। सत्ता में आने के बाद उन्होंने घुसपैठियों पर एक्शन लिया। मेलोनी सिर्फ इस्लाम के कट्टरवाद की धुरविरोधी नहीं हैं बल्कि उन्होंने इटली चुनाव में कई बोल्ड स्टेप्स भी उठाए। उन्होंने LGBTQ शादियों का विरोध किया। उन्होंने LGBTQ कम्यूनिटी को बच्चा गोद देने का विरोध किया। वह इच्छा मृत्यु की विरोधी हैं। मेलोनी ईश्वर और परिवार की रक्षा में विश्वास करती हैं। मेलोनी की आइडियोलॉजी जिंदगी के उनके संघर्षों की वजह से आई। अपनी ऑटोबायग्राफी में मेलोनी ने लिखा है कि उन्होंने परिवार को टूटते हुए देखा है इसलिए वह इसकी अहमियत समझती हैं।

29 साल की उम्र में ही सांसद बन गई थीं मेलोनी

जियॉर्जिया मेलोनी का सियासी करियर साल 1992 में शुरू हुआ था। वह इटली के तानाशाह रहे मुसोलिनी के समर्थकों की बनाई संस्था MSI की युवा शाखा में शामिल हुईं। युवा शाखा में शामिल होने के बाद वह दक्षिणपंथी छात्र समूह स्टूडेंट एक्शन की नेता बन गईं। महज 29 साल की उम्र में मेलोनी सांसद बन गईं जब साल 2006 में वह इटली की संसद पहुंचीं। 29 साल की उम्र में सांसद बनने के बाद मेलोनी ने एक और इतिहास रचा जब सिर्फ 2 साल के बाद ही 31 साल की उम्र में वह इटली में सबसे कम उम्र की मंत्री बन गईं। बर्लुस्कोनी की चौथी सरकार में उन्हें युवा मामलों की मंत्री बनाया गया था।

उभरती राइट विंग पॉलिटिक्स की स्टार थी मेलोनी

जियॉर्जिया मेलोनी बेबाक हैं, खुलकर बोलती हैं और खुद को मुसोलिनी का वारिस कहती हैं। उन पर फासीवादी होने के आरोप भी लगे लेकिन उन्होंने इससे इनकार किया। मेलोनी सिर्फ इटली में ही पॉपुलर नहीं हैं बल्कि उनका असर पूरे यूरोप पर नजर आ रहा है जहां राइट विंगर पॉलिटिक्स उभार पर है। जर्मनी, फ्रांस, फिनलैंड, स्वीडन, स्पेन और हंगरी में राइट विंग पार्टियों ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है। मेलोनी इस राइट विंग पॉलिटिक्स की झंडाबरदार बन गई हैं। मेलोनी चौंकाने वाले फैसलों के लिए जानी जाती हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के समय जब उनके गठबंधन की पार्टियां रूस का समर्थन करना चाहती थीं तब मेलोनी ने यूक्रेन का सपोर्ट किया और अपनी सरकार की भी चिंता नहीं की।

Image Source : India TVनई दिल्ली में हुए G20 समिट के दौरान जॉर्जिया मेलोनी और पीएम नरेंद्र मोदी।

‘तो ये है Meloni और Modi की #Melodi’

यूरोप की राजनीति को बदलने में मेलोनी की बड़ी भूमिका है तो एशिया की राजनीति में वही काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। मोदी ने इस्लामिक कट्टरवाद का विरोध किया है, संस्कृति और विरासत को साथ लेकर चलने की बात की है। डेवलेपमेंट को लेकर दोनों का फोकस है और दोनों ही राइट विंग आइडियोलॉजी के समर्थक हैं। वर्ल्ड ऑर्डर बदल रहा है। दुनिया नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। कट्टरवाद के खिलाफ संघर्ष चल रहा है। दुनिया ऐसे लीडर्स की तरफ देख रही है जो बोल्ड स्टेप ले सकें, दुनिया को नई दिशा दिखा सकें। ऐसे में भारत और इटली की पार्टनरशिप दुनिया को नई दिशा दे सकती है, और यही ‘Meloni और Modi की #Melodi’ है।