Data Protection Bill: डेटा का गलत इस्तेमाल करने पर देने पड़ेंगे 250 करोड़ रुपये, यहां जानें बिल के बारे में A to Z
कोई कंपनी डेटा प्रोटेक्शन कानून को मानने से इनकार करती है तो उस पर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया जाएगा। इस बिल के प्रावधान के मुताबिक अगर कोई कंपनी नियम को तोड़ेगी तो उस पर 250 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही इसमें जेल की सजा का भी प्रावधान है।
Data Protection Bill in India: केंद्र सरकार ने डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दे दी है। सरकार काफी लंबे समय से इस बिल पर काम कर रही थी। अब इस Digital Personal Data Protection Bill, 2022 को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। यह बिल हमारे डेटा को सुरक्षित रखने और हमारी प्राइवेसी को मेंटेन रखने में मदद करेगी।
पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेट का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है ऐसे में तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म समेत कंपनियां यूजर्स के डेटा को कलेक्ट करते हैं ऐसे में किसी की प्राइवेसी का हनन न हो और आधार पैन जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट का गलत इस्तेमाल न हो इसकी वजह से मोदी सरकार की तरफ से डेटा प्रोटेक्शन बिल को लाया जा रहा है।
सरकार के पास डेटा प्रोटेक्शन के लिए होगी ज्यादा पॉवर
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 6 साल पहले प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट करार दिया था। इस बिल की मदद से यूजर्स के डेटा को सेफ रखा जाएगा। पिछले कुछ समय में डेटा को लेकर सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच में तकरार भी देखने को मिली ऐसे में अगर यह बिल कानून बनकर आता है तो सरकार के पास लोगों के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत ताकत मिल जाएगी।
अगर कोई कंपनी डेटा प्रोटेक्शन कानून को मानने से इनकार करती है तो उस पर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया जाएगा। इस बिल के प्रावधान के मुताबिक अगर कोई कंपनी नियम को तोड़ेगी तो उस पर 250 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही इसमें जेल की सजा का भी प्रावधान है। बिल को 20 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।
बिना इजाजत बायोमैट्रिक लेना होगा गैर कानूनी
डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के तहत किसी भी यूजर्स का बायोमेट्रिक डेटा जैसे आंख की पुतलियों या अंगूठे के निशान उसकी अनुमति के बिना नहीं लिया जा सकता। इतना ही नहीं बच्चों के डेटा को उनके माता पिता के बिना कलेक्ट नहीं किया जा सकेगा।
विवाद को निपटाने के लिए होगा बोर्ड
अगर किसी मुद्दे पर सरकार और कंपनी के बीच में विवाद होता है तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए डेटा प्रोटेक्शन बिल में एक बोर्ड को गठित करने का भी फैसला लिया गया है। डेटा का मिसयूज होने पर नागरिकों को सिवल कोर्ट में जाकर मुआवजे की मांग करने का भी अधिकार होगा। इस बिल में सरकार ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के डेटा को शामिल किया है।
डेटा प्रोटेक्शन बिल के हैं ये 6 आधार
- डेटा प्रोटेक्शन बिल में 6 प्रमुख परेशानियों पर फोकस किया गया है। आइए आपको इनके बारे में डिटेल से बताते हैं।
- डेटा प्रोटेक्शन बिल डेटा सिंद्धांत पर आधारित है। इसमें पहला सिद्धांत नागिरकों के पर्सनल डेटा के स्टोर की बात करता है। पहले नियम के अनुसार देश में यूजर्स के पर्सनल डेटा का का कलेक्शन और उसका उपयोग पूरी तरह से लीगल होना चाहिए।
- बिल का दूसरा सिद्धांत यूजर्स के डेटा कलेक्शन एक्सरसाइज के बारे में बात करता है। इसके अनुसार किसी भी नागरिक का ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन डेटा सुरक्षित रूप से प्रिजर्व करना आवश्यक होगा।
- डेटा प्रोटेक्शन बिल डेटा के मिनिमाइजेशन की भी बात करता है। इसके अनुसार देश के किसी भी नागरिक का रिलेवेंट डेट का इस्तेमाल पहले से निर्धारित उद्देश्यों को ही पूरा करने के लिए होना चाहिए।
- डेटा प्रोटेक्शन बिल में चौथा नियम यह है कि यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के प्रति जवाबदेही तय होगी।
- प्रोटेक्शन बिल का पांचवा नियम डेटा ब्रीच की बात करता है। इसके मुताबिक डेटा लीक होने पर कंपनियों को इसकी जानकारी निष्पक्ष तरीके से बोर्ड को देनी होगी।
- प्रस्तावित कानून में व्यक्तिगत डेटा को कलेक्ट करके इसे बदलने, नष्ट करने, किसी दूसरे को शेयर करने पर जिम्मार इकाइयों को 250 करोड़ के जुर्माने जैसे कठोर दंड का प्रवधान किया गया है।