A
Hindi News Explainers Explainer: क्या है Digital House Arrest? साइबर क्रिमिनल्स का नया 'हथियार'

Explainer: क्या है Digital House Arrest? साइबर क्रिमिनल्स का नया 'हथियार'

Digital House Arrest: साइबर अपराधियों ने लोगों से फ्रॉड करने का एक और नया तरीका इजाद किया है। यह तरीका इतना खतरनाक है कि आपको चंद मिनटों में कंगाल कर सकता है। पिछले दिनों इस नए तरीके से साइबर क्रिमिनल्स ने एक महिला से 1.5 करोड़ रुपये लूट लिए।

Digital House Arrest, online fraud- India TV Hindi Image Source : FILE Digital House Arrest

Digital House Arrest: साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ठगने के लिए रोज नए-नए तरीके ढूंढ़ रहे हैं। तेजी से बढ़ रहे डिजिटल दुनिया में साइबर अपराधियों ने डिजिटल हाउस अरेस्ट नाम का नया टर्म इजाद किया है। यह बिलकुल ही नया तरीका है, जिसमें साइबर क्रिमिनल्स पुलिस, सीबीआई या फिर कस्टम अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और घर पर ही बंधक बनाकर रखते हैं। ठगी का यह नया खेल यहीं से शुरू होता है और फिर आपके बैंक अकाउंट को खाली किया जाता है। घर पर बंधक बनाकर रखने वाले इस ठगी के हाल में कई मामले सामने आए हैं। हम आपको साइबर अपराधियों के इस नए तरीके और इससे बचने के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं।

RBI की हाल में आई रिपोर्ट की मानें तो वित्त वर्ष 2023 में 302.5 बिलियन यानी 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक फ्रॉड भारत में रिकॉर्ड किए गए हैं। पिछले एक दशक की बात करें तो 1 जून 2014 से लेकर 31 मार्च 2023 तक भारतीय बैंकों में 65,017 फ्रॉड के मामले सामने आए हैं, जिसकी वजह से 4.69 लाख करोड़ रुपये की ठगी की गई है। साइबर क्रिमिनल्स UPI स्कैम, क्रेडिट कार्ड स्कैम, OTP स्कैम, नौकरी के नाम पर स्कैम, डिलीवरी स्कैम आदि के जरिए लोगों को चूना लगा रहे हैं। इन सब के अलावा डिजिटल हाउस अरेस्ट नाम का नया तरीका अब साइबर अपराधियों के लिए हथियार बन रहा है।

Image Source : pixabayDigital House arrest

क्या है Digital House Arrest?

साइबर अपराधियों का यह नया तरीका पीड़ित को घर में ही बंधक बनाने और उनसे ठगी करने के लिए अपनाया जाता है। इसमें साइबर क्रिमिनल्स ऑडियो या वीडियो कॉल करके ऐसा माहौल बनाते हैं कि पीड़ित को पैसा देना पड़ता है। स्कैमर्स इसमें AI जेनरेटेड वॉइस कॉल या फिर वीडियो कॉल के जरिए पुलिस या अधिकारी बनकर बात करते हैं और कहते हैं कि आपके आधार नंबर या फिर फोन नंबर से गलत काम हुए हैं। यही नहीं, अधिकारी बने ये स्कैमर लोगों को गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर में कैद कर लेते हैं और पैसे देने के लिए मजबूर करते हैं। गिरफ्तारी और बदनामी के डर से लोग आसानी से अधिकारी बने स्कैमर की जाल में फंस जाते हैं और यहीं से फ्रॉड का सिलसिला शुरू होता है।

इस तरह लोगों को फंसाते हैं स्कैमर्स

इस तरह के कई मामले हाल ही में सामने आए हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें एक महिला ने बताया कि किस तरह से स्कैमर पुलिस अधिकारी बनकर उसे लूटने की कोशिश की थी। हालांकि, महिला सतर्क थी और स्कैमर के जाल में नहीं फंसी, लेकिन उसकी स्टोरी जानकर लोगों की रूह कांप गई। ऐसा ही एक मामला प्रयागराज में सामने आया है, जिसमें इंटरनेशनल कूरियर कंपनी के कर्मचारी द्वारा कॉल किया गया और बताया गया कि उसके नाम से ड्रग्स, लैपटॉप और क्रेडिट कार्ड वाला एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है।

Image Source : pixabayDigital House arrest

जब महिला ने बताया कि ऐसे किसी पार्सल के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है तो स्कैमर ने उसे डराते हुए कहा कि वो उसकी शिकायत दर्ज करा देते हैं और बैकग्राउंड में किसी पुलिस स्टेशन की आवाज सुनाई देती है। फिर पुलिस अधिकारी बनकर स्कैमर ने महिला से वीडियो कॉल पर बात की और उसे डरा-धमकाकर 1 करोड़ 48 लाख रुपये अलग-अलग खातों में जमा करवा लिए। यह डिजिटल हाउस अरेस्ट का बड़ा मामला था।

ऐसा ही एक मामला हमारे संदर्भ में भी आया है, जब पाकिस्तान के एक नंबर- +92-3086715337 से स्कैमर ने हमारी सहकर्मी को पुलिस बनकर कॉल किया और बेटे के नाम पर धमकाया। हालांकि, उनकी सतर्कता की वजह से वो डिजिटल हाउस अरेस्ट से बच गईं।

Image Source : FILEDigital House Arrest

डिजिटल हाउस अरेस्ट से कैसे बचें?

इस तरह की ठगी से बचने के लिए सतर्कता ही आपका सबसे बड़ा हथियार है। जब भी आपको इस तरह के कॉल या मैसेज मिले, ठंडे दिमाग से सोचें और उसे रिपोर्ट करें। सरकार ने हाल ही में इस तरह के साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट (Sanchar Saathi) में चक्षु (Chakshu) पोर्टल लॉन्च किया है। इसके अलावा आप नजदीकी पुलिस स्टेशन या फिर साइबर थाने में इसे रिपोर्ट कर सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

इसके अलावा आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जैसे कि किसी के साथ अपनी निजी जानकारियां जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या फिर अन्य बैंकिंग डिटेल्स शेयर न करें। कोई भी बैंक या फिर सरकारी-गैरसरकारी संस्थान आपसे पिन, ओटीपी आदि की जानकारी नहीं पूछता है। ऐसे में आपको किसी के साथ अपनी निजी जानकारियां गलती से भी शेयर नहीं करनी चाहिए। साथ ही, अपने सोशल मीडिया और बैंक अकाउंट आदि के पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए, ताकि आप ऑनलाइन फ्रॉड से बच सकें।