Explainer: चुनावी साल में शेयर बाजार में जारी रहेगा उतार-चढ़ाव, रिजल्ट के बाद दिखेगा ये नजारा
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार लोकसभा चुनाव से पहले का ट्रेंड बदल गया है। यह समय अलग है। ऐसा इसलिए की पिछले साल शेयर बाजार में शानदार रैली रही। इससे मार्केट का वैल्यूएशन काफी हाई है। वहीं, दूसरी ओरइलेक्टोरल बॉन्ड जैसे राजनीतिक मुद्दे से माहौल खराब हुआ है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग शुरू होने में अब एक हफ्ते से कम समय बचा है। 19 अप्रैल को 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग शुरू होगी। इस बार मोदी सरकार अपने तीसरे टर्म के लिए जोर लगा रही हैं। वहीं, विपक्षी पार्टिंया सत्ता में लौटने के लिए दिन-रात एक की हुई है। शेयर बाजार की नजर भी 2024 के आम चुनाव पर है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि चुनावी साल में शेयर बाजार का प्रदर्शन कैसा रहेगा? क्या बाजार में तेजी जारी रहेगी या आएगी गिरावट? मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार बाजार का ट्रेंड बदल गया है। चुनाव से पहले बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। हां, चुनाव के बाद तेजी देखने को मिल सकती है। हमने ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर कई सवालों के जवाब जानने की कोशिश की है। तो आइए जानते हैं कि चुनावी साल में आपका शेयर बाजार में लगा पैसा बढ़ेगा या घटेगा?
चुनावी साल शेयर बाजार के लिए क्यों अहम?
शेयर बाजार निवेशकों के लिए हमेशा से चुनाव साल काफी अहम रहा है। ऐसा इसलिए कि चुनाव परिणाम के बाद, निवेशक परिणाम और उनकी अपेक्षाओं के पूरा होने की सीमा के आधार पर अपने निवेश को एडजस्ट करते हैं। चुनाव परिणाम के बाद वे स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करते हैं और नई वास्तविकता के आधार पर अपनी रणनीतियों को पुन: व्यवस्थित करते हैं। इसलिए चुनावी साल करोड़ों शेयर बाजार निवेशकों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में क्या उम्मीद?
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल अगर आती है तो निवेशकों को उम्मीद है कि सरकार इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए जरूरी सुधार का काम जारी रहेगी। सरकार आर्थिक सुधारों और विकास पहलों की गति को बनाए रखेगी। जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल से निवेशकों को उम्मीद है कि सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए "मेक इन इंडिया" अभियान जारी रखेगी।
चुनाव से पहले बाजार में रही है अच्छी तेजी
अगर पिछले कुछ लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो भारतीय शेयर बाजार ने चुनाव परिणाम से पहले काफी अच्छा रिटर्न दिया है। भारतीय शेयर बाजारों ने चुनाव पूर्व अवधि में सकारात्मक रुझान का देखने को मिला है। उदाहरण के लिए, अगर हम प्रधानमंत्री अटल बिहारी के समय हुए चुनाव पर नजर डालें तेा 6 अक्टूबर 1999 को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट जारी किया गया था। उससे एक साल पहले की अवधि में सेसेंक्स ने 50.7% का शानदार रिटर्न दिया। वहीं, चुनाव के एक साल बाद सेंसेक्स में 13.1% की गिरावट आई। इस तरह निवेशकों को नुकसान हुआ। इसी तरह अगर हम डॉ. मनमोहन सिंह के समय में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो 17 मई 2009 को चुनाव परिणाम आया था। इससे एक साल पहले की अवधि में सेंसेक्स ने 98.1% का शानदार रिटर्न दिया था। वहीं, चुनाव के एक साल की बाद की अवधि में सेंसेक्स ने 23.3% का रिटर्न दिया।
इस चुनाव में बदला मार्केट का ट्रेंड
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार लोकसभा चुनाव से पहले का ट्रेंड बदल गया है। यह समय अलग है। ऐसा इसलिए की पिछले साल शेयर बाजार में शानदार रैली रही। इससे मार्केट का वैल्यूएशन काफी हाई है। वहीं, दूसरी ओरइलेक्टोरल बॉन्ड जैसे राजनीतिक मुद्दे से माहौल खराब हुआ है। इजरायल और ईरान में युद्ध जैसी स्थिति से भू—राजनैतिक हालात और खराब हुए हैं। पहले से ही रूस और यूक्रेन लड़ रहे हैं। ये सारे हालात बाजार को फेवर नहीं कर रहे हैं। इसलिए चुनाव से पहले कोई बड़ी रैली की उम्मीद नहीं है। हां, चुनाव के बाद अगर मोदी सरकार वापस लौटती है तो स्टॉक मार्केट में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती है। लंबी अवधि में मार्केट का सेंटिमेंट पॉजिटिव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर एक नजर
अगर हम मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को देखें तो चुनाव से पहले और चुनाव के बाद सेंसेक्स ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है। 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। इसके बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। इस रिजल्ट के एक साल पहले की अवधि के दौरान सेंसेक्स ने 16.6% का रिटर्न दिया। वहीं, रिजल्ट के एक साल बाद की अवधि में 20.6% का रिटर्न दिया। हालांकि, उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान 23 मई 2019 को लोकसभा का रिजल्ट आया था। इसके एक साल पहले की अवधि में सेंसेक्स ने सिर्फ 5.2% का रिटर्न दिया। वहीं, एक साल बाद की अवधि में सेंसेक्स ने नीगेटिव रिटर्न दिया। सेंसेक्स इस दौरान 2.8% टूट गया। कुल मिलाकर चुनाव के पहले बाजार में अच्छी तेजी देखने को मिलती है। वहीं, चुनाव के बाद बाजार में करेक्शन आता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि यह ट्रेंड 2024 में भी इस बार देखने को मिले। यह बाजार है, यहां कुछ भी संभव है।
बड़े उतार-चढ़ाव के लिए रहे तैयार
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार चुनाव में एंट्री कर गया है। ऐसे में निवेशकों को आने वाले समय में वोलैटिलिटी के साथ जीने की आदत डालनी होगी। ऐसा इसलिए कि बाजार में किसी दिन बड़ी तेजी तो किसी दिन बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यह हर चुनावी साल में देखने को मिला है। ऐसे में संभव है कि इस बार के चुनाव से पहले यह ट्रेंड फॉलो हो। हालांकि, लंबी अवधि के निवेशकों को ऐसे परिदृश्यों को दरकिनार कर अपने जोखिम और लक्ष्य के आधार पर ही निवेश करते रहना चाहिए।