Explainer: ऋषि सुनक की विदाई के बाद कियर स्टारमर बने ब्रिटेन के PM, जानें भारत पर क्या हो सकता है असर
ब्रिटेन में सत्ता बदलने के साथ ही भारत के साथ इसके रिश्तों पर भी चर्चा होने लगी है। लेबर पार्टी के साथ भारत का हालिया इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है लेकिन इस बार चीजें बदली हुई नजर आ सकती हैं।
लंदन: भारतीय मूल के ऋषि सुनक की जगह अब लेबर पार्टी के नेता कियर स्टारमर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री हैं। ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को ब्रिटिश आम चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक भले ही हमेशा ब्रिटेन के हितों को आगे रखते थे, लेकिन एक भारतवंशी होने की वजह से कहीं न कहीं भारत के लिए उनके मन में एक सॉफ्ट कॉर्नर जरूर रहा होगा और यह बात पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकातों में नजर भी आती थी। ऐसे में स्टारमर के आने के बाद भारत और ब्रिटेन के रिश्ते कैसे होंगे, इस पर चर्चा होने लगी है।
स्टारमर ने लैमी को बनाया है विदेश मंत्री
बता दें कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभालते ही स्टारमर ने अपनी कैबिनेट का गठन कर दिया। उन्होंने शुक्रवार को डेविड लैमी को विदेश मंत्री नियुक्त किया। कहा जा सकता है कि यह भारत के लिए एक अच्छी खबर है क्योंकि लैमी को दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का समर्थक माना जाता है। 51 साल के लैमी ने पिछले महीने ही कहा था कि अगर उनकी पार्टी 4 जुलाई को सत्ता में आती है तो वह नई दिल्ली का दौरा करेंगे।
अंजाम तक पहुंचेगा मुक्त व्यापार समझौता?
लैमी ने पूर्व PM बोरिस जॉनसन द्वारा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए निर्धारित दिवाली 2022 की समय सीमा चूक जाने का जिक्र करते हुए कहा था, ‘कई दिवाली बिना किसी व्यापार समझौते के गुजर गई और बहुत सारे व्यवसाय इंतजार में रह गए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को मेरा संदेश है कि लेबर पार्टी आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइये, मुक्त व्यापार समझौता करें और आगे बढ़ें।’ लैमी ने यह भी कहा था कि अगर वह सरकार में शामिल हुए तो जुलाई के खत्म होने से पहले दिल्ली में होंगे।
लैमी ने भारत को बताया था ‘महाशक्ति’
लैमी ने भारत को लेबर पार्टी के लिए एक ‘प्राथमिकता’ और एक आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक ‘महाशक्ति’ बताया। उन्होंने कहा था, ‘लेबर पार्टी के सत्ता में आने के साथ, बोरिस जॉनसन द्वारा एशिया में रुडयार्ड किपलिंग की पुरानी कविता को सुनाने के दिन खत्म होने वाले हैं। अगर मैं भारत में कोई कविता सुनाऊंगा, तो वह टैगोर की होगी क्योंकि भारत जैसी महाशक्ति के साथ, सहयोग और सीखने के क्षेत्र असीमित हैं।’
चीन और रूस पर इशारों में साधा था निशाना
व्यापक विदेश नीति के दृष्टिकोण से, लैमी ने भारत के साथ साझेदारी में काम करते हुए ‘स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत’ पर जोर दिया। उन्होंने चीन पर इशारों में निशाना साधते हुए कहा था, ‘हम नियम-आधारित व्यवस्था के पक्ष में हैं और उनके खिलाफ हैं जो साम्राज्यवाद के एक नए रूप के साथ बलपूर्वक सीमाओं को फिर से बनाना चाहते हैं। जैसे कि यूरोप में पुतिन और एशिया में वे जो अपने पड़ोसियों पर अपनी इच्छा थोपना चाहते हैं और उन्हें स्वतंत्र विकल्प से वंचित करना चाहते हैं।’
‘यूरोप और एशिया 2 अलग-अलग दुनिया नहीं हैं’
ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप और एशिया 2 अलग-अलग दुनिया नहीं हैं इस चुनौतीपूर्ण माहौल में ब्रिटेन भारत के साथ सुरक्षा साझेदारी को बढ़ाने की कोशिश करेगा। वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लैमी को ब्रिटेन का विदेश मंत्री बनाए जाने पर बधाई दी है। जयशंकर ने ‘X’ पर लिखा, ‘डेविड लैमी को ब्रिटेन का विदेश मंत्री बनाए जाने पर बधाई। हमारी भागीदारी जारी रहने और भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की आशा है।’
भारत और ब्रिटेन के बीच मजबूत संबंधों के हिमायती हैं लैमी
लैमी के पिछले बयानों को आधार मानें तो भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में आगे भी गर्माहट देखने को मिल सकती है। लेबर पार्टी के साथ भारत के सबंधों का हालिया इतिहास भले ही बहुत संतोषजनक न रहा हो, और कश्मीर को लेकर भी उनका रुख थोड़ा विपरीत है, लेकिन ब्रिटेन के नए विदेश मंत्री को दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का हिमायती माना जा सकता है। पिछले कुछ सालों में भारत ने जिस तेजी से दुनिया में अपना रसूख बढ़ाया है, उसे देखते हुए ब्रिटेन उसके साथ जरूर अच्छे संबंध स्थापित करना चाहेगा।
भारत को अनदेखा करना किसी भी देश के लिए मुश्किल
ब्रिटेन और भारत के बीच भविष्य में अच्छे संबंधों की सबसे बड़ी वजह इकोनॉमी है। एक तरफ जहां ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, बर्मिंगम जैसे शहर दिवालिया घोषित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। ऐसे में किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए भारत को अनदेखा करना बहुत मुश्किल है। इन सारी बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले वक्त में भी भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में आमतौर पर गर्मजोशी ही देखने को मिलेगी।