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Hindi News Explainers Explainer: BSP के लिए कैसे खतरे की घंटी है चंद्रशेखर की जीत? जानें क्या बन रहे हैं समीकरण

Explainer: BSP के लिए कैसे खतरे की घंटी है चंद्रशेखर की जीत? जानें क्या बन रहे हैं समीकरण

2024 के लोकसभा चुनावों में जो नए नेता उभर कर सामने आए हैं उनमें एक प्रमुख नाम चंद्रशेखर आजाद का भी है जिन्हें अब यूपी में दलित वोटरों के लिए एक प्रमुख आकर्षण के तौर पर देखा जा रहा है।

Lok Sabha Elections, Lok Sabha Elections 2024, Elections 2024- India TV Hindi Image Source : FACEBOOK.COM/BHIMARMYCHIEF चंद्रशेखर ने नगीना लोकसभा सीट पर 1.5 लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर लोगों की निगाहें सबसे ज्यादा टिकी हुई थीं, उनमें से एक नगीना लोकसभा सीट भी थी। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के ओम कुमार का सीधा मुकाबला आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के उम्मीदवार चंद्रशेखर आजाद से था। वैसे आपको बता दें कि यह सीट I.N.D.I.A. के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के हिस्से में आई थी और उसने मनोज कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया था। वहीं, इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने भी सुरेंद्र पाल सिंह को चंद्रशेखर से मुकाबले के लिए उतारा था।

BJP प्रत्याशी को 1.5 लाख वोटों से हराया

नगीना की लोकसभा सीट पर दो निर्दलीय उम्मीदवार जोगेंद्र और संजीव कुमार भी मैदान में थे। यहां इन दोनों स्वतंत्र उम्मीदवार को NOTA से भी कम वोट हासिल हुए। जबकि मायावती की पार्टी बसपा के उम्मीदवार चौथे और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे। चंद्रशेखर ने बीजेपी के ओम कुमार को कड़ी टक्कर देते हुए इस सीट पर 1,51,473 से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। बता दें कि इस सीट पर चंद्रशेखर ने न तो विपक्ष के I.N.D.I.A. गठबंधन के साथ लड़ना स्वीकार किया और न ही बीएसपी के साथ वह मैदान में उतरने के लिए तैयार हुए।

दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की हुई शुरुआत

दरअसल, जिन कांशीराम के नाम पर मायावती की पूरी राजनीतिक विरासत टिकी हुई है, चंद्रशेखर ने उन्हीं कांशीराम को अपना आदर्श बनाया और अपनी पार्टी का नाम आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) रखा। वह मायावती के दलित वोट बैंक, जिस पर वह यूपी में अपना अधिकार रखने का दावा करती थीं, उसी में सेंध लगा दी। मायावती का खिसकता वोट बैंक और चंद्रशेखर की चुनावी कामयाबी बीएसपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। आकाश आनंद ने  लोकसभा चुनावों की शुरुआत में कुछ माहौल बनाने में कामयाबी हासिल की थी, लेकिन उनके पर ही कतर दिए गए।

Image Source : PTI Fileमायावती के लिए BSP के वोट बैंक को बचाकर रख पाना एक बड़ी चुनौती होगी।

BSP के परंपरागत वोटर को मिला मजबूत विकल्प?

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के उम्मीदवार चंद्रशेखर ने नगीना सीट पर जितनी बड़ी जीत दर्ज की है, उससे BSP के मतदाताओं को एक मजबूत विकल्प मिल गया है। यूपी में दलित वोट बैंक पर अपना अधिकार जमाए रखने वाली बहुजन समाज पार्टी को अब समझ में आ रहा है कि यह वोट बैंक धीरे-धीरे अब किधर खिसक रहा है। आने वाले दिनों में आकाश आनंद और चंद्रशेखर के बीच दलित वोटों के लिए टकराव देखने को मिले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। चंद्रशेखर की जीत के बाद अब बीएसपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने बचे-खुचे वोट बैंक को बचाने की होगी।

लगातार खिसकता जा रहा है BSP का जनाधार

2009 से 2024 के बीच मायावती का वोट बैंक कितनी तेजी से खिसका है, इसका अंदाजा आपको आंकड़े देखकर लग जाएगा। 2009 के लोकसभा चुनावों में BSP को यूपी में 27.42 फीसदी वोट मिले थे औ पार्टी ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2014 के चुनावों में पार्टी को एक सीट भी नहीं मिली लेकिन उसने 19.77 फीसदी वोट पाए थे। 2019 में मायावती ने सपा के साथ गठबंधन किया और 19.43 फीसदी वोटों के साथ 10 सीटों पर जीत दर्ज की। लेकिन 2024 के चुनावों में BSP को मात्र 9.39 फीसदी वोट मिले और वह एक भी सीट नहीं जीत पाई।

संकट के दौर से पार्टी को निकाल पाएंगी मायावती?

ये आंकड़े बताते हैं कि BSP चुनाव दर चुनाव कमजोर होती जा रही है ऐसे में अब उसके कोर वोटर किसी नए विकल्प की तरफ जरूर देखेंगे। 2019 से लेकर 2024 मात्र 5 साल में बीएसपी के 10 फीसदी वोटर ने उसका साथ छोड़ दिया। अब नगीना की लोकसभा सीट पर चंद्रशेखर की जीत ने उन्हें एक बड़ा दलित नेता बना दिया है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में वह बीएसपी के वोट बैंक में और बड़ी सेंध लगा सकते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मायावती इस संकट के दौर में अपनी पार्टी को एक बार फिर से पहले की तरह मजबूत बना सकती हैं या नहीं।