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Hindi News Explainers Explainer: नौकरियों के लिए 3 नई जाॅब स्कीम लाई सरकार, अब फ्रेशर को बुला-बुलाकर Job देंगी कंपनियां, जानें क्यों

Explainer: नौकरियों के लिए 3 नई जाॅब स्कीम लाई सरकार, अब फ्रेशर को बुला-बुलाकर Job देंगी कंपनियां, जानें क्यों

देश के 500 टॉप कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप कराई जाएगी। इंटर्नशिप के दौरान हर युवा को 5,000 रुपये महीना स्टाइपेंड दिया जाएगा। इसके अलावा 6,000 रुपये की एकमुश्त मदद भी दी जाएगी। स्टाइपेंड के साथ इंटर्नशिप एक साल तक दी जाएगी। इसके लिए 21 से 24 साल के युवा ही पात्र होंगे।

3 New Job Scheme - India TV Hindi Image Source : INDIA TV 3 नई जाॅब स्कीम

मोदी सरकार ने बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा की जा रही आलोचना का जवाब दिया है। सरकार 3 नई जॉब स्कीम लेकर आई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा बजट में की। इन तीनों स्कीम से फ्रेशर यानी पहली बार जॉब की तलाश कर रहे युवाओं को सबसे अधिक फायदा मिलेगा। आइए समझने की को​शिश करते हैं कि वो तीन स्कीम कौन सी है और इससे बाजार में जॉब के मौके कैसे बढ़ेंगे। बजट में नौकरी के लिए अकेले 2 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं। 

स्कीम-1: पहली बार नौकरी करने वालों के लिए

यह योजना दो साल के लिए होगी, जिसके तहत सभी फॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को एक महीने का वेतन दिया जाएगा। ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों को तीन किस्तों में एक महीने का वेतन- 15,000 रुपये की सीमा तक- सीधे लाभ में दिया जाएगा। इस योजना के लिए वेतन पात्रता सीमा 1 लाख रुपये प्रति माह होगी। सीतारमण ने कहा कि इस योजना से 2.10 करोड़ युवाओं को लाभ मिलने की संभावना है। कर्मचारियों को दूसरी किस्त का दावा करने से पहले अनिवार्य ऑनलाइन वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम से गुजरना होगा और अगर पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारी की नियुक्ति भर्ती के 12 महीने के भीतर समाप्त हो जाती है, तो नियोक्ता द्वारा सब्सिडी वापस कर दी जाएगी।

स्कीम-2: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार सृजन के लिए

 यह योजना पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार से जुड़े मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की जाएगी। ईपीएफओ अंशदान के तीन साल के रिकॉर्ड वाले सभी नियोक्ता, कॉर्पोरेट और गैर-कॉर्पोरेट कंपनियां पात्र होंगी। कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को चार साल के लिए 8-24 प्रतिशत के बीच प्रोत्साहन का भुगतान किया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से 30 लाख युवाओं और उनके नियोक्ताओं को लाभ मिलेगा।

स्कीम-3: एडिशनल जॉब्स के सहायता के लिए 

कंपनी केंद्रित यह योजना सभी क्षेत्रों में एडिशनल जॉब्स को प्रोत्साहित करेगी। 1 लाख रुपये प्रति माह की वेतन सीमा के भीतर सभी एडिशनल जॉब्स इस योजना के अंतर्गत आएंगे। सरकार प्रत्येक एडिशनल कर्मचारी के लिए ईपीएफओ अंशदान के तहत दो साल तक 3,000 रुपये प्रति माह तक की प्रतिपूर्ति करेगी। इस योजना से 50 लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगार मिलने की उम्मीद है। इन योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी बाद में आने की उम्मीद है जब वे अधिसूचित हो जाएंगी। 

बड़ी संख्या में नौकरियां देगी सरकार 

अगले 5 साल में सरकार 4 करोड़ नौकरियां खुद से देगी। 20 लाख खुद का काम कर सकेंगे। 1 करोड़ लोग प्राइवेट कंपनी में नौकरी पा सकेंगे। एमएसएमई सेक्टर में मुद्रा लोन 10 से बढ़ाकर 20 लाख कर दिया है जिससे लोग अपना व्यापार कर सकेंगे। आपको बता दें कि मोदी सरकार अगले 5 साल में पीएम पैकेज योजना से 4 करोड़ 10 लाख युवाओं को जोड़ेगी। अगले 5 साल तक हर साल 20 लाख नौजवानों को स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जाएगी।  इस तरह सरकार 1 करोड़ युवाओं को ट्रेंड वर्कर बना देगी। 

1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप कराई जाएगी

देश के 500 टॉप कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप कराई जाएगी। इंटर्नशिप के दौरान हर युवा को 5,000 रुपये महीना स्टाइपेंड दिया जाएगा। इसके अलावा 6,000 रुपये की एकमुश्त मदद भी दी जाएगी। स्टाइपेंड के साथ इंटर्नशिप एक साल तक दी जाएगी। इस तरह 12 महीनों में 60,000 रुपये मिलेंगे। इसके लिए 21 से 24 साल के युवा ही पात्र होंगे, जिनके पास रोजगार नहीं है और रेगुलर पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं 1 हजार इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स अपग्रेड किए जाएंगे। हर साल 25 हजार स्‍टूडेंट्स को स्किलिंग लोन का फायदा दिया जाएगा।

मुद्रा लोन को बढ़ाकर 20 लाख किया गया

MSME सेक्टर के लिए मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख तो किया ही गया है। SIDBI की पहुंच बढ़ाने के लिए नए ब्रांच खोलने का भी ऐलान किया गया है। ई कॉमर्स एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जाएगा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, 45 प्रतिशत से अधिक कार्यबल कृषि में कार्यरत है, 11.4 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग में, 28.9 प्रतिशत सर्विस सेक्टर में और 13.0 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन में काम करते हैं।