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Hindi News Explainers Explainer: क्या आर्टिकल 39 (बी) के तहत सरकार आपकी संपत्ति पर कब्जा कर सकती है? जानें क्या कहता है संविधान

Explainer: क्या आर्टिकल 39 (बी) के तहत सरकार आपकी संपत्ति पर कब्जा कर सकती है? जानें क्या कहता है संविधान

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी कि संविधान का उद्देश्य ‘सामाजिक बदलाव की भावना’ लाना है और यह कहना ‘खतरनाक’ होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ नहीं माना जा सकता।

Article 39 B, Article 39 B News, Article 39 B Latest News, Article 39 B Supreme Court- India TV Hindi Image Source : PTI FILE सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी।

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से देश की सियासत में संपत्ति कर का मुद्दा छाया हुआ है और इस पर लगातार बयानबाजी हुई है। यह सारा मामला अब ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके सैम पित्रोदा के एक बयान के बाद शुरू हुआ था। अपने बयान में पित्रोदा ने अमेरिका के ‘विरासत टैक्स’ वाली व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा था, ‘अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है और जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो इसमें से केवल 45 फीसदी उसके बच्चों को मिल सकता है। शेष 55 प्रतिशत संपत्ति सरकार के पास चली जाती है।' पित्रोदा की इसी बयानबाजी के बीच संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की चर्चा शुरू हो गई।

सैम पित्रोदा के बयान पर आखिर क्यों मचा बवाल?

दरअसल, पित्रोदा ने अमेरिका में विरासत टैक्स की व्यवस्था का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है। उन्होंने तब कहा था, ‘अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता। लोगों को इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करनी होगी। मुझे नहीं पता कि अंत में निष्कर्ष क्या होगा, लेकिन जब हम धन के पुनर्वितरण के बारे में बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं जो लोगों के हित में हैं, न कि केवल अति-अमीरों के हित में हैं।’ पित्रोदा की इसी टिप्पणी के बीच देश का ध्यान संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) पर गया।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) में क्या लिखा है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39 (ए) जहां देश के सभी नागरिकों को समान रूप से आजीविका के पर्याप्त साधन पाने का अधिकार देता है वहीं 39 (बी) कहता है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए कि आम हित की पूर्ति हो सके यानी कि लोगों की भलाई हो सके। इसके साथ ही अनुच्छेद 39 (सी) में इस बात का जिक्र है कि राज्य को इस तरह की व्यवस्था करनी होगी कि धन सिर्फ कुछ ही हाथों में केंद्रित न हो। अनुच्छेद 39 (डी) में महिला और पुरुष दोनों को समान काम के लिए समान वेतन की बात कही गई है। अनुच्छेद 39 (ई) में श्रमिकों की ताकत और स्वास्थ्य की सुरक्षा के साथ-साथ बच्चों और युवाओं का शोषण न होने देने की बात कही गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने की थीं बहुत ही महत्वपूर्ण टिप्पणियां 

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि संविधान का उद्देश्य ‘सामाजिक बदलाव की भावना’ लाना है और यह कहना ‘खतरनाक’ होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ नहीं माना जा सकता और ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए राज्य प्राधिकारों द्वारा उस पर कब्जा नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने ये टिप्पणी की थी। पीठ इस बात पर गौर कर रही है कि क्या निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ माना जा सकता है। इसे लेकर कुल 16 याचिकाएं दाखिल हुई हैं जिनमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ऑनर्स एसोसिएशन (POA) की ओर से दायर मुख्य याचिका भी शामिल है।

इससे पहले मुंबई के प्रॉपर्टी ऑनर्स एसोसिएशन सहित विभिन्न पक्षों के वकील ने जोरदार दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) और 31 सी की संवैधानिक योजनाओं की आड़ में राज्य अधिकारियों द्वारा निजी संपत्तियों पर कब्जा नहीं लिया जा सकता है। बेंच विभिन्न याचिकाओं से उत्पन्न जटिल कानूनी प्रश्न पर विचार कर रही है कि क्या निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ माना जा सकता है। संविधान का अनुच्छेद 39 (बी) राज्य नीति निर्देशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है।

बेंच ने कहा था, ‘यह कहना थोड़ा अतिवादी हो सकता है कि 'समुदाय के भौतिक संसाधनों' का अर्थ सिर्फ सार्वजनिक संसाधन हैं और उसकी उत्पत्ति किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति में नहीं है। मैं आपको बताऊंगा कि ऐसा दृष्टिकोण रखना क्यों खतरनाक है। खदानों और निजी वनों जैसी साधारण चीजों को लें। उदाहरण के लिए, हमारे लिए यह कहना कि अनुच्छेद 39 (बी) के तहत सरकारी नीति निजी वनों पर लागू नहीं होगी। इसलिए इससे दूर रहें। यह बेहद खतरनाक होगा।’ बेंच में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे। अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।