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Hindi News Explainers Explainer: क्या कश्मीर घाटी में खिल सकता है BJP का कमल? क्या कहते हैं समीकरण? जानें

Explainer: क्या कश्मीर घाटी में खिल सकता है BJP का कमल? क्या कहते हैं समीकरण? जानें

जम्मू एवं कश्मीर में इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए बेहद अहम हैं और ये चुनाव तय करेंगे कि अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद घाटी के लोगों का दिल बीजेपी के साथ मिला है या नहीं।

Jammu and Kashmir News, Jammu and Kashmir, Lal Chowk Assembly Seat- India TV Hindi Image Source : INDIA TV कश्मीर में बीजेपी इस बार कमल खिलने की उम्मीद कर रही होगी।

श्रीनगर: जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी सियासी दल अपनी-अपनी रणनीतियों को अमली जामा पहनाने में जुट गए हैं। बता दें कि इस सूबे में 10 साल बाद चुनाव हो रहे हैं, और पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार परिस्थितियां काफी हद तक बदल चुकी हैं। अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और यहां से अनुच्छेद 370 की विदाई हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी भी इन चुनावों में पूरे जोर-शोर से मैदान में उतरी है, और सियासी पंडितों के बीच इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार घाटी में भी कमल खिलेगा?

कश्मीर में कब होंगे चुनाव?

जम्मू-कश्मीर में 3 चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं। पहले चरण की वोटिंग 18 सितंबर को, दूसरे चरण की वोटिंग 25 सितंबर को और तीसरे चरण की वोटिंग 1 अक्टूबर को होनी है। वहीं, वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी। जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा जाने और अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद ये पहले विधानसभा चुनाव हैं। इन चुनावों की एक और खास बात यह है कि अब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का परिसीमन हो चुका है और सूबे में कुल 90 विधानसभा सीटें हो गई हैं। यानी कि अब किसी भी पार्टी या गठबंधन को बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम 46 सीटों की दरकार होगी।

क्या घाटी में खिलेगा कमल?

जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों के इतिहास को देखें जम्मू क्षेत्र में तो पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती आई है लेकिन कश्मीर घाटी में इसका खाता खुलना अभी दूर की कौड़ी नजर आ रही है। हालांकि यह भी सच है कि घाटी के लोग हालिया सुधारों पर अपनी खुशी जाहिर करते नजर आते हैं। जिस लाल चौक पर कभी भारत का तिरंगा लहराना भी मौत को दावत देना होता था, आज वहां लोग आराम से घूमते-फिरते नजर आते हैं और कई मौकों पर दर्जनों की संख्या में राष्ट्रध्वज लहराते हैं। पत्थरबाजी और अलगाववादी गतिविधियों का केंद्र रहा यह इलाका अब सैलानियों की मौजूदगी से गुलजार रहता है। ऐसे में माना जा रहा है कि घाटी में कमल खिले या न खिले, बीजेपी के प्रति लोगों का समर्थन बढ़ सकता है।

Image Source : India TVलाल चौक से बीजेपी के प्रत्याशी एजाज हुसैन और ईदगाह से प्रत्याशी आरिफ राजा।

क्या कहते हैं बीजेपी के नेता?

बीजेपी ने घाटी की लाल चौक और ईदगाह विधानसभा सीटों से क्रमश: इंजीनियर एजाज हुसैन और आरिफ राजा को टिकट दिया है। इन उम्मीदवारों ने अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर में आई खुशहाली की बार-बार बात की है। इंडिया टीवी के संवाददाता मंजूर मीर से बात करते हुए एजाज हुसैन ने कहा कि 'इसी लाल चौक पर PM मोदी ने दशकों पहले तिरंगा फहराया था, और उम्मीद है कि इस बार यहां पार्टी का भी परचम लहराएगा।' वहीं, आरिफ राजा ने कहा कि 'आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद हालात बेहतर हुए हैं और इसका अंदाजा राहुल गांधी के हाल ही में हुए कश्मीर दौरे से लगाया जा सकता है जब वह रात को 12 बजे भी लाल चौक पर आइसक्रीम खाने के लिए पहुंचे।'

क्या रहे हैं पुराने समीकरण?

देखा जाए तो पिछले कुछ चुनावों में सूबे में बीजेपी की ताकत में इजाफा ही हुआ है। 2002 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने मात्र एक सीट जीती थी और उसे 8.57 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2008 के चुनावों में पार्टी ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 12.45 फीसदी वोटों पर कब्जा जमाया था। 2014 के चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 25 सीटों पर जीत दर्ज की और उसे 22.98 फीसदी वोट मिले। चुनावों के बाद बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। यह पहली बार था जब बीजेपी सूबे में किसी सरकार का हिस्सा बनी थी। आगे चलकर PDP से समर्थन वापसी, फिर अनुच्छेद 370 के खात्मे जैसे फैसलों के बाद बीजेपी की सूबे में मौजूदगी बढ़ी हुई नजर आने लगी है।