Explainer: बंगलुरु के जल संकट ने लिया राजनीतिक रंग, एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहीं पार्टियां, पिस रहा आम आदमी
बंगलुरु में जल संकट गहरा गया है। पैसे वालों के लिए पानी इतनी बड़ी समस्या नहीं है लेकिन जिन लोगों के पास पैसों की किल्लत है, वे पानी की किल्लत से भी जूझ रहे हैं क्योंकि टैंकर का पानी महंगा पड़ रहा है।
बंगलुरु: कर्नाटक के बंगलुरु में जल संकट ने राजनीतिक रंग ले लिया है। सूखे की वजह से भूजल स्तर गिर गया है, जिसकी वजह से कुएं सूख रहे हैं। हालात ये हैं कि पीने के पानी की कीमतें भी बढ़ रही हैं। कई निवासी अब महंगे टैंकरों के पानी पर निर्भर हैं। हाल के महीनों में टैंकर के पानी की कीमत में भारी वृद्धि हुई है।
पानी की कीमत उस हद तक बढ़ गई है कि सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा है और पानी के टैंकर की कीमतों पर अंकुश लगाना पड़ा। गौरतलब है कि बंगलुरु भारत के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में से एक है और मुख्य रूप से कावेरी नदी और बोरवेल से अपना पानी प्राप्त करता है।
राजनीतिक हो गया जल संकट
गौरतलब है कि देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं, ऐसे में बंगलुरू के जल संकट ने भी राजनीतिक रंग ले लिया है। बंगलुरु में 26 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान हुआ था, जिसमें पानी की कमी एक प्रमुख मुद्दा था। ये मुद्दा मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच चर्चा का अहम बिंदु था।
कर्नाटक में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है। जैसे-जैसे पानी की कमी बढ़ रही है, ये मुद्दा एक प्रमुख राजनीतिक हथियार के रूप में सामने आ रहा है।
बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
हालही में बीजेपी ने बंगलुरू जल संकट को लेकर कांग्रेस पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया था और कांग्रेस सरकार की आलोचना की थी। कर्नाटक में बीजेपी प्रवक्ता मालविका अविनाश ने डीडब्ल्यू से कहा था कि जल संकट के कारण वोट कांग्रेस से दूर चले जाएंगे। उन्होंने कहा था, 'जल संकट से निपटने में कांग्रेस सरकार की विफलता से बेंगलुरु में कांग्रेस विरोधी भावना ही बढ़ेगी।'
उन्होंने पानी की स्थिति को सिद्धारमैया सरकार की देन बताया था और कहा था कि सरकार इस गर्मी में बारिश की कमी को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी।
कांग्रेस ने बीजेपी पर मढ़ा दोष
वहीं बंगलुरु जल संकट को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमलावर रुख अपनाया था। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने जल संकट का दोष मोदी बीजेपी सरकार पर मढ़ा। शिवकुमार ने आरोप लगाया कि महादयी और मेकेदातु परियोजनाओं को रोककर संकट को बढ़ाने में मोदी सरकार का हाथ था।
शिवकुमार ने मार्च में भारतीय मीडिया से कहा था, 'बेंगलुरु में पानी की ऐसी कोई कमी नहीं है, यह कमी बीजेपी ने पैदा की है।'
करीब एक हजार पुनर्भरण कुओं का निर्माण
हालांकि आरोप और प्रत्यारोप की राजनीति के बीच एक अच्छी खबर ये है कि मानसून से पहले, बंगलुरु ने गिरते भूजल स्तर को बढ़ावा देने के लिए लगभग एक हजार पुनर्भरण कुओं का निर्माण किया है।
मानसून नजदीक आ रहा है। ऐसे में बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) ने गिरते भूजल स्तर को फिर से भरने और जल संकट को दूर करने के लिए पिछले महीने विभिन्न स्थानों पर 986 रिचार्ज कुओं का निर्माण किया है।
बोर्ड ने शहर में वर्तमान जल संकट के लिए मुख्य रूप से अकुशल वर्षा जल संचयन और भूजल को रिचार्ज करने के लिए उचित जल टैंकों की कमी को जिम्मेदार ठहराया है।