Explainer: जापान में "द बर्निंग प्लेन" बन जाने के बावजूद, किस वजह से बच गई सभी यात्रियों की जान
हानेडा जाने वाली जापान एयरलाइंस का विमान पूरी तरह आग का गोला बन चुका था। इसके बावजूद इसमें सवार सभी 379 यात्रियों की जान बच गई। इससे एक्सपर्ट भी हैरान हैं। आखिर कैसे और किस जुगाड़ से इन यात्रियों को बचा लिया गया, हर किसी के लिए यह कौतूहल का विषय है।
Explainer: जापान के टोक्यो हवाई अड्डे पर एक अन्य विमान से टकराकर आग का गोला बने जापानी एयरलाइंस के विमान में सवार सभी 379 यात्रियों को बचा लिया जाना किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं है। मगर यह सब कैसे संभव हो सका, इस बारे में सोचकर विशेषज्ञ भी हैरान हैं। हर कोई यही सोच रहा है कि इतनी भयंकर आग लगने के बावजूद यह जेट विमान विस्फोट से कैसे बच गया, क्योंकि इस स्थिति में विमान में भीषण विस्फोट होने की आशंका रहती है। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और सभी यात्रियों को एक-एक कर बचा लिया गया। व्याख्याता विशेषज्ञ अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि हानेडा जाने वाली जापान एयरलाइंस की उड़ान में सवार सभी यात्री और चालक दल भागने में कैसे कामयाब रहे?
यह विमान टोक्यो हवाई अड्डे पर एक अन्य विमान से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस दौरान विमान में सवार ज्यादातर यात्री सुरक्षित बाहर निकलने में कामयाब रहे। बता दें कि बीते मंगलवार की शाम लगभग 5:45 बजे, जेएएल उड़ान 516 - एक एयरबस ए350-900 जो लगभग डेढ़ घंटे पहले उत्तरी शहर साप्पोरो से रवाना हुई। यह हानेडा हवाई अड्डे पर उतरते समय एक तट रक्षक विमान से टकरा गई, जिसमें छोटे डैश 8 विमान में सवार छह में से पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं जापानी एयरलाइंस का विमान टकराने के बाद पूरी तरह आग से घिर गया था, लेकिन विस्फोट नहीं हुआ। हालांकि आग तेजी से पूरे विमान में फैल गई और अधिकारियों को विमान को बुझाने में करीब 3 घंटे से अधिक का समय लग गया।
विस्फोट से कैसे बचा विमान
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से विमान भीषण आग के हवाले था, ऐसे में उसमें विस्फोट होना तय था। मगर विमान में ईंधन का स्तर कम था। इसके चलते लगता है कि वह विस्फोट से बच गया। इसके अलावा विमान रेजिन का इस्तेमाल हुआ था जो स्पष्ट रूप से आग की क्षमता को प्रभावित करती है। जबकि हम इस घटना में विमान में उपयोग किए गए रेजिन की विशिष्टताओं को नहीं जानते हैं। मगर वे एल्यूमीनियम की तुलना में कम तापमान पर अपनी संरचनात्मक क्षमता, मोटाई की भावना खो देंगे। जांच टीम के मुख्य सदस्य ब्राउन ने कहा कि फुटेज से पता चलता है कि प्रारंभिक लौ विमान के बाएं पंख पर थी, इससे धातु बॉडी वाले विमान में भी आग लग गई होगी। उन्होंने कहा, "कार्बन फाइबर कंपोजिट लगभग 200 डिग्री पर अपनी कुछ कठोरता खोना शुरू कर सकते हैं, जबकि एल्यूमीनियम लगभग 700 डिग्री पर पिघल जाएगा, लेकिन हमने उस धड़ पर जो आग देखी, उसका तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होगा।
रेजिन से कम हुई होगी आग की क्षमता
विशेषज्ञों के अनुसार रेजिन कम तापमान पर जलता है और यह आग के प्रदर्शन को बदल देता है। इसके चलते विमान के जलने के तरीके पर कुछ प्रभाव पड़ा होगा, क्योंकि कार्बन फाइबर कंपोजिट इसके समग्र परिणाम को बदलने वाला नहीं था। ब्राउन ने नोट किया कि आग बाएं पंख में समाहित थी। उन्होंने उन सामग्रियों से बने फ़ायरवॉल के लिए धन्यवाद किया जो इंजन और ईंधन टैंक जैसे क्षेत्रों में आग की लपटों को फैलने से रोकने के लिए बहुत अधिक तापमान पर दहनशील होते हैं। ऐसे में सभी लोगों को निकालने के लिए पर्याप्त समय था। जबकि चालक दल को 90 सेकंड में सभी यात्रियों को निकालने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, क्योंकि पंखों के ऊपर के दरवाजों का उपयोग करने में असमर्थता के कारण इसमें अधिक समय लगने की संभावना होती है।