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Explainer: गणतंत्र दिवस की परेड में 'झांकियों' को कौन देता है मंजूरी, कैसे होता है चयन? जानिए सबकुछ

दिल्ली के कर्तव्य पथ हर साल गणतंत्र दिवस की परेड में कई राज्यों की झांकियां निकलती हैं। इनमें से कई राज्यों की झांकियों को मंजूरी नहीं मिल पाती है। आइये जानतें हैं कि राज्यों कि इन झांकियों को मंजूरी कौन देता है और कैसे चयन होता है?

गणतंत्र दिवस की परेड और झांकियों का चयन- India TV Hindi Image Source : INDIA TV GFX गणतंत्र दिवस की परेड और झांकियों का चयन

साल 2025 के गणतंत्र दिवस (Republic Day) को लेकर तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। हर साल 26 जनवरी के दिन राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में अलग-अलग राज्यों की झांकियां निकलती हैं। गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने के लिए इस बार दिल्ली की झांकी को मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसको लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा है।

केजरीवाल ने केंद्र और बीजेपी पर साधा निशाना

गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली की झांकी को शामिल न करने को लेकर अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की आलोचना की है। पूर्व सीएम केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली की झांकी पिछले कुछ सालों से लगातार बाहर हो रही है। दिल्ली और उसके लोगों के प्रति इतनी नफरत क्यों है?

झांकियों के चयन को लेकर लोगों के मन में कई सवाल

मालूम हो कि इसके पहले भी कई राज्य केंद्र पर आरोप लगा चुके हैं कि उनके यहां कि झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं किया गया था। आइये जानते हैं कि आखिर गणतंत्र दिवस के परेड के लिए झांकियों की मंजूरी कौन देता है? राज्यों की इन झांकियों का चयन कैसे होता है?

राज्यों की कला संस्कृति और विरासत को दिखाती हैं झांकियां

हर साल गणतंत्र दिवस की परेड में अलग-अलग राज्यों की झांकियों को देखने के लिए लोगों में एक अलग ही उत्साह होता है। राज्यों की इन झांकियों में वहां की कला संस्कृति और विरासत को दिखाया जाता है। जब कर्त्तव्य पथ से झांकियां गुजरती हैं तो यह भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करती हैं।

रक्षा मंत्रालय ने बनाया एक पैनल

झांकियों का चयन एक अलग कमेटी बनाई गई है, जिसमें कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला आदि जैसे विभिन्न विषयों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से बनी एक विशेषज्ञ समिति शामिल होती है। विशेषज्ञों के पैनल का निर्देशन सीधे तौर पर रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस कमेटी के माध्यम से सरकार को लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त होते हैं।

विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और केंद्रीय विभागों से प्राप्त झांकी के प्रस्तावों का विशेषज्ञ समिति की मीटिंग में इनका मूल्यांकन किया जाता है। इसके बाद ही निर्णय लिया जाता है कि गणतंत्र दिवस की परेड में कौन-कौन सी झांकियां हिस्सा लेंगी।

झांकियों के प्रस्तावों की कैसे की जाती है जांच? 

  • झांकियों की सिफारिशें करने से पहले प्रस्तावों की विषयवस्तु, अवधारणा, डिजाइन और दृश्य प्रभाव के आधार पर जांच की जाती है।
  • मूल्यांकन प्रक्रिया में विभिन्न चरण होते हैं। इसकी शुरुआत स्केच, डिजाइन और प्रदर्शन के विषय की प्रारंभिक सराहना से होती है।
  • विशेषज्ञ समिति और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों/विभागों/मंत्रालयों के बीच कई विचार-विमर्श के बाद, झांकी का त्रि-आयामी मॉडल (Three-dimensional model) तैयार किया जाता है।
  • अंतिम चयन से पहले दृश्य अपील, जनता पर प्रभाव, इसके पीछे का विचार और इसके साथ संगीत की जांच की जाती है।
  • चयन प्रक्रिया क्षेत्रीय प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को छह क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। इसको उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तर पूर्वी हिस्से में बांटा गया है।

झांकियों को न शामिल किये जाने पर हुए कई विवाद

बता दें कि इसके पहले भी गणतंत्र दिवस की परेड के लिए झांकी को खारिज किए जाने के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। साल 2022 में तमिलनाडु की झांकी को खारिज कर दिया गया था। तमिलनाडु के अलावा पश्चिम बंगाल और पंजाब की झांकी भी खारिज की जा चुकी है।

तमिलनाडु की इस झांकी पर हुआ खासा विवाद

साल 2002 की गणतंत्र दिवस की परेड में झांकी को न शामिल किए जाने को लेकर तमिलनाडु और केंद्र के बीच काफी विवाद हुआ था। तब झांकी का विषय 'स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु' रखा गया था। केंद्र की विशेषज्ञ समिति ने तमिलनाडु राज्य की इस झांकी को खारिज कर दिया था। केंद्र से मंजूरी न मिलने के बाद तब तमिलनाडु सरकार ने गणतंत्र दिवस पर इस झांकी को पूरे राज्य में परेड करने का फैसला लिया था।