EXPLAINER: मिडिल ईस्ट में गहराया संकट! इज़रायल, हमास और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष से ईरान का क्या लेना-देना? जानें
मिडिल ईस्ट फिर से गहरी अशंति की ओर जा रहा है। इजरायल पर ईरान के मिसाइल अटैक ने इस बात का संकेत दे दिया। एक अक्टूबर को ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों की बौछार कर दी।
ईरान ने 1 अक्तूबर को अपने मिसाइलों के जखीरे का मुंह इजरायल की ओर खोल दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने इजरायल पर 180 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। ईरान के भीषण हमले से इजरायल हिल उठा है। हालांकि उसने अपने मिसाइल रक्षा प्रणाली का उपयोग कर बचाव की भरपूर कोशिश की। वहीं ईरान का दावा है कि उसके मिसाइलों ने अपने 90 प्रतिशत टारगेट को हिट किया है। हालांकि ईरान के हमलों में इजरायल को हुए नुकसान का फिलहाल आकलन नहीं हो पाया है। उधर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेता ने ईरान को जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। इजरायल ने कहा है कि वह हिजबुल्लाह पर तब तक हमला करता रहेगा जब तक कि लेबनान सीमा के पास के घरों से विस्थापित नागरिकों के लिए वापस लौटना सुरक्षित नहीं हो जाता।
गहरी अशांति का संकेत
ईरान के ताजा हमले एक बार फिर मिडिट ईस्ट में गहरी अशांति का संकेत दे रहे हैं। हमास और अन्य आतंकवादियों द्वारा 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमला करने और लगभग 1,200 लोगों की हत्या और सैंकड़ों लोगों को बंधक बनाने के बाद इजरायल ने बदले की कार्रवाई करते हुए गाजा पर हमला बोल दिया। गाजा में सैन्य कार्रवाई के दौरान हमास के कई आतंकी मारे गए। इस दौरान आतंकी संगठन हिजबुल्लाह द्वारा उत्तरी इजरायल में रॉकेट हमले किए जाते रहे। हिजबुल्लाह के इस रॉकेट हमले से परेशान होकर इजरायल ने तेहरान समर्थित लेबनानी आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह के लंबे समय से नेता हसन नसरल्लाह को निशाना बनाकर हमला किया। बेरूत में किए गए इस हमले में नसरल्लाह की मौत हो गई। वह एक खुफिया मीटिंग कर रहा था। उसके साथ ईरानी सेना के सीनियर कमांडर भी बैठक में शामिल था और वह भी इस हमले में मारा गया।बेरुत में की गई इजरायल की इस कार्रवाई के बाद ईरान ने बदला लेने की धमकी दी और फिर इजरायल पर मिसाइलों की बौछार कर दी।
इज़राइल और हमास की लड़ाई अब ईरान तक पहुंची!
हाल के हफ्तों में मिडिल ईस्ट में खतरा काफी बढ़ गया है। मिडिल ईस्ट एक साल पहले की तुलना में कहीं अधिक अस्थिर स्थिति में है। यह संघर्ष मुख्य रूप से इज़राइल और हमास के बीच लड़ाई से कहीं आगे तक फैल गया है। इज़राइल और हिजबुल्लाह के बीच पिछले एक साल में ऐसा संघर्ष विकसित हुआ है जो इज़रायल-हमास संघर्ष से कहीं अधिक खतरनाक प्रतीत होता है। इज़रायल पर हिजबुल्लाह ने अपरंपरागत युद्ध संचालन करने का आरोप लगाया गया है - जैसे कि विस्फोट करने वाली वॉकी-टॉकी और पेजर। पिछले कुछ हफ्तों में लेबनान में सैकड़ों हवाई और मिसाइल हमले किए हैं। इन अभियानों ने हिजबुल्लाह के हथियारों के भंडार और सैन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया है साथ ही हसन नसरल्लाह सहित इस ग्रुप के कई सीनियर नेताओं को मार डाला है।
ईरान क्यों बीच में आया?
अब सवाल उठता है कि इजरायल, हमार और हिजबुल्लाह के बीच जंग में ईरान क्यों बीच में आया? दरअसल, ईरान और हिजबुल्लाह के बीच गहरा रिश्ता है। 1979 में ईरानी क्रांति और इस्लामी गणतंत्र ईरान के निर्माण के साथ ही इस रिश्ते की शुरुआत हुई। लेबनान में चले 15 साल के गृहयुद्ध के दौरान ईरान और लेबनानी आतंकवादियों के बीच संबंधों की वजह से 1982 में एक छोटे, गुप्त समूह के रूप में हिजबुल्लाह के गठन हुआ। 1982 में इजरायल ने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन और अन्य फिलिस्तीनी समूहों द्वारा इजरायल में किए जा रहे सीमा पार हमलों को विफल करने के लिए दक्षिणी लेबनान पर हमला किया। ईरान ने लेबनान गृह युद्ध के लड़ाकों का इस्तेमाल इजरायल के खिलाफ किया। ये लड़ाके इजरायली सेना और बहुराष्ट्रीय बल के तत्वों के खिलाफ लड़ना चाहते थे, जिसमें अमेरिकी, फ्रांसीसी और अन्य पश्चिमी सैनिक शामिल थे। पश्चिमी देशों के इन सैनिकों को वहीं की जमीनी लड़ाई को समाप्त करने के लिए शांति सैनिकों के रूप में भेजा गया था। इनके खिलाफ लड़ने के लिए हिजबुल्लाह के लड़ाकों का इस्तेमाल किया गया।
हमलों का क्रूर अभियान
अगले कुछ वर्षों के दौरान, हिजबुल्लाह ने लेबनान में अमेरिका, फ्रांस और अन्य पश्चिमी हितों के खिलाफ आतंकवादी हमलों का एक क्रूर अभियान शुरू किया। उस समूह, जिसे तब इस्लामिक जिहाद के रूप में जाना जाता था, ने पहली बार 18 अप्रैल, 1983 को बेरूत में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया। उस हमले में 52 लेबनानी और अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी मारे गए। इससे हिजबुल्लाह ने आतंकी संगठन के तौर पर पहचान स्थापित की। हाल के दिनों में ईरान ने जब देखा कि इजरायल हिजुब्लाह के खिलाफ जंग का ऐलान कर चुका है और उसके शीर्ष कामंडरों को मार गिराया, तब उसने इजरायल पर मिसाइलों से अटैक किया।