चीन, उत्तर कोरिया की बढ़ी धड़कनें, जापान ने अरबों डॉलर किया रक्षा बजट, बन गए दो गुट, टकराव होगा विनाशक
जापान अपने रक्षा बजट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर रहा है। इससे चीन और उत्तर कोरिया को झटका लगेगा। इसी बीच एशिया प्रशांत क्षेत्र में दो धुरियां बन रही हैं। एक गुट चीन, उत्तर कोरिया और रूस का है। वहीं दूसरा गुट है जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का।
Explainer: पड़ोसी देश चीन और उत्तर कोरिया के खतरे से निपटने और इन देशों को जवाब देने के लिए जापान ने कमर कस ली है। वह अपने रक्षा बजट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर रहा है। जापान ने 2024 वित्त वर्ष के लिए रिकॉर्ड 52.67 अरब डॉलर के रक्षा बजट का प्रस्ताव रखा है। यह जापान के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा रक्षा बजट है। बजट की इस बढ़ोतरी पर चीन और उत्तर कोरिया के पसीने भी छूट गए होंगे। पीएम फुमियो किशिदा की पांच वर्षों में सैन्य खर्च को 43 खरब येन तक बढ़ाने की योजना के तहत यह ताजा कदम है। जापान के रक्षा बजट बढ़ाने से इलाके में सैन्य संतुलन भी बना रहेगा। क्योंकि एक ओर चीन और उत्तर कोरिया को रूस का साथ मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर जापान और दक्षिण कोरिया को अमेरिका का साथ मिल रहा है।
जापान और चीन के बीच तनाव तो पहले से ही बना हुआ है। जापान ने हाल ही में क्षतिग्रस्त फुकुशिमा न्यूक्लियर रिएक्टर से उपचारित रेडियोधर्मी पानी को समुद्र में फेंकना शुरू कर दिया है, जिसकी चीन आलोचना कर रहा है। इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। चीन ने जापान से सीफूड आयात बंद कर दिया है। साथ ही धमकीभरे फोन भी चीन की ओर से जापान को दिए जाने लगे हैं। इस पर जापान के पीएम किशिदा ने भी सवाल उठाए। इन सबके बीच जापान ने अपने दो दुश्मन देशों उत्तर कोरिया और चीन से निपटने के लिए नई रणनीति के तहत अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने का इरादा कर लिया है। यही कारण है कि रक्षा बजट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है।
जंगी जहाजों और हथियारों पर 900 अरब का खर्च
बजट प्रस्ताव के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने नई जहाज-आधारित वायु-रक्षा मिसाइलों सहित गोला-बारूद और हथियारों के लिए 900 अरब येन से अधिक अलग रखने की योजना बनाई है। जापान हाइपरसोनिक हथियारों का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के साथ संयुक्त रूप से इंटरसेप्टर मिसाइल भी विकसित करेगा। जंगी जहाज में बढ़ोतरी और जहाज आधारित वायु रक्षा मिसाइलों से सेना को सुसज्जित करके जापान अपने इरादे चीन और उत्तर कोरिया के सामने स्पष्ट करना चाहता है। समुद्री ताकत बढ़ाने की कोशिश से चीन को झटका लगेगा।
अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान Vs चीन, उत्तर कोरिया और रूस?
बदलते समय में दुनिया में समीकरण भी बदल रहे हैं। रूस और यूक्रेन की जंग के बाद जहां चीन ने रूस का साथ दिया, वहीं अमेरिका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन का। अब एशिया में भी समीकरण बन रहे हैं। उत्तर कोरिया और चीन की दोस्ती तो जगजाहिर है। चीन पहले से ही उत्तर कोरिया को प्रश्रय दे रहा है। अब रूस भी इनके साथ हो लिया है। रूस ने तो यूक्रेन से जंग के लिए उत्तर कोरिया से सैन्य सहायता तक मांगी है। वहीं चीन और रूस की दोस्ती भी हर नए दिन के साथ बढ़ रही है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस यात्रा और अब आगामी महीने में रूसी राष्ट्रपति पुतिन की चीन की यात्रा के ऐलान के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया की तिकड़ी एशिया में नई एकता दिखा रही है। चीन और रूसी जंगी जहाजों की हालिया गश्ती ने इस बात को और ताकत दे दी है। हाल ही में रूस के जंगी जहाज भी एशिया प्रशांत इलाकों में नजर आए हैं।
जापान को इन देशों का सहारा
वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया, जापान के साथ अमेरिका खड़ा है। जापान क्वाड का भी सदस्य है जिसमें अमेरिका के अलावा, आस्ट्रेलिया, भारत भी शामिल हैं। इस तरह इन दो गुटों में आपसी तनाव आगे जाकर जंग का रूप न ले ले, इस बात की चिंता भी जताई जा रही है।
दक्षिण चीन सागर में चीन की अकड़ कम करने पर आमादा अमेरिका
पूरे एशिया प्रशांत इलाके में चीन के दबदबे को कम करने के लिए अमेरिका न सिर्फ जापान, आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर काम कर रहा है। बल्कि चीन की दुखती रग ताइवान को भी सैन्य सहायता बढ़ाकर चीन को सबक सिखा रहा है। हाल ही में
खबर आई कि चीन को दरकिनार करते हुए अमेरिका ने ताइवान को सैन्य सहायता बढ़ाने का निश्चय किया है। चीन की कड़ी आपत्ति के बावजूद जो बाइडेन प्रशासन ने ताइवान को 500 मिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस कदम से चीन को मिर्ची लगी है। चीन बौखलाकर अब रूस और उत्तर कोरिया को साधकर अमेरिका से बराबरी की होड़ में लगा हुआ है।
चीन, उत्तर कोरिया के साथ क्यों आया रूस?
जानकार कहते हैं कि चीन और उत्तर कोरिया जापान सागर और एशिया प्रशांत इलाके में अपना दबदबा रखते हैं। उत्तर कोरिया तो लगातार मिसाइल परीक्षण करके इस इलाके में दादागीरी दिखाता है। इससे दक्षिण कोरिया और जापान पहले से ही परेशान हैं। अब इनके साथ रूस भी मिल गया है। रूस के इन दोनों देशों के साथ मिलकर गुट बनाने के पीछे मंशा सहयोग की ही है। यूक्रेन से जंग में रूस अकेला पड़ गया है। जबकि यूक्रेन का साथ 'नाटो' संगठन के देश दे रहे हैं।
अमेरिका और पश्चिमी देशों का साथ मिलने पर यूक्रेन जोरदार पलटवार करने लगा है। वहीं रूस के वैगनर लड़ाके पहले ही बगावत कर चुके हैं। नए युवा सैनिकों की कमी रूस में होने लगी है। रूस की अर्थव्यवस्था भी जंग के बाद बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे में उसे किसी का साथ जरूरी था। ऐसे में अमेरिका के दुश्मन देश चीन और उत्तर कोरिया के साथ जाना रूस के लिए सबसे सरल कदम था और उसने यही किया। अब रूस जहां उत्तर कोरिया से सैन्य सहायता मांग रहा है। वहीं एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण चीन सागर में चीन से दुश्मनी रखने वाले देशों से टक्कर लेने के लिए वह चीन के साथ जंगी जहाज से गश्ती करने लगा है। रूसी जहाज अब एशिया प्रशांत क्षेत्र में भी दिखाई देने लगे हैं।
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