ISRO का टैलेंट देखिए! चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को भी चंद्रयान-3 मिशन में 'बैकअप' की तरह करेगा इस्तेमाल, यहां जानें कैसे
इसरो ने चंद्रयान-3 के लिए हर स्तर पर प्लानिंग और तैयारी पुख्ता की है। अगर जरूरत पड़ी तो चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल बैकअप की तरह काम में लेगा।
चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर लैंड कर जाएगा। 30 किलोमीटर की दूरी से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर लैंड कराया जाएगा। चांद पर लैंडिंग के लिए अंतिम 17 मिनट बेहद अहम होने वाले हैं। चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग के बाद इसरो ने चंद्रयान-3 के लिए हर स्तर पर प्लानिंग और तैयारी पुख्ता की हु्ई है। आप इसरो की प्लानिंग का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का भी इस्तेमाल करेगा।
चंद्रयान-3 में नहीं है ऑर्बिटर
गौरतलब है कि चंद्रयान-2 मिशन के साथ चांद पर ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर भेजे थे। चार साल पहले चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी, लेकिन इसका ऑर्बिटर अभी चांद की सतह से ऊपर घूम रहा है और लगातार चांद की तस्वीरें खींच रहा है। लेकिन चंद्रयान-3 की बात करें तो इसरो ने इसे ऑर्बिटर के साथ नहीं भेजा है, बल्कि इसमें एक प्रोपल्शन मॉड्यूल है। ये प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग करा कर वापस चांद की ऑरबिट में चक्कर लगाने लग जाएगा। चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाएगा।
कैसे करेगा चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बैकअप की तरह काम?
अब आपको सझाते हैं कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को चंद्रयान-3 बैकअप की तरह कैसे काम में लेगा। दरअसल, चंद्रयान-3 चांद तक अपने साथ एक लैंडर, एक रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल लेकर गया है। जबकि चंद्रयान-2 में एक लैंडर, एक रोवर और एक ऑर्बिटर था। इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल नहीं था। ऑर्बिटर हो या प्रोपल्शन मॉड्यूल, ये लैंडर से संपर्क बनाने के काम आते हैं। चांद की सतह पर जब रोवर घूमेगा तो उस दौरान वो कई तरह की जानकारी जुटाएगा। प्रज्ञान रोवर सीधे इसरो से संपर्क करने के हिसाब से नहीं बनाया गया है। ये जो भी जानकारी लेगा वो सिर्फ अपने विक्रम लैंडर तक भेज पाएगा। इसके बाद लैंडर विक्रम उस जानकारी को अपने ऊपर 100 किलीमीटर की ऑर्बिट में चक्कर लगा रहे प्रोपल्शन मॉड्यूल तक वो जानकारी भेजेगा। जहां से फिर प्रोपल्शन मॉड्यूल इस जानकारी को बेंगलुरु में इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क तक भेजेगा।
इस दौरान अगर विक्रम लैंडर चाहेगा तो जरूरत पड़ने पर प्रोपल्शन मॉड्यूल की बजाय चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का भी इस्तेमाल करेगा। विक्रम लैंडर से कम्यूनिकेशन में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो, इसलिए इसरो ने चंद्रयान-3 को इस हिसाब से तैयार किया है कि ये चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को भी बैकअप के तौर पर इस्तेमाल कर सकेगा। ये सिर्फ कम्यूनिकेशन में मदद करेगा।
चंद्रयान-3 से चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने कहा- वेलकम बडी
जैसे ही चंद्रयान-3 चांद की ऑर्बिट में पहुंचा तो चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के साथ संपर्क साधा। इसरो ने 21 अगस्त को ट्ववीट करके बताया था कि चंद्रयान-3 और चंद्रयान-2 के बीच दो तरफा कम्यूनिकेशन हुआ है। "Welcome Buddy" (स्वागत है दोस्त) के मैसेज के साथ चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया और दोनों के बीच टू-वे कम्यूनिकेशन स्थापित हुआ। इतना ही नहीं चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा की कक्षा में पहुंचते ही ग्राउंड स्टेशनों को एक संदेश भी भेजा, जिसमें कहा गया था, "मैं चांद की ग्रैविटी महसूस कर रहा हूं।"
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर भेज रहा तस्वीरें
बता दें कि साल 2019 में जब चंद्रयान-2 के लैंडर की क्रैश लैंडिग हुई तो उसके बाद भी उसका ऑर्बिटर चांद की ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है और इसरो को चांद की सतह की बेहद अहम तस्वीरें भेज रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर क्रैश लैंडिंग के बाद मलबा हो चुके होंगे, लेकिन इसका ऑर्बिटर एक दम अच्छे से काम कर रहा है।
ये भी पढ़ें-