जब एक सीरियल रेपिस्ट को महिलाओं ने कोर्ट रूम में दी थी खौफनाक मौत, जानें दिल दहलाने वाली वारदात
नागपुर के कस्तूरबा नगर इलाके का खौफ अक्कू यादव जो एक सीरियल रेपिस्ट और गैंगस्टर था। उसने सरेआम बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया था लेकिन उसे कोर्ट रूम में ही महिलाओं ने खौफनाक मौत दी। जानिए पूरी कहानी
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2022 के डेटा के मुताबिक भारत में हर 16 मिनट में एक रेप होता है। यानी हर दिन भारत में 90 रेप होते हैं। कोलकाता में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप के बाद उसकी हत्या की जघन्य वारदात से पूरे देश में नाराजगी है। इस घटना के विरोध में लोग सड़कों पर उतर कर इंस्टैंट जस्टिस की मांग कर रहे हैं। इस घटना से पहले जानें कितनी लड़कियों-बच्चियों के साथ हैवानियत की की घटनाएं हुईं जिन्होंने लोगों की आत्मा को झकझोर कर रख दिया था। इन मामलों में दोषियों को सालों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सजा मिलती है, केस चलता रहता है, जांच चलती रहती है। लेकिन आज से करीब 20 साल पहले देश में एक ऐसी घटना हुई थी, जिसमें महिलाओं ने एक दुर्दांत रेपिस्ट को ऐसी सजा दी थी कि आज भी उस वाकये के बारे में जानकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
सैकड़ों महिलाओं ने कोर्ट में घुस कर एक सीरियल रेपिस्ट को मौत की ऐसी सजा दी थी कि ऐसा करने वालों के लिए यह एक सबक की तरह था। इस घटना के बाद सनसनी फैल गई थी। महिलाओं ने जिस जल्लाद को मौत की खौफनाक सजा दी थी उसका नाम अक्कू यादव था। उसे मौत के घाट उतारने के बाद महिलाओं ने कोर्ट में जज से कहा था अब हमें आप जो चाहे सजा दो।
आखिर कौन था अक्कू यादव, जिससे खौफ खाते थे लोग
यह पूरी दास्तां ऐसी है जिसे सुनकर आपका भी खून खौल जाएगा। दरअसल, नागपुर जिले के कस्तूरबा नगर का रहने वाला अक्कू यादव उर्फ भरत कालीचरण बचपन से छुग्गी-झोपड़ी में रहते हुए छोटे-छोटे अपराध करते-करते एक बड़ा गैंगस्टर बन चुका था। उसके नाम से पूरा इलाका थर्राता था और उसने तीन सौ परिवारों को आतंकित कर अपनी मुट्ठी में कस रखा था। अक्कू यादव और उसके गिरोह के लोग पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को पीटते, प्रताड़ित करते, महिलाओं का अंग-भंग कर देते और उनकी दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर देते थे। यह सब रोजाना होता था।
अक्कू यादव काफी रसूख वाला था। वह गलत तरीके से काफी संपत्ति अर्जित कर ली थी। वह बचपन से ही अपराधी प्रवृत्ति का था। वह सार्वजनिक रूप से सामूहिक बलात्कार को अंजाम देता था। उसने इलाके की सैकड़ों, महिलाओं, लड़कियों, वृद्धा औरतों के साथ कुकर्म किया था। उसने पूरे कस्तूरबा नगर में ऐलान करवा दिया था कि हर रोज इलाके के एक घर से एक औरत उसके पास भेजी जाए चाहे वह बच्ची हो, युवती हो या वृद्धा हो। रोज उसे महिला चाहिए थी, वह मनोरोगी था और सीरियल रेपिस्ट था। उसने 10 वर्ष से भी कम मासूम लड़कियों के साथ बलात्कार किया था।
अक्कू यादव करता रहा महिलाओं से दरिंदगी
कस्तूरबा नगर के लोग अक्कू यादव की इस आदत से काफी दुखी थे लेकिन किसी की कुछ कहने करने की हिम्मत नहीं पड़ती थी। बलात्कार पीड़ित लड़कियों ने इस भयानक कलंक के बावजूद, पुलिस को इसकी सूचना दी थी, लेकिन उनकी शिकायतों को पुलिस ने नजरअंदाज कर दिया और अदालत के अधिकारियों ने अक्कू के ऊपर लगे इल्जाम को भी सिरे खारिज कर दिया। इसकी वजह ये थी कि वह सत्ता में बैठे लोगों को अपने वश में करने के लिए उन्हें पैसे और शराब सहित कई तरह के रिश्वत दिया करता था, जिसकी वजह से कोई उसपर अंगुलि भी नहीं उठा सकता था। यह सिलसिला सालों चलता रहा।
अगस्त 2004 में अक्कू ने एक युवा लड़की के साथ बलात्कार किया और उससे पैसे की मांग की। उस लड़की का नाम ऊषा नारायण था जो 25 साल की थी। ऊषा नारायण ने पुलिस में जाकर अक्कू की शिकायत की तो वह अपने गिरोह के चालीस गुंडों के साथ ऊषा के घर पहुंच गया और धमकी दी कि वह उसके चेहरे पर 'तेजाब फेंक देंगा।' इसके साथ ही उसने चेतावनी दी कि 'अगर हम फिर कभी आपसे मिले, तो आप नहीं जानती हो कि हम आपके साथ क्या करेंगे! सामूहिक बलात्कार तो कुछ भी नहीं! ऐसा करेंगे कि आप सोच भी नहीं सकती!' ऊषा नारायण ने पुलिस को फोन किया। लेकिन, जैसा कि पहले हुआ था, पुलिस नहीं आई।
जब अक्कू को ये बात पता चली तो वह अपने गुर्गों के साथ ऊषा के घर पहुंच गया। ऊषा उसे देखते ही किचेन में घुसी और गैस के सिलेंडर का नॉब खोल दिया, हाथ में दियासलाई की तीली लेकर जोर से चिल्लाई कि वह खुद को और अक्कू सहित सभी हमलावरों को उड़ा देगी। यह देखकर अक्कू यादव अपने गुर्गों के साथ वहां से चला गया। ऊषा नारायण ने बदहवास होकर घर से निकली और अपने पास-पड़ोस वालों को इकट्ठा किया, सबको धिक्कारा। उसकी हिम्मत देखकर सबने निर्णय लिया कि अब बहुत हो गया, अब अक्कू को सबक सिखाना होगा।
अचानक कोर्ट रूम में दाखिल हो गईं 200 महिलाएं
इसके बाद तो सैकड़ों पुरुषों और महिलाओं ने पत्थर और लाठियां उठाईं और अक्कू गिरोह के सदस्यों पर हमला करना शुरू कर दिया। उन सबके अक्कू के घर को जला दिया। अक्कू यादव की जान बचाने के लिए उसे पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया। 13 अगस्त को, अक्कू यादव को नागपुर के जिला कोर्ट में पेश किया गया। जब यह स्पष्ट हो गया कि उसे फिर से कोर्ट से बरी किया जाएगा, तो दो सौ महिलाएं अचानक कोर्ट रूम में दाखिल हुईं।
कोर्ट रूम में यादव अपनी बहादुरी दिखाते हुए उनमें से प्रत्येक को सबक सिखाने की धमकी दे रहा था। कोर्ट रूम में ही बैठी एक महिला (जिसके साथ उसने पहले बलात्कार किया था) को वेश्या कह दिया, तो उस महिला ने अपनी चप्पल उतारी और कोर्ट रूम में ही उसे पीटना शुरू कर दिया। महिला चिल्लाते हुए कह रही थी कि अब बहुत हो गया अब 'हम दोनों इस धरती पर एक साथ नहीं रह सकते। अब या तो तुम जिंदा रहोगे या मैं।'
महिलाओं ने दी खौफनाक मौत
इसके बाद क्या था कोर्ट रूम का गेट तोड़कर काफी संख्या में महिलाएं घुस गईं। उन्होंने गार्डों और अदालत के अधिकारियों को धकेलते हुए हटाया और अक्कू यादव को पकड़ लिया। उसके चेहरे पर मिर्च पाउडर मल दिया। उसके मुंह में लाल मिर्च और पत्थर भर दिया और रसोई के चाकू से उसका प्राइवेट पार्ट काट दिया। सभी महिलाओं ने मिलकर उसे कम से कम सत्तर बार चाकू मारा। महिलाओं ने चाकू से उसका पूरा शरीर छलनी कर दिया था। इस सीरियल किलर की हत्या के बाद पुलिस ने करीब 100 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था और उनमें से 18 पर हत्या का केस चला था।
महिलाओं का कहना था कि हमको यकीन हो गया था कि वे इसी तरीके से इस हैवान को सजा दे सकती हैं, कोर्ट और पुलिस उस अपराधी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे। महिलाओं में से एक वी.चंद्रा ने बताया था कि हमने उसका काफी जुल्म सहा, हमने पुलिस कार्रवाई का इंतजार किया लेकिन कुछ नहीं हुआ। छेड़छाड़ औऱ रोज का बलात्कार जारी था। अक्कू से पहली बार भिड़ने वाली ऊषा नारायण ने बताया था कि पुलिस और नेता सभी उसके साथ मिले हुए थे और उसे सुरक्षा दे रहे थे। हम गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं था।
महिलाओं ने कहा-हमने कोई गलती नहीं की
महिलाओं ने कहा कि हमने कोई गलती नहीं की है। हमने अपना और अपनी बच्चियों का उस राक्षस से बचाव किया है। अदालतों को फैसला देने में उम्र लग जाती है। निर्णय देने से पहले उन अपराधियों की मृत्यु हो सकती है। तब फैसला आने का क्या मतलब है। हमने अदालतों को 15 साल दिये, हम चुपचाप जुल्म सहती रहीं। कस्तूरबा नगर ने अदालतों को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि आप जो नहीं कर सके; हमने वह किया है आप ही बताएं हम ग़लत कैसे हैं? गरीबों के लिए कोई न्याय नहीं है। अगर किसी मंत्री की पत्नी या बेटी के साथ ऐसा हुआ होता तो क्या होता? इसलिए, हमने इसे स्वयं फैसला करने का निर्णय लिया।'
महिलाओं के खिलाफ नहीं मिले सबूत
बहुत कम संख्या में महिलाओं पर यादव की पीट-पीट कर हत्या करने का आरोप लगाया गया था लेकिन उन्हें दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। सैकड़ों महिलाएं सामूहिक रूप से हत्या को अंजाम देने की बात कबूल करने के लिए तैयार थीं। सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भाऊ वाहने ने सार्वजनिक रूप से महिलाओं का समर्थन करते हुए स्वीकार किया कि 'उनके पास अक्कू को खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। महिलाएं बार-बार पुलिस से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाती रहीं। लेकिन पुलिस उनकी रक्षा करने में विफल रही।' नागपुर स्थित एक सौ वकीलों के एक समूह ने घोषणा की कि आरोपी महिलाओं के साथ पीड़ितों के रूप में व्यवहार किया जाना चाहिए, न कि हिंसा के अपराधियों के रूप में।